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पहली बार एक पत्ते ने खोला हत्या का राज

ईशा भाटिया२९ जून २०१६

जर्मनी में कत्ल के एक मुकदमे ने अपराधी तक पहुंचने के तरीके ही बदल दिए हैं. मिसाल बना यह मुकदमा अपराध विज्ञान को एक नए स्तर पर ले गया है.

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Ebola Medikament ZMapp angeblich erfolgreich getestet
तस्वीर: Gallup/Getty Images

सालों पहले का कत्ल का एक मामला एक पत्ते की मदद से सुलझ गया. इस मामले को खोला वैज्ञानिक उवे श्लेनबेकर ने. डीएनए पर रिसर्च करने वाले श्लेनबेकर ने पत्ते का डीएनए खोजा और उसके जरिए केस को हल कर दिया.

पुलिस को तब एक लाश मिली थी. यह लाश एक पेड़ के नीचे दबाई गई थी. पुलिस को एक व्यक्ति पर शक भी था लेकिन कोई सबूत नहीं था. सिवाय एक पत्ते के. उस संदिग्ध की गाड़ी से बलूत का एक पत्ता मिला था. लाश भी बलूत के नीचे ही दबाई गई थी. लेकिन यह साबित नहीं किया जा सकता था कि बलूत का यह पत्ता उसी पेड़ का है. श्लेनबेकर ने यह कर दिखाया. वह कहते हैं, “हम पहले इंसानी डीएनए पर काम करते रहे हैं, फिर जानवरों के डीएनए पर भी. इसके बाद हम पौधों पर काम करना चाहते थे लेकिन हम तय नहीं कर पा रहे थे कि लैब में कौन से पौधों से शुरुआत करें, तो हमने सोचा कि अगर हम ऐसे किसी केस पर काम करते हैं, तो मामला भी सुलझ जाएगा और साथ ही हमारा रिसर्च का काम भी हो जाएगा.”

श्लेनबेकर को इस पत्ते से डीएनए के सुराग जुटाने थे ताकि वे कातिल तक पहुंच सकें. लेकिन क्या पत्ते से वाकई कुछ साबित हो सकता है? क्या ये उसी पेड़ से गिरा है जिसके नीचे लाश दफ्न की गई या फिर कहीं और से वहां पहुंचा? श्लेनबेकर बताते हैं कि छह साल पुराने एक पत्ते पर काम करना था जो कोई आम बात नहीं थी. अब तक किसी ने भी पौधों पर इतना ध्यान नहीं दिया था. पत्तों के डीएनए की बनावट से शायद पता चल सकता है कि वे किस पेड़ के हैं लेकिन श्लेनबेकर से पहले किसी ने इस पर रिसर्च नहीं की थी. उवे श्लेनबेकर को इस शोध में एक साल से ज्यादा का वक्त लगा. इसमें किताबी ज्ञान से ले कर यूनिवर्सिटी में विशेषज्ञों से चर्चा करना सब शामिल था. इसके बाद जा कर वह लैब में इस पुराने बलूत के पत्ते का डीएनए अलग कर पाए.

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डीएनए की यह जानकारी अपने आप में एक चुनौती भी थी और मौका भी. पत्ते की पहचान हो जाने से पुलिस की बड़ी मदद हो सकती थी. उवे श्लेनबेकर इसकी अहमियत जानते थे. वह कहते हैं, “इस तरह का केस जिंदगी में एक बार आपको मिलता है लेकिन इसका अहसास आपको तब होता है जब आप केस पूरा सुलझा चुके होते हैं. शुरू में तो आपको यही नहीं पता होता कि आप सबूतों से किसी नतीजे पर पहुंच भी पाएंगे या नहीं. जब काम पूरा हो जाता है और आप सभी सुरागों की एक दूसरे से तुलना कर चुके होते हैं, तब जा कर आपको पता चलता है कि वो कौन सा सुराग है जो केस को सुलझाने में निर्णायक साबित होगा.”

डीएनए की जांच पूरी हुई और नतीजों ने सब साफ कर दिया. जिस व्यक्ति पर शक था, उसकी कार से जो पत्ता मिला, वह उसी पेड़ का निकला, जिसके नीचे लाश को छिपाया गया था.

लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं हुई. फिर यह सवाल आया कि क्या अदालत इस तरीके को मानेगी, क्योंकि ये एक नया तरीका है. इसलिए दोबारा कई तरह के टेस्ट किए गए और अंत में जर्मनी के सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकृति दे दी.

श्लेनबेकर की यह रिसर्च क्राइम इंवेस्टिगेशन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुई है. उनकी इस रिसर्च की बदौलत ही गुनहगार को सजा दिलाई जा सकी. दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ कि पौधे के डीएनए से किसी अपराधी तक पहुंचा जा सका. कातिल ने भी कहां सोचा होगा कि एक पत्ता उसे सलाखों के पीछे पहुंचा देगा.

ईशा भाटिया