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समाज

चुप्पी को चीरतीं पाकिस्तान की महिलाएं

१८ जनवरी २०१८

"मैं जब चार साल की थी तो मेरे साथ पहली बार यौन दुर्व्यवहार हुआ." पाकिस्तान की जानी मानी महिलाएं अब यौन अपराधों पर चुप्पी तोड़ रही हैं. सात साल की बच्ची के बलात्कार और हत्याकांड ने देश को आईना दिखा दिया है.

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Protest in Karachi nach der Ermordung der siebenjährigen Zainab
तस्वीर: Faria Sahar

16 दिसंबर 2012 के निर्भया कांड ने जिस तरह भारत को झकझोरा, वैसा ही कुछ 9 जनवरी 2017 को पाकिस्तान में हुआ. कसूर शहर में पुलिस को सात साल की बच्ची जैनब अंसारी का शव मिला. चार दिन से लापता बच्ची से बलात्कार किया गया था. बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर शव कूड़ेदान में फेंक दिया गया. पाकिस्तान के कसूर शहर में साल भर के भीतर 12 बच्चों की मौत हो चुकी है. शक है कि शहर में बच्चों का सीरियल किलर घूम रहा है.

लेकिन बात सिर्फ एक मामले की नहीं है. पाकिस्तान में महिलाओं और बच्चों का यौन शोषण कोई नई बात नहीं, लेकिन अब तक समाज इस पर चुप्पी साधे रहता था. जैनब की मौत के गुस्से ने चुप्पी को चीर दिया. देश भर में कई जगह प्रदर्शन हुए. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई की अगुवाई की. विरोध प्रदर्शनों में अब तक दो लोग मारे जा चुके हैं.

अब पाकिस्तान की महिलाएं भी यौन हमलों के अनुभव सामने रख रही हैं. पाकिस्तान की तीन मशहूर हस्तियों ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर का सहारा लेते हुए बात रखी. अब लंदन में रहने वाली अभिनेत्री नादिया जमील ने कहा, "मैं जब चार साल की थी तो मेरे साथ पहली बार यौन दुर्व्यवहार हुआ. लोगों ने मुझसे कहा कि परिवार के सम्मान की खातिर मुझे बोलना नहीं चाहिए. क्या मेरे परिवार का सम्मान मेरे बदन में बंद है? हर जगह लोग ऐसा करते हैं, लेकिन फिर भी मेरा परिवार चाहता है कि मैं चुप रहूं."

कुछ इसी तरह का ट्वीट फैशन डिजायनर माहीन खान ने भी किया. माहीन के मुताबिक उनके साथ पहली बार यौन दुर्व्यवहार उन्हें कुरान पढ़ाने वाले मौलवी ने किया, "दिन ब दिन मैं डर के मारे कांपती गई."

कुछ ऐसा ही दुखद अनुभव फरियाह अल्ताफ ने भी साझा किया. पाकिस्तान के सबसे बड़े अवॉर्ड फंक्शन लक्स स्टाइल अवॉर्ड का निर्देशन कर चुकी फरियाह के मुताबिक उनके घरेलू रसोइये ने पहली बार उनका यौन शोषण किया. तब फरियाह सिर्फ छह साल की थीं, "मेरे माता पिता ने कार्रवाई की लेकिन सब ऐसे चुप हो गए जैसे मेरी वजह से शर्मिंदगी हुई हो."

फरियाह को लंबे समय तक इसकी वजह से मानसिक परेशानी हुई. 34 साल की उम्र में जब वह मनोचिकित्सक के पास गईं तब जाकर इन बुरी यादों से पीछा छुड़ाने का रास्ता मिला.

ओएसजे/आईबी (थॉमस रॉयटर्स फाउंडेशन)