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एक तिहाई नई दवाओं में कुछ नया नहीं होता: स्टडी

६ जनवरी २०१७

दवा कंपनियां नई नई दवाएं बाजार में उतारती रहती हैं. लेकिन एक स्टडी कहती है कि इनमें से एक तिहाई दवाएं तो वैसी ही होती हैं, जैसी उनसे पहले वाली थीं.

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China, Krebspatienten so weit von Zuhause entfernt
तस्वीर: REUTERS/K.-H. Kim

बाजार में जो नई दवाएं आ रही हैं उनमें नया कुछ नहीं है. जर्मन पब्लिक हेल्थ इन्श्योरर्स असोसिएशन (जीकेवी) ने एक अध्ययन कराया तो पता चला कि 2012 से बाजार में जो नई 129 दवाएं आई हैं उनमें से एक तिहाई (44) ही ऐसी थीं जिनमें कुछ नए या बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए थे. 44 दवाएं ऐसी थीं जो कुछ मरीजों पर तो असर कर पाईं लेकिन ज्यादातर के लिए कुछ नया नहीं कर पाईं. और एक तिहाई तो ऐसी थीं कि उनमें कुछ भी सुधार नहीं था.

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जर्मनी के कई अखबारों ने यह रिपोर्ट सनसनीखेज हेडलाइंस के साथ छापी है कि एक तिहाई नई दवाएं बेकार हैं. हालांकि इन्हें बेकार कहना सही नहीं होगा, अनावश्यक कहा जा सकता है. फेडरल इंस्टिट्यूट फॉर मेडिकेशन एंड मेडिकल प्रॉडक्ट्स के प्रवक्ता माइक पोमर ने इस बारे में डॉयचे वेले से कहा, "इस पूरी बहस के केंद्र में दवाओं का असर नहीं है बल्कि यह बात है कि जो नई दवाएं आ रही हैं वे कुछ अतिरिक्त फायदे पहुंचा रही हैं या नहीं."

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जीकेवी की उप प्रवक्ता ऐन मारिनी ने इस बात पुष्टि की है कि एक तिहाई दवाओं में कोई सुधार नहीं मिला है लेकिन उन्होंने कहा कि पूरी बात अखबारों में नहीं छपी है. दरअसल इस स्टडी के नतीजे लीक हो गए और वे ही अखबारों में छपे हैं. मारिनी कहती हैं कि जो कुछ अखबारों में छपा है, वह एक तरह का विश्लेषण है और पूरी स्टडी नहीं है. लेकिन वह भी मानती हैं कि आंकड़े जरूरी हैं. उन्होंने कहा, "जब कोई दवा बाजार में आती है तो उस पर नया लेबल लगा होता है. लेकिन हमें नहीं पता होता था कि इसमें कुछ नया है भी या नहीं. या फिर जो दवा पहले से बाजार में है, क्या यह दवा उससे बेहतर है? इसलिए हमने एक अहम कदम उठाया है."

हालांकि यह बड़ा कदम दवा कंपनियों के लिए बुरी खबर हो सकता है.

जेफर्सन चेज/वीके