चीन में उत्तर कोरियाई महिलाओं की जिंदगी
उत्तर कोरिया की ये महिलाएं आंखों में कई सपने लेकर चीन में काम करने आयीं. लेकिन उनकी जिंदगी यहां भी नहीं बदली. कदम कदम पर निगरानी ही नहीं, बल्कि अपनी मेहनत का पूरा पैसा भी उनके हाथ में नहीं आता.
बंदिशें
चीन के हुनचुन शहर में काम करने वाली इन उत्तर कोरियाई महिलाओं में ज्यादातर की उम्र 20 वर्ष के आसपास है. चीन आने से पहले ही उन्हें दो ग्रुपों में बांटा गया और हर ग्रुप एक ग्रुप लीडर की निगरानी में रहता है. इन्हें अपनी मर्जी से कहीं भी आने जाने की छूट नहीं है.
सरकार की भरती जेबें
इन्हें अपने घरों को न तो फोन की करने की अनुमति है और न ही ईमेल भेजने की. ये जितना कमाती हैं उसका सिर्फ 30 फीसदी ही इन्हें मिलता है, बाकी 70 फीसदी उत्तर कोरिया की सरकार के खाते में जाता है. इन्हें चीनी लोगों से घुलने मिलने की इजाजत भी नहीं है.
मनोरंजन
इनके रहने की जगह आम तौर पर फैक्ट्री के पास ही होती है और ये एक साथ काम के लिए निकलती हैं. इनके कमरों में लगे टीवी पर सिर्फ उत्तर कोरियाई कार्यक्रम आते हैं. लेकिन इनके अपने खुद के सांस्कृतिक और खेलकूद से जुड़ी गतिविधियां होती रहती हैं.
खरीददारी
अपने कमरों से वे निकलती हैं तो उनकी सबसे पसंदीदा जगह होती है सड़क किनारे लगने वाला बाजार. यहां भी उन्हें महंगी चीजें न खरीदने की हिदायत दी जाती है. दक्षिण कोरियाई न्यूडल्स की बजाय वे सस्ते चीनी नूडल्ड खरीदती हैं. वे फलों के सिर्फ दाम पूछती हैं, खरीदती नहीं हैं.
लाइन लगाओ..
इन्हें न तो काम छोड़ने की इजाजत है और न ही अकेले रहने की. यहां तक कि बाजार में सामान खरीदने के बाद, "घर" जाने से पहले भी उन्हें बाकायदा लाइन लगानी पड़ती है, ताकि ग्रुप लीडर उनकी गिनती कर सके और देख सके कि कोई कम तो नहीं है.
तालाबंदी
उत्तर कोरिया पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण सितंबर में चीन ने कई उत्तर कोरियाई कंपनियों को बंद करने का फैसला लिया. हुनचुन में सीफूड से जुड़ी एक कंपनी को इसी कारण बंद किया गया है.
अलग थलग
चीन उत्तर कोरिया का अब तक करीबी सहयोगी रहा है. वहां बड़ी संख्या में उत्तर कोरियाई लोग काम करने आते हैं. लेकिन उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम के कारण लगातार दुनिया में अलग थलग पड़ता जा रहा है.