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नीदरलैंडस में बन चुकी है बिजली बनाने वाली सड़क

२७ सितम्बर २०१६

नीदरलैंड्स की बिजली पैदा करने वाली सड़कों की बात विज्ञान की परिकथा जैसी लग सकती है. लेकिन यह सच है कि नीदरलैंड्स में साइकिल के रास्ते से सौर बिजली बनाई जा रही है.

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Wattway Straße mit Solarzellen
तस्वीर: Wattway/COLAS/Joachim Bertrand

यह बात विज्ञान की परिकथा जैसी लग सकती है लेकिन नीदरलैंड्स में साइकिल के रास्ते से सौर बिजली बनाई जा रही है. ये देखने में किसी भी सामान्य बाइक लेन जैसी ही है, लेकिन क्रोमेनी की ये साइकिल लेन कुछ अलग है. ये दुनिया की पहली लेन है जिसके नीचे सोलर सेल हैं.

सोलर रोड प्रोजेक्ट के स्टेन डे विट जैसे आविष्कारक इस पर काम कर रहे हैं कि सड़कें सूरज की रोशनी से बिजली बना सकें. वह बताते हैं, "नीदरलैंड्स में हमारे पास छतों पर जितनी जगह है उससे कहीं ज्यादा रोड का इलाका है. इसलिए अगर हम पीवी सोलर तकनीक को रोड के साथ जोड़ पाते हैं तो हम अतिरिक्त जगह का इस्तेमाल किए बिना और पर्यावरण को छेड़े बिना सौर बिजली पैदा करने की अपार संभावना बना सकते हैं, उन सड़कों का इस्तेमाल कर जो हमारे पास मौजूद हैं.

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नीदरलैंड्स की ये लेन 70 मीटर लंबी है और इसे बनाने में वैज्ञानिकों को दो साल लगे. रोड की सतह की तीन परतें हैं. कंक्रीट, सोलर सेल और सबसे ऊपर ग्लास. रास्ते पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी को सोलर सेल सोख लेते हैं और उसे बिजली में बदल देते हैं. रास्ते से कुछ ही दूर स्मार्ट बॉक्स रखा गया है है. यहां देखा जा सकता है कि सोलर सेल कितनी बिजली पैदा कर रहे हैं. 2014 में बनाए जाने के बाद से यहां से 10,000 किलोवाट बिजली पैदा हुई है जो तीन घरों की साल भर के बिजली के बराबर है.

विट कहते हैं कि भविष्य में हम बिजली के उत्पादन और उसके उपयोग के बीच बेहतर संपर्क बनाना चाहते हैं. उनकी कोशिश है कि सोलर सड़कों को इस कदर आधुनिक बनाया जाए कि भविष्य में इन सड़कों से गुजरने वाली कारों और साइकिलों को सड़क पर ही चार्ज भी किया जा सकेगा. लेकिन सामान्य सड़कों में सोलर सेल के इस्तेमाल के लिए उन्हें साइकिल और स्कूटर के मुकाबले ज्यादा भारी वजन सहने लायक बनाना होगा. क्रोमेनी से 70 किलोमीटर दूर डेल्फ्ट की टीएनओ लैब में इस तरह की चुनौतियों का मुकाबला करने पर काम चल रहा है. सीनियर इंजीनियर स्टैन क्लेर्क्स और उनकी टीम सड़क की सतह को मजबूत करने पर काम कर रहे हैं. स्टैन क्लेर्क्स बताते हैं, "हमारी मुख्य चुनौती थी कि ऐसी परत बनाएं जिस पर गाड़ियां सुरक्षित ड्राइव कर सकें. ये टायर को घर्षण भी दें और जितना संभव हो रोशनी गुजरने दें. इसलिए हमें ऐसा कुछ बनाना था जो पारदर्शी हो, मजबूत हो और इसमें घर्षण भी हो. सोलर रोड बनाते समय यह सबसे बड़ी चुनौती थी."

तस्वीरों में, सौर ऊर्जा से पकवान

रोड का घर्षण मापते समय वैज्ञानिक यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि समतल सतह के कारण रोशनी का नुकसान न हो. वह ये भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि रोड ट्रकों और कारों का वजन सह सकें. क्लेर्क्स बताते हैं कि सोलर सेल बहुत ही पतला होता है, वह आसानी से टूट सकता है. इसलिए यह पता करना जरूरी है कि दस बार या सौ बार नहीं बल्कि लाखों और करोड़ों बार उस पर ड्राइव करने का क्या असर होता है.

वैज्ञानिकों का मकसद दो साल के अंदर सामान्य सड़क पर बेहतर सिस्टम बनाना है. एक सोलर नेटवर्क जो नीदरलैंड्स और उसके बाहर भी लागू हो सके. यह सौर ऊर्जा के इस्तेमाल का स्थानीय समाधान होगा.

एमजे/वीके