पत्थर फेंकते सिमी सदस्यों को पुलिस ने मुठभेड़ में मारा
३१ अक्टूबर २०१६पुलिस का कहना है कि ये आठ लोग जेल के गार्ड की गला रेत कर हत्या करने के बाद दीवार फांदकर भाग निकले थे. कुछ ही घंटों में पुलिस ने दावा किया कि सभी को मुठभेड़ में मार दिया गया है.
स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया के ये सदस्य भोपाल जेल में बंद थे. पुलिस ने बताया कि उन्होंने खाने की प्लेट से एक वॉर्डर का गला रेता. तब जेल में दिवाली मनाई जा रही थी. वॉर्डर को मारने के बाद आठों कैदियों ने चादरों को बांध कर रस्सी बनाई और दीवार फांदकर फरार हो गए.
पुलिस ने कहा कि फरार कैदियों को शहर के बाहर घेर लिया गया. जब पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेने की कोशिश की तो उन्होंने विरोध किया. भोपाल के आईजी योगेश चौधरी ने बताया, "हमने उन्हें सरेंडर करने को कहा लेकिन उन्होंने भागने की कोशिश की. उनके पास हथियार नहीं थे लेकिन उन्होंने पुलिस पर पत्थर बरसाए. हम उन्हें गोली मारनी पड़ी."
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जब ये लोग जेल से भागे थे तभी से पुलिस ने गहन तलाश शुरू कर दी थी. इसके बावजूद ये आठ लोग पैदल 15 किलोमीटर दूर एक गांव में पहुंच गए, जहां मुठभेड़ हुई. पुलिस का कहना है कि गांव वालों ने संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी दी थी जिसके बाद छापेमारी की गई. पुलिस का दावा है कि जेल में सुरक्षा व्यवस्था में कोई कसर नहीं थी. राज्य की यह सबसे सुरक्षित जेल कही जाती है और यहां 24 घंटे इलेक्ट्रॉनिक निगरानी होती है. इस मामले में चार जेल अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और मामले की जांच की जा रही है.
मारे गए लोगों में से ज्यादातर तीन साल से जेल में बंद थे और आतंकवाद के आरोपों में मुकदमा झेल रहे थे. दो को फरवरी में ही पकड़ा गया था.
2013 में खंडवा की जेल से भी सात सिमी कार्यकर्ता भाग निकलते थे जिन्हें दो साल बाद पकड़ा जा सका था. पिछले एक दशक में सिमी के सैकड़ों कार्यकर्ता पकड़े जा चुके हैं. सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में आतंकवादी हमलों को सिमी ने ही अंजाम दिया था. इन धमाकों में 187 लोगों की मौत हुई थी. 2001 में सिमी पर प्रतिबंध लगाया गया था. हालांकि सिमी से जुड़े लोगों का कहना है कि यह किसी आतंकी गतिविधि में शामिल नहीं है और बस इस्लामिक परंपराओं का प्रचार करता है.
वीके/एके (एएफपी)