गाय क्यों बन रही हैं ये महिलाएं?
फोटोग्राफर सुजात्रो घोष ने गाय बचाने के नाम पर हिंसा और महिला सुरक्षा के मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया है. उनकी फोटो आपको साधारण लगेंगी लेकिन उन सभी में महिलाओं ने जिस तरह गाय के मुखौटे पहने हैं, वे उन्हें खास बनाते हैं.
मकसद
फोटोग्राफर सुजात्रो घोष कहते हैं कि उनके इस प्रोजेक्ट का मकसद महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के मुद्दे को उठाना है. उनके मुताबिक, "अगर हम गाय को बचा सकते हैं तो फिर महिलाओं को क्यों नहीं."
महिला सुरक्षा की अनदेखी
उनका कहना है कि गाय को बचाने के नाम पर लोगों की सरे आम हत्याएं हो रही हैं लेकिन महिलाओं की सुरक्षा को अनदेखा किया जा रहा है.
महिलाओं के खिलाफ अपराध
भारत में 2012 के निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा के लिए नियम कड़े किये गये लेकिन 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 327,390 मामले दर्ज किये गये हैं.
सामाजिक अड़चनें
बहुत से मामले तो दर्ज ही नहीं होते हैं क्योंकि कई बार पीड़ित को हमलावरों की तरफ से दोबारा परेशान किये जाने का डर रहता है तो कई बार सामाजिक रूप से कलंलित होने का डर.
गाय के नाम पर
दूसरी तरफ भारत में गाय के नाम पर हिंसा के एक के बाद एक कई मामले सामने आये हैं. कथित गौरक्षकों की गतिविधियों में सरेआम कई लोगों की हत्या की गयी है.
सराहना
घोष का कहना है कि सबसे पहले उन्होंने अपनी दोस्तों और परिवार की महिलाओं की मास्क के साथ फोटो ली. लेकिन अब बहुत सी और महिलाएं भी उनके प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना चाहती हैं.
आलोचना
इस बीच सुजात्रो घोष को सोशल मीडिया पर निशाना भी बनाया गया है. कई लोग उन पर गाय का अपमान करने का आरोप लगा रहे हैं.
उम्मीद
घोष को उम्मीद है कि लोग उनके इस संदेश को सही से समझेंगे कि जिस तरह गाय को बचाने की कोशिश हो रही हैं, उसी तरह महिलाओं को भी बचाने की जरूरत है.