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एनएसजी में नए सदस्य देशों की एंट्री का सवाल

ऋतिका पाण्डेय (पीटीआई)२१ जून २०१६

चीनी सरकारी मीडिया की रिपोर्ट में लिखा गया है कि अगर न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप, एनएसजी में भारत को प्रवेश मिलता है तो पाकिस्तान के लिए भी यह छूट होनी चाहिए.

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तस्वीर: picture alliance/AP Images

चीन के सरकारी मीडिया में पाकिस्तान के परमाणु रिकॉर्ड की खूब वकालत की गई है. सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया है कि असल में परमाणु प्रसार करने वाले पाकिस्तानी वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान को सरकारी समर्थन नहीं प्राप्त था. चीन का मानना है कि अगर न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप, एनएसजी में भारत को प्रवेश मिलता है तो पाकिस्तान के लिए भी यह छूट मिलनी चाहिए.

चीनी अखबार लिखता है, "एक ओर जब भारत एनएसजी में प्रवेश की कोशिशें कर रहा है, तो वहीं वह पाकिस्तान के इसमें प्रवेश का यह कह कर विरोध भी करता है कि परमाणु प्रसार को लेकर पाकिस्तान का रिकॉर्ड खराब रहा है. दरअसल, प्रसार का काम पाकिस्तान के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान ने किया था, लेकिन ऐसा करना पाकिस्तानी सरकार की कोई आधिकारिक नीति नहीं थी."

ऐसा शायद पहली बार हुआ हो कि चीनी सरकारी मीडिया की ओर से एनएसजी में पाकिस्तान को शामिल किए जाने के लिए इतने साफ शब्दो में वकालत की गई है. अखबार ने लिखा है, "खान को बाद में सरकार ने कई सालों तक नजरबंदी की सजा भी दी थी. अगर परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) और एनएसजी में भारत को छूट दी जाती है तो वह पाकिस्तान पर भी लागू होनी चाहिए." आधिकारिक तौर पर चीन का मत रहा है कि किसी भी सदस्य को स्वीकार करने पर सभी एकमत होने चाहिए.

पाकिस्तानी वैज्ञानिक खान को 2004 में स्वीकार करना पड़ा था कि उन्होंने परमाणु तकनीक के प्रसार का काम किया. उसके बाद उन्हें नजरबंद करने का फैसला हुआ. लेकिन 2009 में ही इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने खान को एक स्वतंत्र नागरिक घोषित कर दिया और पूरे देश में कहीं भी आने जाने की आजादी दे दी.

अखबार के इस लेख का शीर्षक था 'भारत के एनएसजी में जुड़ने में चीन रोड़ा नहीं.' इस लेख में विस्तार से यह बताया गया कि "चीन और बाकी देशों को इस बात पर आपत्ति है कि भारत को एनएसजी में ले लिया जाए और पाकिस्तान को छोड़ दिया जाए क्योंकि इसका अर्थ होगा भारत की समस्या सुलझाना लेकिन एक और बड़ी समस्या खड़ी करना. अगर भारत और पाकिस्तान साथ साथ एनएसजी सदस्यता लें तो वह स्थिति ज्यादा व्यावहारिक होगी, बजाए अकेले आने के."

भारत और पाकिस्तान दोनों ने 1998 में परमाणु परीक्षण किए थे, जिनकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने निंदा की थी. इसके बाद अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान ने दोनों ही परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसी देशों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिये थे. 11 सितंबर को अमेरिका में हुए आतंकी हमले के बाद से धीरे धीरे यह प्रतिबंध हटने शुरू हुए. 2005 में अमेरिका ने भारत के साथ नागरिक परमाणु समझौता भी किया. अब अमेरिका भारत को एनएसजी में शामिल किए जाने का समर्थन भी कर चुका है.

एनएसजी के सदस्यों की बैठक दक्षिण कोरियाई राजधानी सोल में जारी है. चीनी विदेश मंत्रालय ने बताया था कि भारत की सदस्यता का मुद्दा इस बार के अजेंडा में शामिल ही नहीं है. इसके एक दिन पहले ही भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस बात की आशा जताई थी कि "एनएसजी में भारत के प्रवेश के लिए चीन को मनाया जा सकेगा."