जर्मन शहर में शरणार्थियों और स्थानीय लोगों की झड़पें
१६ सितम्बर २०१६पुलिस के मुताबिक बुधवार की रात 20 शरणार्थी और लगभग 80 स्थानीय दक्षिणपंथी चरमपंथियों लोगों के बीच गालीगलौज और झगड़ा हुआ. बताया जाता है कि दोनों तरफ से एक दूसरे पर बोतलें फेंकी गईं. लगभग 100 पुलिस अधिकारियों ने स्थिति को संभालने की कोशिश की लेकिन उन्हें भी इस पूरे में मामले में चोटें आने की खबर है.
पुलिस ने दोनों समूहों के आसपास घेराबंदी कर इस झगड़े को बंद कराया. प्रवासी जब पुलिस पर बोतलें, लकड़ी के टुकड़े और दूसरी चीजें फेंक रहे थे तो उन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने काली मिर्च वाला स्प्रे इस्तेमाल किया.
दोनों समूह जब उस जगह से चले गए तो दक्षिणपंथियों ने शरणार्थियों के घरों तक उनका पीछा किया. इसके देखते हुए पुलिस को उनकी घरों की सुरक्षा करनी पड़ी और 32 शरणार्थियों को वहां से बाहर न जाने को कहा. तीन अन्य प्रवासी परिसरों को भी पुलिस निगरानी की जरूरत है.
बताया जाता है कि 18 साल के एक प्रवासी को इस झड़प में चाकू लग गया. उसे अस्तपाल ले जाने वाली एंबुलेंस पर भी जर्मन चरमपंथियों ने पत्थर फेंके. फिर दूसरी एंबुलेस बुलानी पड़ी और घायल को अस्पताल पहुंचाया गया. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेस में बाउत्सेन के पुलिस प्रमुख उवे किल्त्स ने कहा कि प्रवासियों ने पुलिस अधिकारियों पर बोतलें और दूसरी चीजें फेंकीं.
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सेक्सनी राज्य के गृह मंत्री मारकुस उलबिग और बाउत्सेन के प्रांतीय विधानसभा के सदस्य मार्को शीमन ने शहर में और अधिक पुलिस तैनात किए जाने की अपील की है. बाउत्सेन से सांसद कारेन ले का कहना है, "पुलिस को नियो-नाजियों से प्रवासियों और आलोचकों की सुरक्षा करनी होगी, जो निश्चित तौर पर बहुमत में हैं." वहीं सेक्सनी में वामपंथी समूह पुलिस सुरक्षा के मौजूदा स्तर की आलोचना कर रहे हैं.
बाउत्सेन जर्मनी और चेक गणराज्य सीमा के नजदीक है और पूर्वी जर्मन शहर से ये पूर्व में 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां हाल के दिनों में शरणार्थियों और स्थानीय लोगों के बीच कई बार झड़पें हुई हैं. ये झड़पें जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की प्रवासी नीति के खिलाफ असंतोष को दिखाती हैं.
एके/वीके (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)
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