चीन की बढ़ती ताकत से खुश है सऊदी अरब
२० जनवरी २०१७सऊदी विदेश मंत्री अब्देल अल-जुबैर ने स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक फोरम में कहा, "चीन जिस तरह से विश्व व्यवस्था और आर्थिक व्यवस्था में समाहित हो रहा है, उसके मद्देनजर इन व्यवस्थाओं में स्थिरता से ही उसके हित जुड़े हैं. और इसीलिए मैं समझता हूं कि चीन के उभार का स्वागत किया जाना चाहिए. इसे खतरे के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए." एशिया सऊदी अरब के तेल के लिए सबसे बड़ा बाजार है.
इससे पहले, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दावोस में कहा कि दुनिया की परेशानियों के लिए वैश्वीकरण को बलि का बकरा नहीं बनाया जाना चाहिए. इस तरह, चीनी राष्ट्रपति ने अमेरिका के नए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को जवाब दिया है. ट्रंप ने कहा था कि चीन और वैश्विकरण के कारण अमेरिकी फैक्ट्रियों में लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं.
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अमेरिका सऊदी अरब का लंबे समय से सहयोगी रहा है. लेकिन राष्ट्रपति ओबामा के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध बहुत सहज नहीं रहे. सऊदी अरब का मानना है कि ओबामा सीरिया में जारी लड़ाई में शामिल होने के इच्छुक नहीं थे और उनकी सरकार का ईरान की तरफ झुकाव भी सऊदी अरब को चुभता रहा. ईरान के साथ होने वाले विश्व शक्तियों के परमाणु करार पर भी सऊदी अरब को आपत्ति रही है.
अब नजरें ट्रंप पर टिकी हैं कि वह सऊदी अरब के साथ कैसे संबंध रखते हैं. चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप सऊदी अरब से तेल का आयात रोकने तक की बात कह चुके हैं. हालांकि जानकार इसकी संभावना कम ही देखते हैं. जुबैर ने उम्मीद जताई कि ट्रंप प्रशासन मध्य पूर्व और पूरी दुनिया को लेकर अधिक सक्रियता दिखाएगा. उन्होंने आशा जताई कि "ट्रंप सहयोगियों से संबंधों को फिर से खड़ा करेंगे. मुझे लगता है कि बदलाव होगा."
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सऊदी अरब की क्षेत्रीय चिंताओं में लेबनान के शिया हिजबोल्लाह आंदोलन का बढ़ता असर भी शामिल है जिसे ईरान का समर्थन प्राप्त है. जुबैर ने कहा, "हमारी मुख्य चिंता यह है कि लेबनान हमारे लिए खतरे का स्रोत न बने, खास तौर से हिजबोल्लाह की वजह से." हालांकि हाल में माइकल औन के लेबनान का राष्ट्रपति चुने जाने से सऊदी अरब को हालात बेहतर होने की उम्मीद है. सऊदी विदेश मंत्री ने कहा कि औन ने अपने पहले विदेश दौरे के लिए सऊदी अरब को चुना.
एके/आरपी (एएफपी)