सिंगूर में क्या क्या हुआ
सिंगूर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किसानों को जमीन वापस होगी. ममता बनर्जी की राजनीतिक जीत में यह मुद्दा एक अहम पड़ाव रहा है. कब क्या हुआ सिंगूर में.
नैनो का ऐलान
2008 में भारत की कार निर्माता कंपनी टाटा ने लखटकिया कार नैनो बाजार में उतारने का ऐलान किया. ये खबर दुनिया भर में सुर्खी बनी. नैनो को बनाने के लिए कंपनी ने पश्चिम बंगाल के सिगूंर में फैक्ट्री लगाने की योजना बनाई.
1000 एकड़
इसके लिए पश्चिम बंगाल की तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने खेती की एक हजार एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया और उसे टाटा को सौंप दिया गया.
जोर जबर्दस्ती
लेकिन जल्द ही आरोप लगने लगे कि सरकार ने जबरदस्ती किसानों की जमीन ली है जबकि सरकार का कहना था कि राज्य की बदहाल अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के लिए निवेश और उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत है.
नैनो की ना
ये मामला उपजाऊ जमीन लेकर उसे प्राइवेट कंपनी को दिए जाने का था. इसलिए जल्द ही इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है और ये एक बड़ा मुद्दा बन गया. आखिरकार टाटा को अपनी फैक्ट्री गुजरात के साणंद ले जानी पड़ी.
ममता की एंट्री
सिंगूर लोगों को उनकी जमीन वापस दिलाने के वादे ने ममता बनर्जी को नई राजनीतिक ताकत दी. 2011 के राज्य विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने वो कर दिखाया जो अब तक कोई नहीं कर पाया. उन्होंने पश्चिम बंगाल में 1977 से राज कर रहे वाममोर्चा को सत्ता से बाहर कर दिया.
जीत पर जीत
इसी साल हुए राज्य विधानसभा चुनाव में फिर शानदार जीत दर्ज की. अब ममता बनर्जी कह रही है लेकिन लोगों को जमीन लौटाने का काम शुरू कर उन्होंने अपना वादा निभाया है. लेकिन साथ ही उन्होंने टाटा और बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनी को भी राज्य में आने का न्यौता दिया है.