1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मुस्लिम बस्तियों में जाकर डर भगाते हंगरी के लोग

७ नवम्बर २०१७

हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में लोग मुसलमानों को लेकर अपना डर दूर करने के लिए उनकी बस्तियों में जा रहे हैं. सरकार की आप्रवासी विरोधी मुहिम के चलते कई लोगों में यह डर घर कर रहा है.

https://p.dw.com/p/2n9sr
Hassan Massoudy Calligraphy
तस्वीर: Hassan Massoudy

बुडापेस्ट की एक टूअर एजेंसी सेतामुलेह लोगों को शहर की ऐतिहासिक इमारतें और सांस्कृतिक धरोहरें दिखाने के साथ साथ यहूदी और मुस्लिम बस्तियों में भी लेकर जाती है. इस एजेंसी को चलाने वाली एना लेनार्ड ने अपने इस वॉक टूअर का नाम "मुस्लिम हमारे बीच रहते हैं" रखा है. उनके मुताबिक "मैं कह सकती हूं कि यह सबसे पॉपुलर वॉक है." हालांकि जब तीन साल पहले इसकी शुरुआत की गयी थी तो बहुत ही कम लोगों की इसमें दिलचस्पी थी.

इस्लाम प्रचारक जाकिर नाइक अब कहां हैं?

कितनी सही है लव जिहाद की बहस

लेनार्ड बताती हैं, "ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी में किसी मुसलमान से नहीं मिले थे और जो कुछ भी उन्हें मीडिया में हर दिन सुनने को मिलता है, उससे उनकी आम जिंदगी में बहुत तनाव और तकलीफ होने लगी. मुझे लगता है कि यही वजह है कि इतने सारे लोग अब इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं." वह बताती हैं कि इस वॉक पर जाने वाले ज्यादातर लोग उच्च शिक्षा प्राप्त हैं. उनके पास कॉलेज की डिग्री है. वहीं इनमें दो तिहाई महिलाएं हैं.

हंगरी में लगभग 40 हजार मुसलमान रहते हैं. यहां के मुस्लिम समुदाय का आकार 2015 के बाद से बढ़ा है. हालांकि इनमें से ज्यादातर लोग पहले हंगरी की यूनिवर्सिटियों में पढ़ने आये थे. जब 2015 में शरणार्थी संकट चरम पर था तो बाल्कन देशों की सीमा पार कर हंगरी में आये लाखों लोग पश्चिमी यूरोप के अमीर हिस्सों की तरफ चले गये.

एक थिंकटैंक तरकी का डाटा दिखाता है कि विदेशी लोगों से भय रखने वाले लोगों का आंकडा इस साल बढ़ कर 60 प्रतिशत तक जा पहुंचा है जबकि दो साल पहले यह आंकड़ा 19 प्रतिशत था.

आयोजकों का कहना है कि लगभग 80 लोग हर महीने मुस्लिम बस्तियों का टूअर कर रहे हैं. आम तौर पर 30 लोगों के समूह में जाने वाले ये लोग सबसे पहले एक पुराने अपार्टमेंट में चल रही एक छोटी सी मस्जिद में जाते हैं. टूअर में शामिल एक मनोविज्ञानी नाउसजिका का कहना है, "अलग अलग संस्कृतियों में मेरी बहुत दिलचस्पी है, और खास कर उन संस्कृतियों और धर्मों में, जो हमारे बीच हैं."

ऐसा टूअर करने वाली मारियाना कारमान एक अफ्रीकी विशेषज्ञ हैं और उन्होंने खुद इस्लाम को स्वीकार कर लिया है. वह कहती हैं, "डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि उस व्यक्ति से पूछा जाए कि डर किस बात से लग रहा है. इन लोगों ने इस वॉक पर आने का फैसला किया क्योंकि वे इस समस्या के बारे में  बात करना चाहते हैं. वे अपने डर से लड़ना चाहते हैं." इस टूअर में मुस्लिम फूड शॉप और बुडापेस्ट की सबसे बड़ी मस्जिद में भी ले जाया जाता है.

एके/एनआर (रॉयटर्स)