क्या होती हैं 'कंफर्ट विमिन'
लड़ाइयां खत्म हो जाती हैं, लेकिन जख्म हमेशा के लिए रह जाते हैं. बातें रह जाती हैं उलझी हुईं. ऐसी ही उलझी कहानी है उन हजारों महिलाओं की जिन्हें 'कंफर्ट विमिन' कहा जाता है.
कंफर्ट विमिन कैसे बनीं?
ये वे महिलाएं थीं जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सैन्य वेश्यालयों में रखा गया था ताकि वे जापानी सैनिकों की शारीरिक जरूरतों को पूरा कर सकें.
यौन गुलाम
जापान में कुछ लोग इन महिलाओं को ‘सेक्स स्लेव’ यानी यौन गुलाम नहीं मानते. वे कहते हैं कि अच्छी तन्ख्वाहों पर अपनी मर्जी से जापानी सेना के लिए काम कर रही थीं. ऐसी नौकरियों के लिए 1930 के दशक में बाकायदा विज्ञापन निकाले जाते थे.
गुलाम कैसे हुईं!
वहीं कुछ लोग कहते हैं कि ये महिलाएं अपनी मर्जी से कहीं और नहीं जा सकती थी तो इन्हें गुलाम ही कहा जाएगा. जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे इस मुद्दे पर ‘दिल की गहराइयों से’ माफी मांग चुके हैं.
जापान दे मुआवजा
जापान ने पहले भी ऐसी माफी मांगी है, लेकिन दक्षिण कोरिया इसे स्वीकार नहीं करता. वो कहता है कि जापान इन महिलाओं की कानूनी जिम्मेदारी उठाए और दक्षिण कोरिया की सरकार को इसका मुआवजा दे.
और भी देशों में
कुछ लोग इन महिलाओं की संख्या दो लाख तक बताते हैं जिनमें ज्यादातर महिलाएं कोरियाई थीं जबकि चीन, फिलीपींस, इंडोनेशिया और ताइवान की महिलाएं भी इनमें शामिल थीं.
अब भी 46
बताया जाता है कि ऐसी 46 महिलाएं अब भी दक्षिण कोरिया में रहती हैं और ज्यादातर की उम्र 80 को पार कर गई है. कंफर्ट विमिन का मुद्दा लंबे समय से जापान और दक्षिण कोरिया के रिश्तों की एक अनसुलझी गांठ रहा है.
वादे पर निर्भर है
पिछले साल दोनों देशों के बीच सहमित बनी कि जापान इन महिलाओं के लिए 1 अरब येन यानी 83 लाख डॉलर की रकम देगा. दक्षिण कोरिया का कहना है कि अगर जापान अपना वादा निभाएगा तो वह इस मामले को खत्म समझेगा.