18 साल की एशम और 17 साल की मानसिक रूप से बीमार उसकी बहन ईशा घर में कैद रहती हैं. बाहर निकलने से बचती हैं क्योंकि वे आसिया बीबी की बेटियां हैं. वही आसिया बीबी जो पाकिस्तान में ईशनिंदा के सबसे ज्यादा चर्चित मामले की दोषी है.
आसिया बीबी छह साल से जेल में बंद है और मौत की सजा का इंतजार कर रही है. उनका मामला मानवाधिकार और कट्टरपंथी तुष्टिकरण के बीच झूल रहा है. हालांकि पिछले महीने आसिया की बेटियों की आस अचानक जिंदा हो गई जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई मंजूर कर ली. यह आस लाख कोशिशों के बाद जगी है. इन कोशिशों में एशम पिछले साल अप्रैल में वेटिकन तक पहुंच गई थीं. वहां वह पोप से मिलीं और उनसे फरियाद की. पोप ने मां के लिए प्रार्थना करके लौटा दिया. उस यात्रा के बारे में 18 साल की एशम कहती हैं, "मुझे ज्यादा तो नहीं याद, बस इतना पता है कि उन्होंने दुआएं दी थीं." उन्हीं दुआओं के भरोसे पर एशम को लगता है कि पोप उनकी मां के लिए दुआ कर रहे हैं तो मां आजाद हो ही जाएगी.
ईसाई आसिया बीबी पर ईशनिंदा के आरोप 2009 में लगे थे. वह एक खेत में काम करती थीं. खेत में साथ ही काम करने वाली मुसलमान महिला से उनका झगड़ा हो गया. दरअसल, आसिया को पानी लाने का कहा गया तो मुसलमान महिला ने आपत्ति जताई कि गैर मुसलमान का छुआ पानी नहीं पिया जा सकता. इस बात को लेकर झगड़ा हुआ. मुसलमान औरत स्थानीय मौलवी के पास पहुंची और बताया कि बीबी ने पैगंबर मोहम्मद को गाली दी. यह ईशनिंदा थी.
देखिए, भारत के विवादित कानून
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भारत के सबसे विवादित कानून
धारा 375, सेक्शन 2
धारा 375 रेप की परिभाषा देती है लेकिन इसमें एक अपवाद बताया गया है. पति-पत्नी के बीच यौन संबंधों को किसी भी सूरत में रेप नहीं माना जाएगा, अगर पत्नी की आयु 15 वर्ष से अधिक है. यानी पति अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती कर सकता है. इस पर कोर्ट में केस चल रहा है.
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भारत के सबसे विवादित कानून
धारा 370
भारतीय संविधान की धारा 370 के मुताबिक जम्मू और कश्मीर राज्य को बाकी राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार दिए गए हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत कई दक्षिणपंथी संगठन और विचारक इस कानून का विरोध करते हैं और इसे खत्म करने की मांग करते हैं.
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भारत के सबसे विवादित कानून
सैन्य बल विशेषाधिकार कानून
अंग्रेजी में AFSPA के नाम से मशहूर यह कानून अशांत इलाकों में सेना को विशेष अधिकार देता है. सेना किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है, कहीं भी छापे मार सकती है. लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ता कहते हैं कि इसका बहुत बेजा इस्तेमाल होता है.
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भारत के सबसे विवादित कानून
धारा 499
संविधान की धारा 499 के अनुसार किसी व्यक्ति, व्यापार, उत्पाद, समूह, सरकार, धर्म या राष्ट्र की प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाने वाला असत्य कथन मानहानि कहलाता है. राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और सुब्रमण्यन स्वामी ने तो सुप्रीम कोर्ट में अपील की कि इस कानून को खत्म किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नहीं.
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भारत के सबसे विवादित कानून
धारा 377
आईपीसी की धारा 377 के तहत यदि 2 लोग आपसी सहमति या असहमति से अप्राकृतिक संबंध बनाते है और दोषी करार दिए जाते हैं तो उनको 10 साल की सजा से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है. इसके तहत समलैंगिकता अपराध हो जाती है. समलैंगिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले लोग इसे खत्म करने की मांग बरसों से कर रहे हैं.
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भारत के सबसे विवादित कानून
धारा 498-ए
इस कानून के मुताबिक पत्नी पर क्रूरता करता हुआ पति या पति का रिश्तेदार यानी ऐसा कोई भी व्यक्ति, जो कि किसी महिला का पति या पति का संबंधी हो, यदि महिला के साथ क्रूरता करता है तो उसे तीन साल तक की जेल हो सकती है. इस कानून का विरोध करने वालों का कहना है कि महिलाएं कई बार इसका इस्तेमाल बेजा तरीके से करती हैं.
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भारत के सबसे विवादित कानून
भूमि अधिग्रहण कानून
मोटे मोटे शब्दों में कहें तो यह कानून सरकार को किसानों से जमीन लेने का अधिकार देता है. 1894 में बनाए गए इस कानून में 2014 में कुछ सुधार हुए थे. लेकिन सरकार का जमीन लेने का अधिकार बना हुआ है. किसानों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले लोग इस कानून में और बदलाव चाहते हैं.
रिपोर्ट: विवेक कुमार
पाकिस्तान में ईशनिंदा के लिए मौत की सजा हो सकती है. एक रूढ़िवादी इस्लामिक मुल्क में ईशनिंदा बहुत ही संवेदनशील मसला है. और खतरनाक भी. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब किसी पर ईशनिंदा का आरोप लगा और भीड़ ने उसे मार डाला. लेकिन बीबी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. मुकदमा चला. उन्होंने लाख कहा कि आपसी झगड़ा था और ईशनिंदा जैसा कुछ नहीं हुआ. लेकिन 2010 में उन्हें मौत की सजा सुना दी गई. बीबी के समर्थन में बोलने वाले पंजाब प्रांत के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर को उन्हीं के बॉडीगार्ड गोलियों से छलनी कर दिया. इस्लामाबाद में सरेआम भरे बाजार गवर्नर की हत्या करने वाले मुमताज कादरी को मौत की सजा सुनाई गई और 2016 में उसकी सजा पर अमल भी हो चुका है.
जानिए, भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार
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भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार
पिता की संपत्ति का अधिकार
भारत का कानून किसी महिला को अपने पिता की पुश्तैनी संपति में पूरा अधिकार देता है. अगर पिता ने खुद जमा की संपति की कोई वसीयत नहीं की है, तब उनकी मृत्यु के बाद संपत्ति में लड़की को भी उसके भाईयों और मां जितना ही हिस्सा मिलेगा. यहां तक कि शादी के बाद भी यह अधिकार बरकरार रहेगा.
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भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार
पति की संपत्ति से जुड़े हक
शादी के बाद पति की संपत्ति में तो महिला का मालिकाना हक नहीं होता लेकिन वैवाहिक विवादों की स्थिति में पति की हैसियत के हिसाब से महिला को गुजारा भत्ता मिलना चाहिए. पति की मौत के बाद या तो उसकी वसीयत के मुताबिक या फिर वसीयत ना होने की स्थिति में भी पत्नी को संपत्ति में हिस्सा मिलता है. शर्त यह है कि पति केवल अपनी खुद की अर्जित की हुई संपत्ति की ही वसीयत कर सकता है, पुश्तैनी जायदाद की नहीं.
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भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार
पति-पत्नी में ना बने तो
अगर पति-पत्नी साथ ना रहना चाहें तो पत्नी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने और बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांग सकती है. घरेलू हिंसा कानून के तहत भी गुजारा भत्ता की मांग की जा सकती है. अगर नौबत तलाक तक पहुंच जाए तब हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा 24 के तहत मुआवजा राशि तय होती है, जो कि पति के वेतन और उसकी अर्जित संपत्ति के आधार पर तय की जाती है.
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भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार
अपनी संपत्ति से जुड़े निर्णय
कोई भी महिला अपने हिस्से में आई पैतृक संपत्ति और खुद अर्जित की गई संपत्ति का जो चाहे कर सकती है. अगर महिला उसे बेचना चाहे या उसे किसी और के नाम करना चाहे तो इसमें कोई और दखल नहीं दे सकता. महिला चाहे तो उस संपत्ति से अपने बच्चो को बेदखल भी कर सकती है.
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भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार
घरेलू हिंसा से सुरक्षा
महिलाओं को अपने पिता या फिर पति के घर सुरक्षित रखने के लिए घरेलू हिंसा कानून है. आम तौर पर केवल पति के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इस कानून के दायरे में महिला का कोई भी घरेलू संबंधी आ सकता है. घरेलू हिंसा का मतलब है महिला के साथ किसी भी तरह की हिंसा या प्रताड़ना.
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भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार
क्या है घरेलू हिंसा
केवल मारपीट ही नहीं फिर मानसिक या आर्थिक प्रताड़ना भी घरेलू हिंसा के बराबर है. ताने मारना, गाली-गलौज करना या फिर किसी और तरह से महिला को भावनात्मक ठेस पहुंचाना अपराध है. किसी महिला को घर से निकाला जाना, उसका वेतन छीन लेना या फिर नौकरी से संबंधित दस्तावेज अपने कब्जे में ले लेना भी प्रताड़ना है, जिसके खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला बनता है. लिव इन संबंधों में भी यह लागू होता है.
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भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार
पुलिस से जुड़े अधिकार
एक महिला की तलाशी केवल महिला पुलिसकर्मी ही ले सकती है. महिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले पुलिस हिरासत में नहीं ले सकती. बिना वारंट के गिरफ्तार की जा रही महिला को तुरंत गिरफ्तारी का कारण बताना जरूरी होता है और उसे जमानत संबंधी उसके अधिकारों के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए. साथ ही गिरफ्तार महिला के निकट संबंधी को तुरंत सूचित करना पुलिस की ही जिम्मेदारी है.
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भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार
मुफ्त कानूनी मदद लेने का हक
अगर कोई महिला किसी केस में आरोपी है तो महिलाओं के लिए कानूनी मदद निःशुल्क है. वह अदालत से सरकारी खर्चे पर वकील करने का अनुरोध कर सकती है. यह केवल गरीब ही नहीं बल्कि किसी भी आर्थिक स्थिति की महिला के लिए है. पुलिस महिला की गिरफ्तारी के बाद कानूनी सहायता समिति से संपर्क करती है, जो कि महिला को मुफ्त कानूनी सलाह देने की व्यवस्था करती है.
रिपोर्ट: ऋतिका राय
लेकिन कादरी के जनाजे में भीड़ को देखकर पुरी दुनिया हैरान रह गई थी. यह भीड़ आसिया बीबी को फौरन फांसी देने की मांग कर रही थी. उस भीड़ के आकार ने एशम और ईशा की उम्मीदों को छोटा कर दिया. एशम कहती हैं, "पापा कहते थे कि बाहर हालात बहुत खराब है इसलिए घर में रहना है. हम हर वक्त घर में रहती थीं." एशम को हमेशा डर लगा रहता है कि कोई आएगा और पूछ लेगा कि क्या तुम आसिया बीबी की बेटी हो.
दोनों बहनें महीने में दो बार मुल्तान की जेल में बंद अपनी मां से मिलने जाती हैं. वे घर और बाहर की बातें करती हैं. एशम बताती हैं कि बातों की शुरुआत बड़ी अच्छी होती है लेकिन खत्म होते होते सब गमगीन हो जाता है. 17 साल की ईशा तो मानसिक रूप से बीमार है. लेकिन सलाखों के पीछे से आसिया उसे गले तक नहीं लगा पाती. अब फिर से केस की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. और वे तीन जोड़ी नजरें बस ताक रही हैं कि क्या होगा.
वीके/एके (एएफपी)
तस्वीरों में: कैसी थी पैगंबर मोहम्मद की बीवी
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ऐसी थीं पैगंबर मोहम्मद की बीवी
पिता से सीखे व्यापार के गुर
खदीजा के पिता मक्का के रहने वाले एक सफल व्यापारी थे. कुराइश कबीले के पुरुष प्रधान समाज में खदीजा को हुनर, ईमानदारी और भलाई के सबक अपने पिता से मिले. उनके पिता फर्नीचर से लेकर बर्तनों और रेशम तक का व्यापार करते थे. उनका कारोबार उस समय के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों मक्का से लेकर सीरिया और यमन तक फैला था.
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ऐसी थीं पैगंबर मोहम्मद की बीवी
आजादख्याल और साहसी
खदीजा की शादी पैगंबर मोहम्मद से पहले भी दो बार हो चुकी थी. उनके कई बच्चे भी थे. दूसरी बार विधवा होने के बाद वे अपना जीवनसाथी चुनने में बहुत सावधानी बरतना चाहती थीं और तब तक अकेले ही बच्चों की परवरिश करती रहीं. इस बीच वे एक बेहद सफल व्यवसायी बन चुकी थीं, जिसका नाम दूर दूर तक फैला.
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ऐसी थीं पैगंबर मोहम्मद की बीवी
ना उम्र की सीमा हो
पैगंबर मोहम्मद से शादी के वक्त खदीजा की उम्र 40 थी तो वहीं मोहम्मद की मात्र 25 थी. पैगंबर मोहम्मद को उन्होंने खुद शादी के लिए संदेश भिजवाया था और फिर शादी के बाद 25 सालों तक दोनों केवल एक दूसरे के ही साथ रहे. खदीजा की मौत के बाद पैगंबर मोहम्मद ने 10 और शादियां कीं. आखिरी बीवी आयशा को तब जलन होती थी जब वे सालों बाद तक अपनी मरहूम बीवी खदीजा को याद किया करते.
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ऐसी थीं पैगंबर मोहम्मद की बीवी
आदर्श पत्नी, प्रेम की मूरत
अपनी शादी के 25 सालों में पैगंबर मोहम्मद और खदीजा ने एक दूसरे से गहरा प्यार किया. तब ज्यादातर शादियां जरूरत से की जाती थीं लेकिन माना जाता है कि हजरत खदीजा को पैगंबर से प्यार हो गया था और तभी उन्होंने शादी का मन बनाया. जीवन भर पैगंबर पर भरोसा रखने वाली खदीजा ने मुश्किल से मुश्किल वक्त में उनका पूरा साथ दिया. कहते हैं कि उनके साथ के दौरान ही पैगंबर पर अल्लाह ने पहली बार खुलासा किया.
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ऐसी थीं पैगंबर मोहम्मद की बीवी
पहले मुसलमान
हजरत खदीजा को इस्लाम में विश्वास करने वालों की मां का दर्जा मिला हुआ है. वह पहली इंसान थीं जिन्होंने मोहम्मद को ईश्वर के आखिरी पैगंबर के रूप में स्वीकारा और जिन पर सबसे पहले कुरान नाजिल हुई. माना जाता है कि उन्हें खुद अल्लाह और उसके फरिश्ते गाब्रियाल ने आशीर्वाद दिया. अपनी सारी दौलत की वसीयत कर उन्होंने इस्लाम की स्थापना में पैगंबर मोहम्मद की मदद की.
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ऐसी थीं पैगंबर मोहम्मद की बीवी
गरीबों की मददगार
अपने व्यापार से हुई कमाई को हजरत खदीजा गरीब, अनाथ, विधवा और बीमारों में बांटा करतीं. उन्होंने अनगिनत गरीब लड़कियों की शादी का खर्च भी उठाया और इस तरह एक बेहद नेक और सबकी मदद करने वाली महिला के रूप में इस्लाम ही नहीं पूरे विश्व के इतिहास में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा.
रिपोर्ट: एपी/आरपी (huffingtonpost.com)