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कैद से छूटे भालुओं को बचाने की कोशिश

१५ नवम्बर २०१६

भालुओं के पित्त के रस से दवाई बनती है. इस कारण इन जानवरों को क्या क्या यातनाएं सहनी पड़ती हैं. लाओस का एक केंद्र ऐसे भालुओँ की मदद करने की कोशिश कर रहा है.

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Georgien entlaufenene Zootiere nach Überflutung in Tiflis
तस्वीर: Reuters/Georgian Prime Minister`s Office/B. Gulashvili

कुंग फू शेल्टर का सबसे नया निवासी है. वह अभी सिर्फ 4 महीने का है. भालू का ये बच्चा एकदम मरियल सा था जब उसे अवैध पशु व्यापारियों के हाथों से बचाया गया था. फातोंग यांग उसे तंदरुस्त बनाने में लगे हैं. कूंग फू के अलावा फ्री द बेयर्स संगठन के पशु संरक्षकों ने इस साल और तीन भालू बच्चों को बचाया है. पशु संरक्षक फातोंग यांग कहते हैं कि आम तौर पर पशुओं के बच्चों को तीन साल अपनी मां के साथ गुजारने चाहिए, लेकिन अक्सर मांओं को मार दिया जाता है और बच्चों को बहुत ही बुरी परिस्थितियों मे रखा जाता है. नन्हे कुंग फू का भाई कैद के दौरान मारा गया था. संभवतः भूख की वजह से. यह इन जानवरों के लिए बहुत ही बुरा अनुभव होता है.

लाओ में बचाए गए भालुओं के लिए के एक संरक्षण केंद्र में बनाया गया है. यह केंद्र पर्यटकों के बीच लोकप्रिय एक झरने के बगल में है इसलिए इस केंद्र को देखने भी काफी पर्यटक आते हैं. और फ्री द बेयर्स के कार्यकर्ता उन्हें भालुओं के शोषण के बारे में जागरूक करते हैं. संरक्षक लुक निकलसन मेहमानों को बताते हैं कि भालुओं के पित्त का रस चीनी चिकित्सा में दवा के रूप में इस्तेमाल होता है और काफी महंगा है. वह कहते हैं, "गॉल फार्म में भालुओं को छोटे छोटे पिंजरों में रखा जाता है, जो अक्सर उनसे बड़े नहीं होते. उन्हें 20 साल तक इस तरह के पिंजरों में रखा जाता है जबकि इस दौरान उनके शरीर से लगातार पित्त निकाला जाता है. कल्पना कीजिए कि आपको हर कुछ दिनों पर ये तकलीफ सहनी पड़े और बहुत कम खाना मिले."

ये तस्वीरें देखें, जब भालू को हुआ दांत का दर्द

पर्यावरण के लिए जागरूकता के बिना प्रजाति संरक्षण की ये लड़ाई जीती नहीं जा सकती. इसलिए पशु संरक्षक नियमित रूप से स्कूली बच्चों को शेल्टर में बुलाते हैं. बहुत से बच्चों को यह भी पता नहीं होता कि उरसुस थिबेटानुस लाओस के जंगलों में रहते हैं और लुप्तप्राय प्रजाति है. यांग कहते हैं कि खासकर देहाती इलाकों में हमें ज्यादा जागरूकता फैलाने की जरूरत है, क्योंकि वहां इन जानवरों का शिकार रोजाना होता है. बच्चों को समझना होगा कि भालुओं की जिंदगी को ऐसा खतरा है कि वे लाओस से पूरी तरह लुप्त हो जाएंगे.

यहां पशु संरक्षकों के काम का खर्च विदेशों के बड़े दाता उठाते हैं. यहां के खुले शेल्टर में 38 भालू रहते हैं. यह बहुत ही ज्यादा है, क्योंकि इस शेल्टर का निर्माण सिर्फ 10 भालुओं के लिए किया गया था. लेकिन इन विशालकाय जानवरों को फिर से जंगल में छोड़ना इनके लिए और ज्यादा खतरनाक होगा. लुआंग प्राबांग से एक घंटे की दूरी पर एक गैर सरकारी संगठन भालुओं के लिए एक बड़ा शेल्टर बनाने की योजना बना रहा है. 26 हेक्टेयर जमीन पर, जिसका इस्तेमाल इस समय खेती के लिए हो रहा है.यह बहुत ही महात्वाकांक्षी और महंगी परियोजना है. यहां करीब 150 भालुओं के रहने की जगह होगी. इसकी काफी जरूरत भी है क्योंकि लाओस की सरकार अब गंभीर हो गई है और वह अमानवीय फार्मों को बंद करना चाहती है. मुक्त कराये गये भालुओं के रहने के लिए जगह की जरूरत होगी.

सोचिए, क्या यह हत्या नहीं है

लुक निकलसन चाहते हैं कि वहां खूब टूरिस्ट आएं. वह कहते हैं, "इस प्रोजेक्ट के लिए टूरिज्म बहुत ही महत्वपूर्ण है. अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए हम सैलानियों पर निर्भर होंगे. यह बहुत बड़ी परियोजना है, जिस पर बहुत खर्च आएगा. उसे बनाने पर और बाद में उसके चलाने के लिए." लाओस के पशु संरक्षकों को सचमुच हर मदद की जरूरत है ताकि वे कुंग फू और उसकी प्रजाति के अन्य जानवरों को बेहर भविष्य मिल सके.