जहां पानी नहीं होता वहां खून बहता है
१ जुलाई २०१६इमरत नामदेव और उनकी बहन पुष्पा मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में पड़ोसी थे. यह बुंदेलखंड का सूखाग्रस्त इलाका है. दोनों एक ही कुएं से पानी भरती थीं. और पुलिस का कहना है कि इस बात को लेकर झगड़ा होता रहता था कि कौन ज्यादा पानी ले जा रहा है.
मई में पानी पर इसी तरह झगड़ा शुरू हुआ तो 42 साल की पुष्पा ने 48 साल की अपनी बड़ी बहन इमरत को मारना शुरू किया. इतना मारा कि इमरत अधमरी हो गई. उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन बचाया ना जा सका. पुष्पा अब हत्या के आरोप में जेल में है.
इमरत के बेटे जीतेंद्र ने बताया, “हमारे गांव में पानी की बहुत कमी है. पुष्पा को हमेशा लगता था कि मेरी मां कुएं से ज्यादा पानी निकालती है.”
क्या होगा गर जंगल न हों
भारत का मध्य और उत्तरी हिस्सा इस तरह की दुखद घटनाओं से भरा पड़ा है. जहां-जहां सूखा पड़ा, वहां पानी नहीं बहा, लेकिन खून काफी बहा. पुलिस का कहना है कि बुंदेलखंड और दूसरे सूखाग्रस्त इलाकों में हिंसक अपराधों में बढ़ोतरी हुई है, खासकर पानी को लेकर झगड़ों में.
इस इलाके में करीब 10 साल से औसत से कम बारिश हो रही है. इलाके के कुएं, पोखर, तालाब सूख चुके हैं. और साथ ही सूख रहे हैं कलेजे, जिनमें सहने की शक्ति हुआ करती थी. यहां तक जिगरी यार और परिवार के लोग भी एक दूसरे की जान के दुश्मन हुए जा रहे हैं.
पिछले महीने अलीराजपुर जिले में 13 साल की सुरमादा, उसके भाई और उसके चाचा ने पड़ोसी के नलके से पानी ले लिया, बिना पूछे. क्यों लिया? क्योंकि घर में मेहमान आए थे.
पुलिस बताती है कि नलके के मालिक और उसके बेटे ने तीनों पर तीरों से हमला कर दिया. एक तीर सुरमादा की आंख में लगा और उसकी जान चली गई.
बूंद बूंद को तरसना क्या होता है, देखिए
मध्य प्रदेश के शहरी विकास मंत्री लाल सिंह आर्य कहते हैं कि सरकार पानी उपलब्ध कराने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है लेकिन तनाव तो रहेगा. वह कहते हैं, “दो लगातार साल तक सूखा पड़ने के बाद झगड़े तो बढ़े हैं लेकिन मॉनसून के बाद हालत सुधर जाएगी.”
लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार समस्या को सलीके से संभाल नहीं पा रही है इसलिए हालत खराब हुई है. पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था प्रयत्न के अजय दूबे कहते हैं, “अभी जो संकट है, वह जल संसाधनों के खराब प्रबंधन, बर्बादी और जरूरत से ज्यादा उपभोग से पैदा हुआ है. पानी के लिए लोग सारी हदें पार कर रहे हैं. वे हालात सुधरने की उम्मीद ही खो चुके हैं. पहले हालात इतने बुरे कभी नहीं थे.”
मध्य प्रदेश के जल संसाधन विभाग के मुताबिक राज्य में 139 जलाशय हैं जिनमें से 22 एकदम खाली हो चुके हैं. 82 में क्षमता का बस 10 फीसदी पानी बचा है. ज्यादातर शहरों में पानी की सप्लाई दो दिन में एक बार होती है. कई जगह तो एक हफ्ते में एक बार.
और गांव खाली हो रहे हैं.
वीके/आरपी (रॉयटर्स)