रोमानिया में सरकार विरोधी लाखों लोग सड़कों पर
६ फ़रवरी २०१७रोमानिया में छह दिन से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हालांकि जिस वजह से ये प्रदर्शन शुरू हुए थे, सरकार ने वह आदेश वापस ले लिया है. सरकार ने एक आदेश पारित किया था जिसके बारे में लोगों का कहना था कि यह भ्रष्टाचार विरोधी कानून को कमजोर करता है और भ्रष्ट अधिकारियों को फायदा पहुंचाता है. लेकिन आदेश वापस लेने भर से लोग संतुष्ट नहीं हुए हैं. अब वे सरकार का इस्तीफा चाहते हैं. राजधानी बुखारेस्ट में शहर के मुख्य चौराहे पर जमा ढाई लाख लोगों के साथ 'इस्तीफा दो' जैसे नारे लगाती एक प्रदर्शनकारी 24 साल की एम्मा कहती हैं, "ये लोग भ्रष्ट हैं. हम न्याय चाहते हैं. यह सरकार फिर कोई कोशिश करेगी." एम्मा की 24 वर्षीय दोस्त निकोल कहती हैं, "ये झूठे लोग हैं. बुरे लोग. इस सरकार को जाना ही होगा. हम हर रात यहां आएंगे."
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1989 में कम्यूनिस्ट शासन के पतन के बाद देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. लेकिन सरकार अब भी अपने रुख को मजबूती से रख रही है. प्रधानमंत्री सोरिन ग्रिनडिआनू की सोशल डेमोक्रैट पार्टी (पीएसडी) ने दिसंबर में हुए चुनाव में जीत के बाद सत्ता हासिल की है. उन्होंने कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे क्योंकि, "जिन लोगों ने हमें वोट दिया है उनके प्रति हमारी जिम्मेदारी है."
पीएसडी का कहना है कि विरोध प्रदर्शनों के पीछे कुछ शक्तिशाली लोग हैं. खुद वोटर फ्रॉड के आरोप झेल रहे पार्टी के अध्यक्ष लिविऊ ड्रागनेआ ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा, "इस सब को कौन आयोजित कर रहा है? कहना मुश्किल है लेकिन मुझे उम्मीद है कि सरकार के पास इसकी जानकारी होगी. अपने आप खड़ा हुआ एक आंदोलन जैसा होता है, ये प्रदर्शन उससे कहीं ज्यादा संगठित हैं."
सरकार ने जो आदेश दिया था वह 10 फरवरी से लागू होना था. उसके तहत दो लाख लेई (लगभग 47500 डॉलर) से ज्यादा का भ्रष्टाचार होने पर ही जेल की सजा का प्रावधान था. लेकिन अब सरकार ने यह आदेश वापस ले लिया है. हालांकि सरकार अब भी एक अन्य आदेश के तहत ऐसे 2500 लोगों को जेल से रिहा करना चाहती है जो पांच साल या उससे कम की सजा काट रहे हैं. संसद को अभी सरकार के इस आदेश की समीक्षा करनी है.
तस्वीरों में, कहां भ्रष्टाचार सबसे कम है
ग्रिनडिआनू का कहना है कि वह कानून में जो बदलाव करना चाहते हैं, वे यूरोपीय संघ के सदस्य होने के नाते उनके देश को करने हैं और जेलों में भीड़ कम करनी है. लेकिन आलोचकों का कहना है कि सरकार इन आदेशों के जरिए ऐसे अधिकारियों को रिहा करना चाहती है जो पिछले सालों में चलाई गई भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के तहत पकड़े गए. इस मुहिम के तहत लगभग 2000 लोगों को सत्ता के दुरुपयोग का दोषी पाया गया. एक पदासीन प्रधानमंत्री और कई मंत्रियों और सांसदों को भी मुकदमे झेलने पड़े.
वीके/एके (एएफपी)