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समाज

यहां शादी करनी है, तो एचाआईवी सर्टिफिकेट दिखाओ

६ मार्च २०१८

एचआईवी की वजह से पिछले दिनों चर्चा में आए उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में अब शादी से पहले कुंडलियां नहीं, एचआईवी के सर्टिफिकेट मिलाए जा रहे हैं.

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तस्वीर: Reuters

पिछले दिनों यहां एक ही इलाके में करीब पचास लोगों के एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने के कारण इलाके के लोगों को शादियों के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बांगरमऊ इलाके में जहां यह घटना सामने आई थी, वहां पहले तो लोग अपने बेटे या बेटियों की शादी नहीं कर रहे हैं और यदि कर भी रहे हैं तो इस बात का इत्मीनान करके कि शादी वाले घर में कोई एचआईवी पॉजिटिव तो नहीं है. इसके चलते यहां ज्यादातर लोग खुद ही एचआईवी टेस्ट करा रहे हैं और रिश्ता तय होने से पहले इसे प्रमाण के तौर पर पेश कर रहे हैं.

बांगरमऊ के प्रेमगंज के रहने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके बेटे की शादी कन्नौज में तय हुई थी. उन्होंने बताया, "शादी पहले से ही तय थी लेकिन घटना सामने आने के बाद लड़की के घर वालों को कुछ आशंका हुई. हम लोगों ने उनकी आशंका को दूर करने के लिए न सिर्फ बेटे का, बल्कि अपना और पत्नी का भी एचआईवी टेस्ट कराया. सभी का टेस्ट नेगेटिव निकला और चार मार्च को धूम-धाम से शादी हो गई."

एड्स पर अहम जानकारी

दरअसल, बांगरमऊ में लोग शादी से पहले कुंडलियां मिलाने की बजाय यह सुनिश्चित करने को प्राथमिकता दे रहे हैं कि होने वाला जीवनसाथी एचआईवी नेगेटिव हो. बांगरमऊ का प्रेमगंज मोहल्ला तब चर्चा में आया था जब यहां बड़ी संख्या में लोगों के एचआईवी पॉजिटिव होने की बात सामने आई थी. स्थानीय लोगों का भी कहना है कि पहले तो यहां रिश्ता करने में लोग हिचक रहे थे लेकिन अब इस बात को सुनिश्चित करने के बाद कि परिवार में किसी को एचआईवी नहीं है, शादी करने में कोई आपत्ति नहीं होती.

स्थानीय सभासद सुनील कुमार कहते हैं कि स्थानीय लोगों को इस बात पर आपत्ति नहीं है और ज्यादातर लोग स्वेच्छा से टेस्ट करा रहे हैं ताकि भविष्य में उन्हें शादी-विवाह में कोई परेशानी न हो. वहीं, एड्स सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉक्टर आईएस गिलाडा इसे एक अच्छी पहल मान रहे हैं. उनका कहना है, "कई बार ऐसी शर्तें रखने पर शादियां टूट जाती हैं लेकिन इस मामले में लड़की और लड़के वालों की तारीफ करनी चाहिए. इस तरह के मामलों से सीख लेकर अब लोग बिना कहे ही जांच करा रहे हैं ताकि संदेह की गुंजाइश न रहे और जिन्हें यह बीमारी है, उसका भी पता चल जाए."

उन्नाव में तीन फरवरी को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बांगरमऊ में खून की जांच के लिए एक कैंप लगाया गया था. जहां खून के नमूने लेने के बाद जब जांच की गई, तो पहली बार मे 46 मरीज एचाईवी पॉजिटिव पाए गए. मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. ग्रामीणों का आरोप है कि  झोलाछाप डॉक्टर राजेंद्र यादव ने एक ही इंजेक्शन का बार-बार इस्तेमाल किया, जिसकी वजह से लोग संक्रमित हो गए.

पार्षद सुनील कुमार कहते हैं कि राजेंद्र यादव आस-पास के मोहल्ले और गांवों में भी लोगों का इलाज करता था और कैंप लगाकर जांच करता था, लेकिन सिर्फ प्रेमगंज में ही इतने लोग एचआईवी पॉज़िटिव कैसे हो गए. इस मामले में उन्नाव के जिला मजिस्ट्रेट के इस बयान पर भी लोगों ने नाराजगी जताई थी कि प्रेमगंज के बहुत से लोग ट्रक ड्राइवर हैं और इसीलिए वहां एचाईवी के अधिक मामले पाए गए हैं.

इस मामले के सामने आने के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने घटना की जांच के आदेश दिए और कहा कि इस मामले के दोषी और बिना लाइसेंस के प्रैक्टिस कर रहे अन्य लोगों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

रिपोर्टः समीर मिश्र