मैर्केल का तुर्की दौरा, घटेंगी दूरियां?
२ फ़रवरी २०१७जर्मनी और तुर्की के बीच अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से लेकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जैसे कई मुद्दों पर हाल के समय में तीखे मतभेद उभर कर सामने आए हैं. मैर्केल के इस दौरे को दूरियां पाटने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
अपने एक दिन के दौरे में मैर्केल अंकारा में तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोवान और प्रधानमंत्री बिनाली इल्दिरीम से मिलेंगी. अधिकारियों के अनुसार तुर्की में विपक्षी कुर्द समर्थक पार्टियों के नेताओं से मिलने का भी उनका कार्यक्रम है.
यूरोप के साथ तुर्की के आप्रवासन समझौते, सीरिया में इस्लामिक स्टेट से निपटने के मुद्दे पर सहयोग, खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान और मानवाधिकारों के मुद्दे मैर्केल के एजेंडे में शामिल हैं. लेकिन तुर्की में पिछले साल हुए नाकाम तख्तापलट की कोशिश के बाद जिस तरह एर्दोवान सरकार ने अपने आलोचकों के खिलाफ मुहिम छेड़ी है, जर्मनी ने उसका खुल कर विरोध किया है.
देखिए तुर्की में तख्तापलट क्यों नाकाम हुआ
तुर्की ने जर्मनी पर कुर्द और धुर-वामपंथी चरमपंथियों को शरण देने का आरोप भी लगाया, जिसे जर्मनी खारिज करता है. यूरोपीय संघ और अमेरिका कुर्दिश वर्कर्स पार्टी (पीकेके) को आतंकवादी गुट मानता है. तुर्की के उप प्रधानमंत्री वेयसी कायनाक ने सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलू से बातचीत में कहा, "जर्मनी ने आतकंवादियों को शरण दी है, वह भी जब तुर्की मुश्किल में था.”
जर्मन मीडिया में पिछले दिनों आई खबरों के मुताबिक जर्मनी में नाटो के लिए काम कर रहे तुर्की के 40 बड़े सैन्य अफसरों ने शरण मांगी है. तुर्की के रक्षा मंत्री ने जर्मनी से कहा है कि इन लोगों के आवेदन खारिज कर दिए जाएं और अगर ऐसा नहीं हुआ तो दोनों देशों के संबंधों पर इसका बुरा असर होगा.
जर्मनी का कहना है कि इन आवेदनों के सिलसिले में एक-एक कर हर मामले को देखा जाएगा और फिर कोई फैसला होगा. तुर्की में तख्तापलट की कोशिश के बाद लगभग एक लाख लोगों को बर्खास्त या निलंबित किया गया है. इनमें पुलिस, सेना, सिविल सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे लोग शामिल हैं. लगभग 40 हजार लोग जेलों में बंद हैं और उनके खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं.
एके/वीके (रॉयटर्स, डीपीए)
देखिए तुर्की का कबूतर बाजार