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फांसी का इंतजार करती आसिया बीबी की बेटियां

७ अक्टूबर २०१६

एशम और ईशा की मां को मौत की सजा हो चुकी है. उनकी मां मरने वाली है. दोनों बच्चियां इस दर्द के साथ घुट घुट कर जी रही हैं.

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18 साल की एशम और 17 साल की मानसिक रूप से बीमार उसकी बहन ईशा घर में कैद रहती हैं. बाहर निकलने से बचती हैं क्योंकि वे आसिया बीबी की बेटियां हैं. वही आसिया बीबी जो पाकिस्तान में ईशनिंदा के सबसे ज्यादा चर्चित मामले की दोषी है.

आसिया बीबी छह साल से जेल में बंद है और मौत की सजा का इंतजार कर रही है. उनका मामला मानवाधिकार और कट्टरपंथी तुष्टिकरण के बीच झूल रहा है. हालांकि पिछले महीने आसिया की बेटियों की आस अचानक जिंदा हो गई जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई मंजूर कर ली. यह आस लाख कोशिशों के बाद जगी है. इन कोशिशों में एशम पिछले साल अप्रैल में वेटिकन तक पहुंच गई थीं. वहां वह पोप से मिलीं और उनसे फरियाद की. पोप ने मां के लिए प्रार्थना करके लौटा दिया. उस यात्रा के बारे में 18 साल की एशम कहती हैं, "मुझे ज्यादा तो नहीं याद, बस इतना पता है कि उन्होंने दुआएं दी थीं." उन्हीं दुआओं के भरोसे पर एशम को लगता है कि पोप उनकी मां के लिए दुआ कर रहे हैं तो मां आजाद हो ही जाएगी.

ईसाई आसिया बीबी पर ईशनिंदा के आरोप 2009 में लगे थे. वह एक खेत में काम करती थीं. खेत में साथ ही काम करने वाली मुसलमान महिला से उनका झगड़ा हो गया. दरअसल, आसिया को पानी लाने का कहा गया तो मुसलमान महिला ने आपत्ति जताई कि गैर मुसलमान का छुआ पानी नहीं पिया जा सकता. इस बात को लेकर झगड़ा हुआ. मुसलमान औरत स्थानीय मौलवी के पास पहुंची और बताया कि बीबी ने पैगंबर मोहम्मद को गाली दी. यह ईशनिंदा थी.

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पाकिस्तान में ईशनिंदा के लिए मौत की सजा हो सकती है. एक रूढ़िवादी इस्लामिक मुल्क में ईशनिंदा बहुत ही संवेदनशील मसला है. और खतरनाक भी. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब किसी पर ईशनिंदा का आरोप लगा और भीड़ ने उसे मार डाला. लेकिन बीबी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. मुकदमा चला. उन्होंने लाख कहा कि आपसी झगड़ा था और ईशनिंदा जैसा कुछ नहीं हुआ. लेकिन 2010 में उन्हें मौत की सजा सुना दी गई. बीबी के समर्थन में बोलने वाले पंजाब प्रांत के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर को उन्हीं के बॉडीगार्ड गोलियों से छलनी कर दिया. इस्लामाबाद में सरेआम भरे बाजार गवर्नर की हत्या करने वाले मुमताज कादरी को मौत की सजा सुनाई गई और 2016 में उसकी सजा पर अमल भी हो चुका है.

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लेकिन कादरी के जनाजे में भीड़ को देखकर पुरी दुनिया हैरान रह गई थी. यह भीड़ आसिया बीबी को फौरन फांसी देने की मांग कर रही थी. उस भीड़ के आकार ने एशम और ईशा की उम्मीदों को छोटा कर दिया. एशम कहती हैं, "पापा कहते थे कि बाहर हालात बहुत खराब है इसलिए घर में रहना है. हम हर वक्त घर में रहती थीं." एशम को हमेशा डर लगा रहता है कि कोई आएगा और पूछ लेगा कि क्या तुम आसिया बीबी की बेटी हो.

दोनों बहनें महीने में दो बार मुल्तान की जेल में बंद अपनी मां से मिलने जाती हैं. वे घर और बाहर की बातें करती हैं. एशम बताती हैं कि बातों की शुरुआत बड़ी अच्छी होती है लेकिन खत्म होते होते सब गमगीन हो जाता है. 17 साल की ईशा तो मानसिक रूप से बीमार है. लेकिन सलाखों के पीछे से आसिया उसे गले तक नहीं लगा पाती. अब फिर से केस की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. और वे तीन जोड़ी नजरें बस ताक रही हैं कि क्या होगा.

वीके/एके (एएफपी)

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