लंदन यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश म्यूजियम के नजदीक का यह इलाका रसेल स्क्वेयर कहलाता है. रात के तब 10.30 बजे थे. पुलिस को फोन किया गया कि आतंकी हमला हुआ है. कोई आदमी छुरे से लोगों को घायल कर रहा है. लंदन पुलिस के हाथ-पांव फूल गए. आनन-फानन में उस इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया. एक महिला सड़क पर खून से लथपथ पड़ी थी. पैरामेडिक्स ने फौरन उसका इलाज शुरू किया. लेकिन वे कुछ नहीं कर पाए. महिला की जान जा चुकी थी. पांच लोगों के शरीर से खून बह रहा था. हमलावर को गिरफ्तार कर लिया गया था. अधिकारियों के मुताबिक यह सिर्फ 19 साल का एक लड़का है, जिसके नाम के आगे अब ताउम्र हत्यारा लिखा जाएगा. आतंकी है या नहीं, अब तक पुलिस को पता नहीं है. पुलिस ने एक बयान में कहा कि लड़के की मानसिक हालत भी संदेह के घेरे में है. बयान के मुताबिक, इस वक्त जांच की जा रही है कि मामला आतंकवाद से जुड़ा है या नहीं.
जो पांच लोग घायल हैं, उनमें से एक अमेरिकी नागरिक बताया जाता है. इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. वैसे, जिस रात यह हमला हुआ है, उसी शाम पुलिस ने ऐलान किया था कि आतंकी हमलों के खतरे को देखते हुए शहर में ज्यादा हथियारबंद सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे.
इस तरह फ्रांस और जर्मनी के बाद आतंकी हमलों का डर लंदन की सड़कों पर भी पसर चुका है. इस डर ने 7 जुलाई 2005 की वे भयानक यादें भी ताजा कर दी हैं जब लंदन की ट्यूब में बम धमाका हुआ था. वह हमला भी इसी रसेल स्क्वेयर के पास हुआ था और तब 26 लोगों की जान चली गई थी.
देखिए, कैसे-कैसे आतंकी हमले हो रहे हैं
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जब गाड़ियां लाती हैं मौत
मैनहटन
अमेरिका में न्यूयॉर्क शहर के मैनहटन इलाके में एक ट्रक ड्राइवर ने साइकिल और पैदल लेन में घुसकर लोगों को कुचला. इस घटना में 8 लोगों की मौत हो गयी और करीब 11 लोग बुरी तरह से घायल हैं. पुलिस ने संदिग्ध को गिरफ्तार कर लिया है. इसका नाम सेफुलो साइपोव है और इसकी उम्र 29 साल बताई जा रही है.
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जब गाड़ियां लाती हैं मौत
बार्सिलोना
17 अगस्त, 2017 की शाम स्पेन के बार्सिलोना में पर्यटकों के बीच लोकप्रिय शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके में हमलावर ने लोगों पर किराये पर ली वैन चढ़ा दी. आतंकी गुट तथाकथित इस्लामिक स्टेट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसमें 13 लोगों की जान चली गयी है और करीब 100 लोग घायल हैं. जांचकर्ता इसे शहर में कई जगहों पर सिलसिलेवार हमले करने की योजना का हिस्सा मानते हैं.
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लंदन
4 जून, 2017 की रात लंदन के लिये भयानक रही. लंदन ब्रिज पर एक सफेद वैन ने कई लोगों को टक्कर मारी. ब्रिज पर लोगों को कुचलने के बाद यह वैन पास के बॉरो मार्केट में घुस गई. कार में सवार संदिग्ध बाहर निकले और लोगों पर चाकुओं से हमला किया. हालांकि पुलिस ने जल्द ही संदिग्धों को घेर लिया और गोलीबारी में मार गिराया.
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लंदन
लंदन स्थित ब्रिटिश संसद वेस्टमिंस्टर के पास एक हमलावर ने अपनी कार से फुटपाथ पर जा रहे लोगों को रौंद डाला. मार्च 2017 के इस हमले में एक पुलिसकर्मी समेत चार लोगों की जान चली गयी. हमलावर भी पुलिस की गोली से मारा गया.
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बर्लिन
जुलाई में फ्रांस के नीस में तो दिसंबर में बर्लिन के क्रिसमस मेले में गाड़ी मौत लेकर आई. ट्रक भीड़भाड़ वाले खुले बाजार में घुसा और लोगों को कुचलता हुआ 80 मीटर तक चला. घटना में 12 लोगों की जान गई और 48 लोग घायल हुए.
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नीस
फ्रांस के नीस शहर में सड़कों पर जुटे बास्टिल डे मनाते लोगों को एक ट्रक रौंदता हुआ निकल गया. करीब दो किलोमीटर तक अनगिनत लोगों को कुचलते निकले इस ट्रक की चपेट में आने से अब तक कम से कम 84 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है और बहुत सारे लोग घायल हैं.
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इस्राएल और फलस्तीन
नीस में हमलावर की ये शैली दुनिया में कोई पहली बार नहीं आजमाई गई है. इस्राएल और फलस्तीन के कुछ इलाकों से कारों को लोगों के ऊपर चढ़ाने की कई घटनाएं सामने आई हैं. पिछली अक्टूबर से ही वहां ऐसे हमलों की चपेट में आने से 215 फलीस्तीनी, 34 इस्राएली, दो अमेरिकी, एक एरिट्रियाई और एक सूडानी नागरिक की मौत हुई.
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ब्रिटेन
हाल के सालों में पश्चिमी देशों को इसी किस्म के तीन बड़े हमले झेलने पड़े. दो ब्रिटेन में और एक अन्य हमला कनाडा में हुआ. मई 2013 में नाइजीरियाई मूल के दो इस्लामी कट्टरपंथियों ने अपनी कार को एक ब्रिटिश सैनिक ली रिग्बी पर चढ़ा दिया था. दिन दहाड़े उनका गला काटने की कोशिश भी की. उन्हें ब्रिटिश सेना के हाथों मुसलमानों के मारे जाने पर गुस्सा था.
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कनाडा
लंदन की घटना के करीब 18 महीने बाद कनाडा में भी एक इस्लामी कट्टरपंथी ने एक कनेडियन सैनिक पैट्रिक विंसेंट के ऊपर गाड़ी चढ़ा कर उसे मार डाला और एक अन्य को घायल किया. इसके बाद 25 साल के हमलावर मार्टिन रुले ने खुद पुलिस को फोन कर जिहाद के नाम पर यह हमला करने की बात कही. मार्टिन ने अपना धर्म बदल कर इस्लाम कुबूल किया था.
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स्कॉटलैंड
जून 2007 में दो आदमियों ने अपनी जलती हुई जीप को ले जाकर स्कॉटलैंड के ग्लासगो एयरपोर्ट की मुख्य टर्मिनल बिल्डिंग में घुसा दिया. इनमें से एक हमलावर को आजीवन कारावास की सजा मिली. मामले की सुनवाई कर रहे जज ने हमलावर को "धार्मिक कट्टरपंथी" माना.
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हत्या की प्रेरणा
कई सालों से इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठन कभी वीडियो बनाकर तो कभी सोशल मीडिया पर संदेश भेज कर नए समर्थकों और अनुयायियों से उनके हाथ में जो आए उसी से हमले करने की अपील करते रहे हैं. ऐसे ही संदेशों के कारण कई जगहों पर आम नागरिकों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं.
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'काफिर' के खिलाफ
सितंबर 2014 में आईएस के 'आक्रमण मंत्री' माने जाने वाले अबु मोहम्मद अल-अदानी ने ये संदेश जारी किया था: "अगर तुम कोई बम नहीं फोड़ सकते, गोली नहीं चला सकते, तो किसी फ्रेंच या अमेरिकन काफिर से अकेले में मिलो और फिर चाहे पत्थर से उसका सिर फोड़ो या चाकू से गला काटो, या कार के नीचे दबा दो."
रिपोर्ट: ऋतिका पाण्डेय
लंदन प्रशासन ने शहर में 600 अतिरिक्त जवान तैनात करने का फैसला किया है. यानी अब शहर की सड़कों पर 2800 वर्दीधारी होंगे जिनके हाथों में घातक हथियार होंगे. हालांकि लंदन के पास 31 हजार पुलिसवाले हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर हथियारबंद नहीं हैं. लंदन के नए मेयर सादिक खान ने शहर के पुलिस प्रमुख बर्नार्ड होगन-हाव के साथ मिलकर यह योजना बनाई है. होगन-हाव ने कहा, "घातक हथियारों से लैस पुलिस के जवान चाहिए जो हमलावरों को रोक सकें."
यह योजना सिर्फ अंदेशे के आधार पर बना ली गई थी. जर्मनी और फ्रांस में एक के बाद एक हुए आतंकी हमलों को देखते हुए लंदन सतर्क हो गया था. ऐसी रिपोर्टें थीं कि शहर में हमला हो सकता है. लिहाजा पहले से ही मुस्तैद होते हुए पुलिस बल तैनात करने का फैसला ले लिया गया. और जिस रोज इस फैसले का ऐलान किया गया, उसी रोज 19 साल के एक लड़के ने फैसला लेने वालों के हाथ मजबूत कर दिए हैं. इस हमले से पहले ही हाव ने कहा था, "पिछले कुछ हफ्तों से यूरोप में जो हो रहा है, उसे देखकर कोई भी समझ सकता है कि हम अपनी जनता की सुरक्षा के लिए इस तरह की प्रतिबद्धता क्यों दिखा रहे हैं. हमारे कुछ बेहद लोकप्रिय इलाकों में तो पहले से ही हथियारबंद जवान तैनात हैं. जैसे संसद या डाउनिंग स्ट्रीट आदि पर तो ऐसा पहले से है. मुझे लगता है कि लोग समझेंगे जब आपके सामने ऐसे दुश्मन हों जिनके हाथों में बंदूकें हैं, तो हमारे पास भी बंदूक होनी ही चाहिए." और वही हुआ. हमलावर ने चाकू से हमला कर दिया. अब लोग वाकई समझेंगे और मान जाएंगे कि शहर की गली-गली में हथियार लेकर घूमते लोग उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी हैं.
देखिए, फ्रांस में कैसी दहशत पसरी है
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दहशत में फ्रांस
पस्त हाल
नवंबर में पेरिस में हुए आतंकी हमलों के बाद फ्रांस का सारा प्रशासन सुरक्षित तरीके से फुटबॉल यूरोकप कराने में लगा है. लेकिन ऐसा नहीं लगता कि उसे कोई कामयाबी मिली है.
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दहशत में फ्रांस
परेशान देश
एक कथित आईएस समर्थक द्वारा पुलिस अधिकारी और उसके पार्टनर की हत्या ने फ्रांस को एक बार फिर सकते में डाल दिया है. देश परेशान है कि इस समस्या से निबटे कैसे.
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दहशत में फ्रांस
मचा हड़कंप
मैच से पहले इंगलैंड और रूस के हूलिगनों की आक्रामक हरकतों ने दिखाया कि सुरक्षा अधिकारी अत्यंधिक दबाव में हैं और हिंसक फैन्स को काबू में रखने का बूता उनमें नहीं है.
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दहशत में फ्रांस
सुधारों का विरोध
यूरोकप शुरू होने के ठीक पहले सरकार ने नए सख्त आर्थिक सुधारों की घोषणा की. ट्रेड यूनियनों ने मेहमान होने की मर्यादा को दरकिनार करते हुए हितों की रक्षा का फैसला किया.
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दहशत में फ्रांस
भारी बेरोजगारी
फ्रांस में बेरोजगारी की दरें काफी ऊंची हैं. 2015 के अंत में देश के 10.6 प्रतिशत लोग बेरोजगार थे जबकि युवाओं के बीच बेरोजगारी दर बहुत ज्यादा है. उनकी तादाद करीब 25 प्रतिशत है.
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दहशत में फ्रांस
अंधेरा भविष्य
देश के उपमहानगरों में युवा बेरोजगारी का असर विदेशी मूल के युवाओं पर सबसे ज्यादा है. मौकों और सुरक्षित भविष्य के अभाव में उनमें से बहुत से आतंकवाद की ओर मुड़ रहे हैं.
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दहशत में फ्रांस
घैर्य का इम्तहान
पिछले सालों में फ्रांस इस्लामी आतंकवाद के गढ़ के रूप में उभरा है. इस समय में हुए कई बड़े आतंकी हमलों ने देशवासियों के धैर्य, सहिष्णुता और सहनशीलता की परीक्षा ली है.
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दहशत में फ्रांस
बेहतरी का दबाव
फ्रांस पर साथियों की ओर से भी आर्थिक सुधारों का दबाव है. विकसित देशों का संगठन ओईसीडी उससे श्रम बाजार में ढील देने और सरकारी खर्च में कटौती करने की मांग कर रहा है.
लंदन के मेयर सादिक खान ने लोगों से कहा है कि हथियार देखकर डरें नहीं. उन्होंने कहा, "हमें अब अपनी सड़कों पर ज्यादा हथियारबंद पुलिसकर्मी नजर आएंगे लेकिन डरने की जरूरत नहीं है. हमारे सारे पुलिसकर्मी संभावित आतंकी खतरे से लोगों की रक्षा करने की अपनी भूमिका ही निभा रहे हैं."
भारत के लिए यह नजारा सामान्य हो सकता है लेकिन यूरोप के लिए यह एकदम अनोखी चीज है. जर्मनी में भी इस बात को लेकर बहस हो रही है कि सार्वजनिक स्थानों पर सेना की तैनाती की जाए. जर्मन कानून के मुताबिक शहर में सेना की तैनाती सिर्फ आपातकाल के दौरान ही हो सकती है. लेकिन कई नेता इस कानून को पुराना पड़ चुका बताते हैं और कहते हैं कि नए हालात में नई तरह से सोचना जरूरी है. कुछ साल पहले एक भारत आई एक जर्मन लड़की ने श्रीनगर के एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही कहा था, "यह कैसा देश है, जहां आपको बंदूक जैसी खतरनाक चीज इस तरह राह चलते नजर आती है." अब यूरोप भी वैसा ही हो जाएगा.