पाकिस्तान में क्यों गायब हो रहे हैं लोग?
१४ दिसम्बर २०१७खान कई सप्ताह से लाहौर के अपने घर से गायब हैं. उनके परिवार और दोस्तों का मानना है कि उन्हें सुरक्षा एजेंसियों ने हिरासत में लिया है. डॉन ने कहा, "उनका अपराध यह है कि उनके पास एक सोचने वाला दिमाग है और क्षेत्रीय शांति और सह-अस्तित्व का आदर्श है, जो हमारी वैचारिक सीमाओं के स्वयंभू संरक्षकों को मंजूर नहीं है."
खान की उम्र 30 वर्ष से ऊपर है, और उन्होंने कथित तौर पर भारत और पाकिस्तान के बीच शांति के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए आगाज-ए-दोस्ती नामक एक समूह का गठन किया. वह पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे समूह के साथ भी सक्रिय थे.
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डॉन ने कहा, "शहरों से ज्यादा से ज्यादा लोगों को उठा कर ले जाया जा रहा है, जिसका कारण कभी बताया नहीं गया. उनमें से कुछ यातनाएं झेलने के बाद वापस आ गए, लेकिन अन्य बहुत सारे लोग इतने भाग्यशाली नहीं रहे. कोई नहीं जानता कि उन्होंने किस अपराध को अंजाम दिया या उन पर कौन से आरोप लगे हैं."
अखबार के अनुसार, खान इस वर्ष घर से गायब होने वाले सातवें समाजिक कार्यकर्ता बताए जा रहे हैं. जनवरी में इस्लामाबाद और पंजाब के अन्य शहरों से छह ब्लॉगर्स और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को ले जाया गया.
डॉन के अनुसार, "दक्षिणपंथी समूहों के विरोध प्रदर्शनों और अंतरराष्ट्रीय समुदायों द्वारा दवाब बनाए जाने के बाद गायब हुए पांच लोग दो महीनों के भीतर घर वापस आ गए. हिरासत में कथित तौर पर उनपर अत्याचार किया गया। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर एक व्यवस्थित अभियान शुरू किया गया था, जिसमें उनपर ईशनिंदा का आरोप लगया गया और उनके जान को खतरे में डाला गया."
आलेख में कहा गया है, "पिछले वर्ष पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने कराची से अब्दुल वाहिद बलूच का अपहरण किया. वह एक टेलीफोन ऑपरेटर के तौर पर काम करते थे."
आलेख में आगे कहा गया, "वह चार महीने बाद घर लौट आया और वह इतना डरा हुआ था कि दूसरों की तरह अपने ऊपर हुए अत्याचार के बारे में बात भी नहीं कर सका. जाहिर है, उसके साथ हुए गैरकानूनी कार्य के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी."
लापता भारतीय व्यक्ति हामिद अंसारी के मामले की जांच कर रही एक युवा पत्रकार जीनत शहजादी का अगस्त 2015 में लाहौर में हथियारबंद लोगों ने अपहरण कर लिया.
रिपोर्ट के अनुसार, "हाल में शहजादी के वापस लौटने की खबर आई थी, लेकिन उसके बाद से पत्रकार के बारे में कुछ भी नहीं सुना गया. पत्रकार के लापता होने से उनका छोटा भाई इतना आहत हुआ कि उसने आत्महत्या कर ली."
द डॉन ने कहा कि सबसे डरावनी बात यह है कि एक चुनी हुई सरकार के राज में इस वर्ष लापता लोगों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है.
--आईएएनएस