मलेशिया में नन्हे मुन्नों का हज
मलेशिया में "छोटा हज" नाम से बच्चों के लिए एक खास कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसमें बच्चों को बताया गया कि हज कैसे होती है. देखिए इन नन्हे हाजियों को.
मकसद
इस कार्यक्रम के आयोजकों का कहना है कि इसका मकसद बच्चों को भविष्य में हज के लिए तैयार करना है ताकि जब वे कभी हज पर जायें तो उन्हें किसी तरह की चिंता न हो.
नन्हे हाजी
इस आयोजन में लगभग चार हजार बच्चों ने हिस्सा लिया और उन्होंने ठीक वैसे ही कपड़े पहने हुए थे जैसे हज यात्रा पर श्रद्धालु पहनते हैं. सभी के कंधों पर हरे रंग के बैग लटके हुए थे.
काबे की परिक्रमा
यह आयोजन मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर के बाहर आयोजित किया गया और खुले आकाश के नीचे काबे का एक मॉडल बनाया गया. बच्चों ने इसके इर्द गिर्द वैसे ही परिक्रमा की जैसे हज में करते हैं.
सबसे पवित्र स्थल
सऊदी अरब के मक्का में स्थित काले कपड़े से ढकी वर्गाकार इमारत काबा मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र स्थल है. हर साल दुनिया के अलग अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग हज यात्रा पर जाते हैं.
पत्थर मारने की रस्म
इस छोटे हज में बच्चों ने शैतान को पत्थर मारने की रस्म को भी पूरा किया. इसके लिए कागज के पत्थर बनाये गये. मलेशिया से हर साल लगभग 27 हजार लोग हज के लिए जाते हैं.
तस्वीरें की मदद
बच्चों को तस्वीरों के माध्यम से यह भी बताया कि हज में क्या क्या करना है और कब कब. इस फोटो में एक बच्चा हज के विभिन्न चरणों को समझने की कोशिश कर रहा है.
उत्साहित बच्चे
आयोजकों का कहना है कि बच्चों ने पूरे उत्साह के साथ इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और उनमें से बहुत से अब सच में हज पर जाना चाहते हैं.
हज की अहमियत
हज इस्लाम धर्म के पांच स्तंभों में से एक है. सक्षम मुसलमानों के लिए जीवन में एक बार हज करना जरूरी माना जाता है और यह उनके आध्यात्मिक जीवन में बहुत अहमियत रखता है.
मलेशिया
मलेशिया एक मुस्लिम बहुल देश है. तीन करोड़ से ज्यादा आबादी वाला मलेशिया दक्षिण पूर्व एशिया के समृद्ध देशों में गिना जाता है. देश के अल्पसंख्यक समुदायों में बौद्ध, ईसाई और हिंदू शामिल हैं.