2016 की पांच घटनाएं जो महिलाओं के चेहरों पर लाई मुस्कान
भारत में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध लगातार चिंता का कारण बने हुए हैं. लेकिन 2016 में पांच ऐसी घटनाएं हुईं जिनसे महिलाओं के चेहरों पर मुस्कान आई.
प्रवेश का अधिकार
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद महिलाओं को कई धार्मिक स्थलों में प्रवेश की अनुमति मिली. महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में हिंदू महिलाओं ने शनि शिगणापुर मंदिर में प्रवेश का अधिकार हासिल किया तो मुस्लिम महिलाओं को अदालत ने मुंबई की हाजी अली दरगाह में दाखिल होने का हक दिलाया. कई अन्य धार्मिक स्थलों में प्रवेश से जुड़े मुकदमे अभी अदालतों में चल रहे हैं.
कामयाबी की उड़ान
2016 में तीन महिलाएं भारतीय एयरफोर्स में फाइटर पायलट के तौर पर शामिल हुईं. भारतीय सशस्त्र सेनाओं के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है और यह कारनामा अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कांत ने किया. वे कुछ सयम से भारतीय वायुसेना में हैं, लेकिन अभी तक वे सिर्फ परिवहन विमान या हेलीकॉप्टर ही उड़ा रही थीं.
बेटियों ने बढ़ाया मान
भारत में 2011 की जनगणना के मुताबिक 1000 पुरूषों पर सिर्फ 943 महिलाएं हैं. लेकिन ओलंपिक खेलों में भारत को पदक सिर्फ दो महिलाओं ने ही दिलाया. पहलवान साक्षी मलिक ने कांस्य और बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु (तस्वीर में) ने रजत पदक जीतकर भारतीयों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरी. जिमनास्ट गीता बहुत कम अंतर से पदक से चूकीं.
कसता शिंकजा
2012 के बाद से भारत में बलात्कार के मामलों में दोषी करार दिए जाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ी है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो का कहना है कि 2012 में दोषी करार दिए जाने की दर जहां 24.2 प्रतिशत थी, वहीं 2014 में यह 28 प्रतिशत और 2015 में 29.4 प्रतिशत दर्ज की गई. अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने अगस्त 2016 में 2015 के आंकड़े जारी किए.
ना का मतलब ना
सेक्स के लिए ना कहने के अधिकार को पहली बार मुख्यधारा के सिनेमा के जरिए बुलंद तरीके से “पिंक” फिल्म में आवाज दी गई. फिल्म में अमिताभ बच्चन ने एक वकील का किरदार अदा किया है. पिंक में दिखाया गया कि एक औरत छोटी स्कर्ट पहन सकती है, पुरूषों के साथ बैठकर शराब पी सकती है और अपनी मर्जी से यौन संबंध बना सकती है, लेकिन जब वह सेक्स के लिए “ना” कहे तो इसका मतबल “ना” ही होती है. (रिपोर्ट : डीपीए/एके)