1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अस्पतालों के मुनाफे में स्टेंट का बड़ा हिस्सा

अपूर्वा अग्रवाल
१८ जनवरी २०१७

धमनियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले स्टेंट के लिए अस्पताल सबसे अधिक पैसा वसूलते हैं. आंकड़े बताते हैं कि इनकी कीमत मरीज तक पहुंचते-पहुंचते 10 गुना तक बढ़ जाती है.

https://p.dw.com/p/2VyNj
Symbolbild - Katheter zur endovaskulären Therapie
तस्वीर: medscape

राष्ट्रीय औषध मूल्य नियामक (एनपीपीए) के डेटा के मुताबिक अस्पतालों के मुनाफे में एक बड़ा हिस्सा ऑटरी (धमनियों) में इस्तेमाल होने वाले स्टेंट्स के कारोबार का है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि एनपीपीए के आंकड़ों से साफ है कि इन स्टेंट्स के लिए अस्पताल सबसे अधिक पैसा वसूलते हैं.

ये स्टेंट जाल जैसी ट्यूब होती हैं जिन्हें कमजोर या संकीर्ण धमनियों का इलाज करने के लिए कोरोनरी एंजियोप्लास्टी के हिस्से के रूप में धमनियों में रखा जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक कई बार अस्पतालों का मार्जिन 650 फीसदी तक को छू लेता है लेकिन हर एक अस्पताल भी इनकी इतनी अधिक कीमत नहीं वसूलता. एनपीपीए का ये डेटा स्टेंट कंपनियों के आंकड़ों पर आधारित है जिसके मुताबिक मरीज तक पहुंचते-पहुंचते इन स्टेंट की कीमतों में 10 गुना तक का इजाफा हो जाता है.

देखिए, पागलखाने कैसे होते हैं

ये मार्जिन भी ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट और बेयर मेटल स्टेंट में अलग-अलग है. भारत में होने वाली अधिकतर सर्जरियों में ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट का इस्तेमाल किया जाता है.

टीओआई ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया है कि कैसे निर्माता कम मार्जिन दिखाने के लिए अवैध मार्किटिंग में शामिल हो जाते हैं. दिसंबर में एनपीपीए ने कहा था कि वह सरकार द्वारा इन स्टेंट को ड्रग प्राइज कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) 2013 में शामिल किए जाने के बाद इनकी अधिकतम कीमत तय करने पर कार्य कर रहा है.

मिलिए, डिप्रेशन की शिकार बॉलीवुड हस्तियों से

उस वक्त एडवांस मेडिकल टेक्नोलॉजी असोसिएशन ने पीटीआई से बातचीत में कहा था कि ये कदम मरीज के विशिष्ट और उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों के इस्तेमाल संबंधी मौलिक अधिकार को बाधित करता है. पहले भी असोसिएशन कह चुका है कि स्टेंट की कीमतों पर नियंत्रण उन मरीजों को भी प्रभावित कर सकता है जो आयातित स्टेंट में नवीन और नई तकनीक पर विश्वास जताते हैं.