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'क्या आप HIV पॉजिटिव हैं? शादी करेंगे?'

वीके/ओएसजे (रॉयटर्स)१ अगस्त २०१६

नाइजीरिया की राजधानी अबुजा में एक व्यक्ति एचआईवी पॉजिटिव लोगों की शादी कराता है. अब तक उसने 100 शादियां करा दी हैं.

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Menschenhandel in Nigeria
तस्वीर: picture-alliance/Ton Koene

माइकल के दफ्तर में घुसते ही आपकी नजर सबसे पहले जिस चीज पर पड़ेगी वे हैं कॉन्डम के डिब्बे. एक, दो नहीं. दर्जनों. और फाइलों का ढेर है, जिनमें वे 100 से ज्यादा नाम दर्ज हैं जिनकी शादी माइकल ने कराई है. नाइजीरिया की राजधानी अबुजा में काम करने वाले माइकल पूरे जोश से इन शादियों के बारे में बात करते हैं. ये कोई सामान्य शादियां नहीं थीं. और माइकल जो काम कर रहे हैं, वह भी सामान्य नहीं है. वह एचआईवी पीड़ित लोगों की शादी कराते हैं.

डेटिंग ऐप और मैचमेकिंग वेबसाइट्स के जमाने में किसी को भी लग सकता है कि माइकल के पास कौन आता होगा. माइकल के पास बैठो तो ऐसा नहीं लगता. उनका फोन लगातार बजता है. और वह बताते हैं कि ज्यादातर कॉल आधी रात के बाद आते हैं क्योंकि तब फोन करना सस्ता पड़ता है. वह कहते हैं, "कई बार तो मैं कई-कई दिन तक सो नहीं पाता हूं."

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45 साल के माइकल ने 2012 में यह काम शुरू किया. उनका मकसद था नाइजीरिया के उन लोगों की मदद करना, जो तिरस्कृत हैं. एचआईवी से पीड़ित हो जाने के बाद समाज से उन्हें बस तिरस्कार और घिन ही मिली. उनके पास कोई 7 हजार ग्राहक हैं. उनकी उम्र 19 से लेकर 72 साल तक है. एक व्यक्ति से वह 2 हजार नाएरा लेते हैं, यानी छह डॉलर्स. लेकिन बेरोजगारों से वह इतना भी नहीं लेते, उनके लिए सेवा मुफ्त है. वह ग्राहकों से वादा तो नहीं करते लेकिन उम्मीद जरूर बंधाते हैं.

नाइजीरिया में एचआईवी बाकी अफ्रीकी देशों के मुकाबले कम है. वहां हर 30 में से एक व्यक्ति एचआईवी पॉजिटिव है जबकि यूएनएड्स की रिपोर्ट के मुताबिक साउथ अफ्रीका में यह आंकड़ा 5 में से एक पर आ चुका है. लेकिन आंकड़े शोषण को प्रभावित नहीं करते. नाइजीरिया में मरीज कम हों लेकिन शोषण उतना ही है. यहां के करीब 35 लाख एचआईवी पॉजिटिव लोग सामान्य अधिकारों के लिए भी संघर्ष करते हैं, मसलन नौकरी पाना या यूनिवर्सिटी में दाखिला. नाइजीरिया की नेशनल एजेंसी फॉर द कंट्रोल ऑफ एड्स के डायरेक्टर जॉन इडोको बताते हैं कि इस सामाजिक भेदभाव के कारण ही 90-90-90 का एजेंडा पूरा नहीं हो पा रहा है. यूएन का मकसद है कि 2020 तक एचआईवी पॉजिटिव में से 90 फीसदी लोगों को अपने बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए. 90 फीसदी लोगों का इलाज शुरू हो जाना चाहिए. और 90 फीसदी लोगों के इलाज का असर दिखने लगना चाहिए.

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माइकल की कोशिश इसी भेदभाव के खिलाफ लड़ाई का हिस्सा है. वह कभी यूरोप जाना चाहते थे. छह साल पहले उन्होंने कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं हुए. फिर उनकी नौकरी भी चली गई. बाद में उन्होंने एक कैथलिक संस्था के साथ काम करना शुरू किया. 2012 में उन्होंने एचआईवी मैचमेकिंग सर्विस शुरू की. उन्हें पैसा कहीं से नहीं मिला. सरकार से भी कोई मदद नहीं मिली. फिर एक रात उन्होंने अपने पोस्टर लिए और अबुजा की गलियों में चिपका दिए. वह बताते हैं, "अगले दिन सुबह से मेरा फोन बजना शुरू हो गया. दर्जनों फोन आए."

लोग उनसे भिन्न भिन्न तरह की मदद मांगते हैं. कोई जानना चाहता है कि बच्चा तो एचआईवी पॉजिटिव तो नहीं होगा. किसी को अपने लिए अपने जैसा पति चाहिए होता है. पर ऐसा भी नहीं है कि सभी को उनका यह काम पसंद आता हो. उनके पोस्टर्स फाड़े गए हैं. उन्हें धमकी भरे फोन आते हैं. वह बताते हैं, "लोग मुझे अवैध सेक्स को बढ़ावा देने वाला कहते हैं."

ज्यादातर ग्राहक फोन पर बात करने के बाद निजी मुलाकात चाहते हैं. उनके ज्यादातर ग्राहकों में आत्महत्या का विचार आ चुका होता है. लेकिन माइकल से मिलने के बाद वह उम्मीद लेकर लौटता है. नए जीवन की उम्मीद.