आबे के उत्तर कोरिया पर तेवर कड़े
२३ अक्टूबर २०१७जापानी प्रधानमंत्री ने कहा है कि चुनाव में उनकी जीत ने उत्तर कोरिया से निपटने के उनके संकल्प को और मजबूत किया है. उत्तर कोरिया के हालिया परमाणु और मिसाइल परीक्षणों ने प्रशांत क्षेत्र में उसके पड़ोसियों की चिंता बढ़ा दी है जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने उसके खिलाफ प्रतिबंधों का एलान किया. उत्तर कोरिया के मुद्दे पर आबे ने कहा, "इसके लिए, मजबूत कूटनीति की जरूरत है."
एक मशीन ने उत्तर कोरिया को ताकतवर बना दिया
आबे ने जापान में निर्धारित समय से पहले चुनाव कराये ताकि देश के सामने मौजूद चुनौतियों से निपटने के लिए उनके पास मजबूत जनादेश हो. कैबिनेट के प्रवक्ता ने कहा है कि आबे और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने फोन पर बात की है और वे उत्तर कोरिया पर दबाव बढ़ाने पर सहमत हुए.
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एक्जिट पोल के नतीजे बताते हैं कि आबे की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) और उसकी सहयोगी पार्टी कोमेइतो का गठबंधन 465 सीटों वाले जापानी संसद के निचले सदन में 312 सीटें जीतने की तरफ अग्रसर है.
इस भारी जीत के साथ आबे जापान के संविधान में बदलाव के लिए बहस को आगे बढ़ा पाएंगे. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान ने शांतिवादी संविधान अपनाया था. लेकिन आबे उसमें बदलाव के पैरोकार हैं. साफ तौर पर इस जीत के बाद उत्तर कोरिया को लेकर जापान के रुख में सख्ती आयेगी. इसी कड़ी में अमेरिका के साथ जापान के रिश्ते और मजबूत होंगे, जिनमें रक्षा सहयोग भी शामिल है. इसके अलावा, जापान में परमाणु ऊर्जा के पक्ष में उदारवादी आर्थिक नीतियां अमल में लायी जा सकती हैं.
इस जीत के बाद एलडीपी पार्टी पर भी आबे की पकड़ मजबूत होगी. अगले साल सितंबर में उन्हें फिर से तीन साल के लिए पार्टी का नेता चुना जा सकता है. इस तरह वह 2021 तक प्रधानमंत्री पद पर रह सकेंगे और जापान से सबसे लंबे समय तक पद रहने वाले सरकार प्रमुख बन सकते हैं.
एके/एमजे (रॉयटर्स, डीपीए, एएफपी)