एक अरब पेड़ लगाने से जीतेंगे इमरान खान?
१५ सितम्बर २०१७जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम जिन देशों को सबसे ज्यादा भुगतने पड़ रहे हैं, पाकिस्तान का नाम भी उनमें शामिल है. फिर भी, पर्यावरण संरक्षण पाकिस्तान के सियासी पटल पर एक महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं माना जाता. लेकिन तहरीक ए इंसाफ पार्टी के मुखिया इमरान खान अपने गृह प्रांत खैबर पख्तून ख्वाह में नयी पहल कर रहे हैं. इस प्रांत में 2013 से तहरीक ए इंसाफ पार्टी की सरकार है. इमरान खान की पार्टी ने अब एक अरब पेड़ लगाने की बिलियन ट्री सुनामी पहल शुरू की है.
इस तरह खैबर पख्तून ख्वाह की सरकार दुनिया की पहली सरकारी संस्था बन गयी है जो काटे जा चुके 35 लाख हेक्टेयर से ज्यादा के जंगलों को बहाल करने के बॉन चैलेंज को पूरा करने के लिए कदम उठा रही है.
इमरान खान कहते हैं, "मैं पाकिस्तान के उत्तर में सभी पहाड़ों पर गया हूं और यह देखकर मैं हैरान हूं कि सभी जंगलों को काटा जा रहा है." उन्होंने कहा कि पेड़ लगाकर खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत ने एक अहम कदम उठाया है जिससे भावी पीढ़ी को पर्यावरण में आ रहे बदलाव के खतरनाक प्रभावों से बचाया जा सकेगा.
इमरान खान ने बताया कि बिलियन ट्री सुनामी पहल का मकसद खैबर पख्तून ख्वाह के जंगल क्षेत्र को 2018 तक बढ़ा कर 27 प्रतिशत करना है जो 2013 में 22 प्रतिशत था. उन्होंने कहा कि इसके लिए जंगल वाले इलाकों में नये राष्ट्रीय उद्यान बनाये जाएंगे. पाकिस्तान के 40 प्रतिशत से ज्यादा प्राकृतिक जंगल खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत में ही हैं.
अगस्त में पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में इमरान खान ने दूसरे राजनेताओं से भी ऐसा ही करने को कहा. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को देखते हुए यह बहुत जरूरी है.
तहरीक ए इंसाफ पार्टी ने घोषणा की है कि पर्यावरण संरक्षण उसके चुनावी घोषणापत्र के चार मुख्य स्तंभों में से एक होगा. इसके अलावा पार्टी का जोर गरीबी को कम करने, प्रशासन के लिए योग्यता आधारित व्यवस्था शुरू करने और सरकार को अधिक जवाबदेह बनाने पर होगा.
अगले साल होने वाले चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपनी प्रचार मुहिम और रैलियां शुरू कर दी हैं. संभवत जून 2018 में पाकिस्तान में आम चुनाव हो सकते हैं. कई राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हाल में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अयोग्य करार दिये जाने के बाद जिस तरह नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा, उसे देखते हुए चुनावों में इमरान खान को कामयाबी मिलने की अच्छी संभावनाएं हैं.
जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ और अमेरिका की बॉस्टन यूनिवर्सिटी में फ्रेडरिक एस पारडी स्कूल ऑफ ग्लोबल स्टडीज के डीन आदिल नजम कहते हैं, "इमरान खान निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री बनने की रेस में शामिल हैं. लेकिन बिलियन ट्री सुनामी का उन्हें कोई बहुत फायदा नहीं मिलेगा. इस बात के कोई संकेत नहीं है कि किसी राजनेता को पेड़ लगाने से वैसा कोई चुनावी फायदा मिल सकता है." हालांकि इतना वह जरूर मानते हैं कि इस पहल की वजह से कम से कम इमरान खान की पार्टी के कार्यकर्ताओं में पर्यावरण के मुद्दों को लेकर जागरूकता बढ़ेगी.
पर्यावरण संरक्षण के पैरोकार और लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज में लेक्चरर रहे राफे आलम कहते हैं कि मतदाताओं के लिए भ्रष्टाचार, रोजगार, बिजली और गैस की किल्लत और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े मुद्दे ज्यादा अहमियत रखते हैं. पाकिस्तानी राजनेता अभी तक पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को मुख्यधारा की राजनीति में नहीं लेकर आये हैं. उनके मुताबिक, "बिलियन ट्री सुनामी एक कमाल की पहल है और जो भी लोग इससे जुड़े हैं उनकी सराहना होनी चाहिए. लेकिन मैंने कभी नहीं देखा है कि पर्यावरण से जुड़ी कोई पहल आपको लोगों के वोट दिला पाये."
एके/एमजे (रॉयटर्स)