ढाका के आतंकी ने मोहब्बत में चोट खायी थी!
५ जुलाई २०१६2014 खत्म हो रहा था. यानी दो साल से भी कम वक्त गुजरा है. निबरस इस्लाम नाम का एक लड़का अपने टूटे दिल को रो रहा है. उसकी गर्लफ्रेंड उसे छोड़ गई थी. फुटबॉल से प्यार करने वाले, मस्तीपसंद वह सामान्य सा स्टूडेंट लड़कियों को बहुत अच्छा लगता था. लडकियां उसके फेसबुक पेज पर लिख रही थीं कि उसकी मुस्कुराहट पर मरती हैं. लेकिन वह अपनी गर्लफ्रेंड के चले जाने के गम में डूबा था. वही लड़का ढाका में मासूमों का कत्ल करेगा, कौन सोच सकता था!
ऑस्ट्रेलिया की महंगी और मशहूर मोनाश यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले निबरस इस्लाम के लिए 'कन्फेशंस' पेज पर किसी ने बिना अपना नाम बताए 11 अक्टूबर 2014 को लिखा था, "निबरस इस्लाम! तुम बहुत प्यारे हो. लेकिन दिखते ही नहीं हो. बताओ, कब देख सकती हूं तुम्हें? तुम्हारी मुस्कुराहट देखकर मेरा दिन बन जाता है." जिसकी मुस्कुराहटों पर लड़कियों के दिन बना करते थे, वही निबरस इस्लाम ढाका के एक कैफे में 20 लोगों की जिंदगी छीनकर ले गया.
खाते-पीते परिवारों के हमलावर
बीते शुक्रवार ढाका में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए छह आतंकवादियों में से एक निबरस इस्लाम था. मलेशियाई पुलिस का कहना है कि दो आतंकवादी कुआलालंपुर में ऑस्ट्रेलिया की मशहूर यूनिवर्सिटी के सेंटर में पढ़ता था. हालांकि उनके नाम नहीं बताए गए हैं लेकिन फेसबुक पोस्ट बताती हैं कि उनमें से एक निबरस इस्लाम ही था. जांचकर्ता ही नहीं, पूरा देश हैरान है कि पैसे वाले परिवारों के ये लड़के कब इतने कट्टर इस्लाम से प्रभावित हुए कि कातिल बन गए. ढाका में मारे गए छह आतंकवादियों में से एक तो सत्ताधारी पार्टी के एक नेता का बेटा था.
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ढाका हमले के बाद यह भ्रम टूट गया है कि गरीब परिवारों के अशिक्षित और मोहताज लोग ही आतंकवादियों के जाल में फंसते हैं. दिल्ली के ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में बांग्लादेश एक्सपर्ट जोयीता भट्टाचार्जी कहती हैं, "पहले जो लोग आतंकवादी बनते थे वे गरीब होते थे और पिछड़े मदरसों में पढ़े होते थे. ये हमलावर तो बहुत खाते-पीते परिवारों के हैं. उनकी पृष्ठभूमि में भी कट्टरता नहीं है."
बांग्लादेश अब तक नहीं समझ पाया है कि ये लड़के कट्टरता की ओर कब बढ़े. पुलिस के मुताबिक सभी सात आतंकवादी 22 साल से कम उम्र के हैं. छह मारे जा चुके हैं और एक पुलिस हिरासत में है. हालांकि निबरस के दोस्त और परिचित बताते हैं कि कट्टरता की झलक उसमें दिखने लगी थी. नॉर्थ साउथ यूनिवर्सिटी से उसे जानने वाले एक युवक ने बताया कि जनवरी में वह उसे एक कैफे में मिला तो बहुत इस्लामिक तरीके से सलाम कहा. अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर इस युवक ने बताया, "पहले जब मिलता था तो बोलता था, सलाम क्या हाल है. लेकिन उस दिन एक कैफे में मिला तो सलाम को पूरे इस्लामिक तरीके से बोला. यह अलग था. उस दिन वह अलग लग रहा था. मैं यूनिवर्सिटी के प्रेयर रूम में नमाज पढ़ने जाता था लेकिन वहां उसे कभी नहीं देखा."
बिजनस में ग्रैजुएशन
जिस मोनाश यूनिवर्सिटी में इस्लाम पढ़ता था, कुआलालंपुर के उसके कैंपस का सालाना खर्च 9000 अमेरिकी डॉलर है यानी बांग्लादेश की औसत सालाना आय से छह गुना ज्यादा. मोनाश में निबरस का जानने वाला एक स्टूडेंट बताता है कि वह बिजनस में ग्रैजुएशन कर रहा था. उसने बताया कि निबरस दोस्तों के साथ घूमने फिरने और मस्ती करने वाला लड़का था. उसे फोटो खिंचवाना बहुत पसंद था और लोग इस बात के लिए उसका मजाक भी उड़ाते थे. निबरस के सोशल मीडिया पोस्ट बताते हैं कि वह एक बॉलीवुड ऐक्ट्रेस का दीवाना था और लिवरपुल फुटबॉल क्लब का फैन था. वह खूब सेल्फी लेता था.
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निबरस की एक गर्लफ्रेंड भी थी जिससे 2014 में उसका ब्रेकअप हुआ था. इस ब्रेकअप से वह बहुत दुखी था. उसने ट्विटर पर लिखा था, "तुम्हें अब मेरी जरूरत नहीं. उसके साथ खुश रहो. मुझसे तो हर कोई बेहतर है. तुम्हें पता है मैं कहां मिलूंगा." उसके बाद पिछले साल निबरस कैंपस से गायब हो गया. यह स्पष्ट नहीं है कि वह क्यों गया लेकिन उसके दोस्तों ने समझा कि वह शायद मोनाश में खुश नहीं है और घर जाना चाहता है.
धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर उसकी गतिविधियां कम होने लगीं. ट्विटर पर वह 10 हैंडल्स को फॉलो करता था. उनमें से एक इस्लामिक स्टेट के प्रचारक मेहदी मसरूर बिस्वास का है. बिस्वास को पिछले साल बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था. निबरस ने ब्रिटेन के इस्लामिक प्रचारक अंजम चौधरी का एक ट्वीट लाइक किया था. इस ट्वीट में शार्ली एब्दो अटैक के बाद फ्रांस की आलोचना की गई थी. उसके दो महीने पहले उसने ट्वीट किया था, "सदा के लिए विदा."
वीके/आईबी (रॉयटर्स)