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कला

मधुबाला: जो कभी मुमताज जहां देहलवी थीं

१४ फ़रवरी २०१८

मधुबाला का नाम हिंदी सिनेमा की उन अभिनेत्रियों में शामिल है, जो पूरी तरह सिनेमा के रंग में रंग गईं और अपना पूरा जीवन इसी के नाम कर दिया.

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Madhubala - Schauspielerin
तस्वीर: picture-alliance/Mary Evans Picture Library

मधुबाला को अभिनय के साथ-साथ उनकी सुंदरता के लिए भी जाना जाता है. उन्हें 'वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा' और 'द ब्यूटी ऑफ ट्रेजेडी' जैसे नाम भी दिए गए. मधुबाला का जन्म 14 फरवरी, 1933 को दिल्ली में हुआ था. इनके बचपन का नाम मुमताज जहां देहलवी था. इनके पिता का नाम अताउल्लाह और माता का नाम आयशा बेगम था. शुरुआती दिनों में इनके पिता पेशावर की एक तंबाकू फैक्ट्री में काम करते थे. वहां से नौकरी छोड़ उनके पिता दिल्ली, और वहां से मुंबई चले आए, जहां मधुबाला का जन्म हुआ.

वेलेंटाइन डे वाले दिन जन्मीं इस खूबसूरत अदाकारा के हर अंदाज में प्यार झलकता था. उनमें बचपन से ही सिनेमा में काम करने की तमन्ना थी, जो आखिरकार पूरी हो गई.

कब बदला नाम

मुमताज ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1942 की फिल्म 'बसंत' से की थी. यह काफी सफल फिल्म रही और इसके बाद इस खूबसूरत अदाकारा की लोगों के बीच पहचान बनने लगी. इनके अभिनय को देखकर उस समय की जानी-मानी अभिनेत्री देविका रानी बहुत प्रभावित हुईं और उन्होंने मुमताज जहां देहलवी को अपना नाम बदलकर 'मधुबाला' रखने की सलाह दी.

वर्ष 1947 में आई फिल्म 'नील कमल' मुमताज के नाम से आखिरी फिल्म थी. इसके बाद वह मधुबाला के नाम से जानी जाने लगीं. इस फिल्म में महज चौदह वर्ष की मधुबाला ने राजकपूर के साथ काम किया. 'नील कमल' में अभिनय के बाद से उन्हें सिनेमा की 'सौंदर्य देवी' कहा जाने लगा.

इसके दो साल बाद मधुबाला ने बॉम्बे टॉकिज की फिल्म 'महल' में अभिनय किया और फिल्म की सफलता के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उस समय के सभी लोकप्रिय अभिनेताओं के साथ उनकी एक के बाद एक फिल्में आती रहीं. मधुबाला ने अशोक कुमार, रहमान, दिलीप कुमार और देवानंद जैसे कलाकारों के साथ काम किया.

अभिनय पर उठे सवाल

वर्ष 1950 के दशक के बाद उनकी कुछ फिल्में नाकाम भी हुईं. असफलता के समय आलोचक कहने लगे थे कि मधुबाला में प्रतिभा नहीं है बल्कि उनकी सुंदरता की वजह से उनकी फिल्में हिट हुई हैं. इसके बावजूद मधुबाला कभी निराश नहीं हुईं. कई फिल्में फ्लॉप होने के बाद 1958 में उन्होंने एक बार फिर अपनी प्रतिभा को साबित किया और उसी साल उन्होंने भारतीय सिनेमा को 'फागुन', 'हावड़ा ब्रिज', 'काला पानी' और 'चलती का नाम गाड़ी' जैसी सुपरहिट फिल्में दीं.

वर्ष 1960 के दशक में मधुबाला ने किशोर कुमार से शादी कर ली. शादी से पहले किशोर कुमार ने इस्लाम धर्म कबूल किया और नाम बदलकर करीम अब्दुल हो गए. उसी समय मधुबाला एक भयानक बीमारी का शिकार हो गईं. शादी के बाद इलाज के लिए दोनों लंदन चले गए. लंदन के डॉक्टर ने मधुबाला को देखते ही कह दिया कि वह दो साल से ज्यादा जीवित नहीं रह सकतीं.

इसके बाद लगातार जांच से पता चला कि मधुबाला के दिल में छेद है और इसकी वजह से इनके शरीर में खून की मात्रा बढ़ती जा रही थी. डॉक्टर भी इस रोग के आगे हार मान गए और कह दिया कि ऑपरेशन के बाद भी वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएंगी. इसी दौरान उन्हें अभिनय छोड़ना पड़ा.

ना बन सकी निर्देशक

इसके बाद उन्होंने निर्देशन में हाथ आजमाया. वर्ष 1969 में उन्होंने फिल्म 'फर्ज और इश्क' का निर्देशन करना चाहा, लेकिन यह फिल्म नहीं बनी और इसी वर्ष अपना 36वां जन्मदिन मनाने के नौ दिन बाद 23 फरवरी,1969 को हुस्न की मलिका दुनिया को छोड़कर चली गईं.

उन्होंने लगभग 70 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया. इनमें 'बसंत', 'फुलवारी', 'नील कमल', 'पराई आग', 'अमर प्रेम', 'महल', 'इम्तिहान', 'अपराधी', 'मधुबाला', 'बादल', 'गेटवे ऑफ इंडिया', 'जाली नोट', 'शराबी' और 'ज्वाला' जैसी फिल्में शामिल हैं.

एके/एनआर (आईएएनएस)