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ईरान और सऊदी अरब की लड़ाई के बीच 'खुदा का घर'

जमशेद फारूगी९ सितम्बर २०१६

ईरान के मुसलमान हज पर नहीं जा सकते. क्यों? क्योंकि उनकी सरकार की सऊदी अरब से लड़ाई चल रही है. डॉयचेवेले फारसी के संपादक जमशेद फारूगी बता रहे हैं कि दो सरकारों की लड़ाई में कैसे फंसा है खुदा का घर.

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Saudi Arabien Mekka Pilger Kaaba
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/skajiyama

हज दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है लेकिन इसकी एक अपनी एक सियासत भी है. इसमें एक मोर्च पर सऊदी अरब है तो दूसरे पर ईरान. हज यात्रा के ठीक पहले ईरान ने जहां मुसलमानों के सबसे धार्मिक स्थलों पर होने वाले हादसों के लिए सऊदी अरब की कड़ी आलोचना की, वहीं सऊदी अरब के सबसे बड़े धार्मिक नेता ने कह दिया कि ईरान के नेता तो मुसलमान ही नहीं हैं.

दरअसल इस वक्त सुन्नी बहुल सऊदी अरब और शिया बहुल ईरान के बीच शीतयुद्ध जैसे हालात हैं. दोनों पक्षों के बीच वाकयुद्ध चल रहा है. लेकिन इससे भी कहीं ज्यादा मध्य पूर्व के अन्य देश भी उनकी इस तनातनी का अखाड़ा बन रहे हैं. मिसाल के तौर पर सीरिया, बहरीन और यहां तक कि अफगानिस्तान में भी वे अपनी-अपनी नीतियों को लागू करना चाहते हैं. यमन और इराक जैसे देशों को भी इस सूची में शामिल किया जा सकता है.

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दूसरा जिस तरह मध्य पूर्व के हालात तेजी से बदल रहे हैं, उनमें सऊदी अरब के लिए अपना दबदबा कायम करना आसान हो गया है. दुनिया भर के एक अरब से ज्यादा मुसलमानों के सबसे पवित्र स्थल सऊदी अरब में है. ये बात भी मुसलमान दुनिया में उसके प्रभाव और रसूख को बनाए रखने में मददगार साबित होती है.

एक मुसलमान होने के नाते जो आपके फर्ज बताए गए हैं, उनमें से एक है कि अपनी जिंदगी में आपको एक बार मक्का जरूर जाना चाहिए, भले ही वह सुन्नी हो या फिर शिया. ऐसे में, सऊदी अरब की भूमिका अहम हो जाती है. चूंकि ये स्थल उसकी धरती पर है तो इनकी व्यवस्था वही संभालेगा. लेकिन सऊदी अरब इसका राजनीतिक इस्तेमाल भी करता है. सऊदी अरब और ईरान के बीच ताजा वाकयुद्ध को आप इसकी सबसे अच्छी मिसाल कह सकते हैं.

सऊदी अरब कह सकता है कि ठीक है, अगर आपको हमारी बात मंजूर नहीं है तो आप हज यात्रा पर नहीं आ सकते हैं. किसी भी देश की सरकार के लिए अपने लोगों को ये समझना हमेशा मुश्किल होगा कि वह क्यों अपने धार्मिक स्थलों की यात्रा पर नहीं जा सकते. एक मुसलमान होने के नाते वहां जाना उनका फर्ज है, लेकिन इसके लिए वीजा की जरूरत होगी. इसके लिए सऊदी सरकार की अनुमति की जरूरत होगी. ऐसे में, अगर इस पर बंदिशें लगाई जाती हैं तो लोगों को वे भला कैसे मंजूर होंगी. हो सकता है कि लोग इसके पीछे सऊदी अरब की बजाय अपनी सरकार के नकारेपन को जिम्मेदार मानें.

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वैसे भी हज यात्रा पर जाने के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ता है. मान लीजिए, ईरान में कोई व्यक्ति काफी समय से वेटिंग लिस्ट में है और अपनी बारी का इंतजार कर रहा है, लेकिन जब उसका नंबर आया तो वो नहीं जा सकता क्योंकि दोनों देशों के संबंध खराब है. ऐसे में, ये मामला लोगों के लिए बड़ी समस्या है. इस साल भी ईरान के लोग हज पर नहीं जा सकते हैं. मई में दोनों देशों की इस बारे में वार्ता नाकाम हो गई थी.

सऊदी अरब के बाहर ईरान का मशाद, इराक के नजफ और करबला जैसे शहरों में मुसलमानों के पवित्र स्थल हैं. लेकिन वहां जाने वालों की संख्या का मक्का जाने वाले लोगों की विशाल संख्या से कोई मुकाबला ही नहीं किया जा सकता है. और हज ही नहीं, बल्कि पूरे साल भी दुनिया भर के मुसलमान वहां जाते हैं. और कहीं न कहीं इससे सऊदी अरब को राजनीतिक और आर्थिक ताकत भी मिलती है.