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दुनिया को ‘पाकिस्तान की हकीकत’ दिखाने पर धमकियां

२१ दिसम्बर २०१६

पाकिस्तानी फिल्मकार शर्मीन औबेद चिनॉय ने ऑनर किलिंग पर अपनी डॉक्यूमेंट्री के लिए दो ऑस्कर जीते हैं. लेकिन देश की असली तस्वीर दुनिया को दिखाए जाने पर कई लोगों को आपत्तियां हैं और चिनॉय को अकसर धमकियां मिलती हैं.

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Sharmeen Obaid Chinoy Regisseurin von Three Braves/Teen Bahadur
तस्वीर: SOC Films

उनकी डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘अ गर्ल इन द रिवर: द प्राइस ऑफ फॉरगिवनेस' ने 2016 में दो ऑस्कर पुरस्कार जीते. वह कहती हैं, "यह अच्छी बात है कि आखिरकार हमने इज्जत के नाम पर होने वाली हत्याओं के खिलाफ कोई कानून बनाया है और यह सख्त कानून है.”

पाकिस्तान सरकार ने अक्टूबर में एक कानून बनाकर उन कमियों को दूर करने की कोशिश की, जिनके चलते ऑनर किलिंग जैसे अपराधों में लिप्त लोग बिना किसी सजा के छूट जाते थे क्योंकि परिवार का कोई एक सदस्य उन्हें माफ कर देता है. इज्जत के नाम पर होने वाली इन हत्याओं को अकसर परिवार वाले ही अंजाम देते हैं.

अब इस तरह की माफी अपराध करने वाले को सिर्फ मौत की सजा से बचा सकती है लेकिन उम्रकैद तो उसे फिर भी मिलेगी. हालांकि जानकार नए कानून में भी कमियां बताते हैं. उनका कहना है कि अगर हत्यारा कहे कि उसने इज्जत के नाम पर नहीं, बल्कि किसी और वजह से हत्या की है, तो उस पर खून के बदले पैसे यानी ब्लड मनी वाला कानून लागू होगा.

देखिए ऑस्कर 2016 की झलकियां

पाकिस्तान में हर साल लगभग एक हजार हत्याएं इज्जत के नाम पर होती हैं. लेकिन चिनॉय का कहना है कि मॉडल और सोशल मीडिया सेलेब्रिटी की कंदील बलोच की उनके भाई के हाथों हत्या के बाद से एक बदलाव दिख रहा है. उनका मानना है कि कंदील बलोच की हत्या से पूरे देश में एक मजबूत संदेश गया. चिनॉय की राय है, "यह एक दिन में खत्म होने वाली समस्या नहीं है, लेकिन कम से कम उन लोगों को जेल भेजने की प्रक्रिया तो शुरू हो गई है जो इज्जत के नाम पर कत्ल करते हैं.”

विश्लेषक मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच पाकिस्तान सरकार को एक सख्त कानून बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इस बारे में बिल पहली बार तीन साल पहले पेश किया गया था.

वैसे तो चिनॉय मुख्य तौर पर अवॉर्ड विनिंग डॉक्यूमेंट्रीज के लिए जानी जाती हैं. लेकिन अब वह फिक्शन की दुनिया में भी हाथ आजमा रही हैं, ताकि पाकिस्तान के बदहाल सिनेमा उद्योग को कुछ सहारा दिया जा सके. पाकिस्तानी सिनेमाघरों में आम तौर पर भारतीय फिल्में ही दिखाई जाती हैं. लेकिन 2015 में रिलीज चिनॉय की पहली एनिमेशन फिल्म ने साढ़े छह लाख डॉलर की कमाई की.

पाकिस्तान में इतना प्राचीन भव्य मंदिर

वह कहती हैं, "देखिए मुझे तो कहानी कहनी है. इसलिए कोई फर्क नहीं पड़ता है कि मैं अपनी कहानी लोगों के सामने डॉक्यूमेंट्री फिल्म के जरिए रखूं या फिर एनिमेशन फिल्म के जरिए.” वैसे कुछ लोग ऐसे भी है जिन्हें चिनॉय का काम पसंद नहीं आ रहा है. ठीक नोबेल विजेता मलाला यूसुफजई की तरह उन्हें भी कई बार धमकियां दी जाती हैं.

मुस्कान के साथ चिनॉय कहती हैं, "जो भी समाज को आईना दिखाने का काम करता है या फिर उसके मुश्किल मुद्दों के बारे में बात करता है, उसे इसी तरह परेशान किया जाता है और यह कोई हैरानी की बात नहीं है.” खुद को मिलने वाली धमकियों पर वह कहती हैं, "मैंने सीधे अपना फोन उठाना ही बंद कर दिया है और धमकी भरी फोन कॉल्स को अनदेखा करने का यही बेहतर तरीका है.” जल्दी उनकी एनिमेशन फिल्म "तीन बहादुर” आ रही है, तीन छोटे सुपरहीरोज पर है.

एके/वीके (एएफपी)

Oscar-Verleihung 2012 Saving Face
तस्वीर: Reuters