हाथ फैलाने को मजबूर यमन के बदनसीब बच्चे
यमन में जारी संघर्ष की बच्चों पर सीधी मार पड़ रही है. राजधानी सना में बहुत से ऐसे बच्चे हैं जिन्हें अब भीख मांग कर गुजारा करना पड़ रहा है.
हाथ फैलाने को मजबूर
सना की सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों में कई ऐसे हैं जिनके माता पिता दोनों लड़ाई में मारे गए हैं जबकि कई बच्चे अपने परिवार की मदद के लिए ऐसा कर रहे हैं.
गुजारा मुश्किल
सना में रहने वाले बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें लड़ाई के कारण वेतन नहीं मिल रहा है. ऐसे में परिवार का गुजारा चलाना उनके लिए मुश्किल हो रहा है.
नहीं मिला काम तो...
दो साल पहले लड़ाई में अपने पिता को गंवाने वाला 15 साल का मुस्तफा कहता है, “मैंने काम तलाशने की कोशिश की लेकिन मिला नहीं. जब खाने का संकट खड़ा हो गया तो मैं भीख मांगने लगा.”
बिगड़े हालात
यमन में मार्च 2015 से हालात तब ज्यादा खराब हो गए जब सऊदी अरब के नेतृत्व में खाड़ी देशों के सैन्य गठबंधन में सना पर कब्जा करने वाले हूथी बागियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की.
लड़ाई की कीमत
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि यमन में जारी लड़ाई में अब तक 7,400 से ज्यादा लोग मारे गए हैं जिनमें 1,400 बच्चे भी शामिल हैं.
कुपोषित बच्चे
लड़ाई से पहले भी यमन में खाने का संकट रहा है. संयुक्त राष्ट्र की बाल संस्था यूनिसेफ के मुताबिक यमन में 22 लाख बच्चे अत्यधिक कुपोषण के शिकार हैं.
बच्चों से बेपरवाह
सना में काम करने वाले एक डॉक्टर अहमद यूसुफ का कहना है कि बच्चों के कुपोषण की समस्या से निपटने पर न तो सरकार ध्यान दे रही है और न ही गैर सरकारी संगठन. वह कहते हैं, “बच्चों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है.”
खाली जेब
सितंबर में राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी ने केंद्रीय बैंक को सना से बाहर ले जाने का एलान किया. तभी से बहुत कर्मचारियों का वेतन नहीं मिला है. राष्ट्रपति हादी की सरकार की अस्थायी राजधानी अदन है.
संख्या में इजाफा
बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक यमनी संगठन सेयाज के प्रमुख अहमद अल-कुरैशी कहते हैं, “सना में सरकारी कर्मचारियों के वेतन रोके जाने के बाद भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.”
बेबसी
यूसुफ कहते हैं कि कुछ माता पिता बच्चों के इलाज के लिए अपना सामान बेच रहे हैं. लेकिन कुछ मामलों में, “बच्चा मर जाता है और पिता के हाथ में सिर्फ दवाई का पर्चा रह जाता है.”