तुर्की में जनमत संग्रह को "हां", लेकिन विपक्ष देगा चुनौती
१७ अप्रैल २०१७तुर्की की सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलू के मुताबिक जनमत संग्रह के हक में 51.4 प्रतिशत मतदाताओं ने मत दिया जबकि इसका विरोध करने वालों की संख्या 48.6 प्रतिशत थी. चुनाव आयोग के प्रमुख सादी गुवेन का कहना है कि आधिकारिक नतीजों की घोषणा 11 से 12 दिन में की जाएगी.
जर्मनी में रहने वाले ज्यादातर तुर्क वोटरों ने संवैधानिक सुधारों से जुड़े इस जनमत संग्रह के हक में वोट दिया. अनादोलू के अनुसार जर्मनी से 63.1 प्रतिशत तुर्क लोगों ने संवैधानिक सुधारों के लिए "हां" कहा. वहीं ऑस्ट्रिया में 73.5 प्रतिशत लोगों ने संवैधानिक सुधारों का समर्थन किया.
एर्दोवान ने कहा है कि तुर्की के लोगों ने संवैधानिक संशोधनों का समर्थन कर "ऐतिहासिक फैसला" लिया है. नए संवैधानिक सुधारों के बाद एर्दोवान 2029 तक तुर्की के राष्ट्रपति रह पाएंगे. तुर्की में प्रधानमंत्री का पद खत्म कर दिया जाएगा और राष्ट्रपति शासन व्यवस्था लागू होगी. एर्दोवान मंत्रियों समेत किसी भी अधिकारी की नियुक्ति सीधे सीधे कर सकते हैं. राष्ट्रपति को न्यायपालिका में हस्तक्षेप करने का अधिकार भी होगा, जिस पर वह अपने विरोधी और अमेरिका में रहने वाले फतहुल्लाह गुलेन का प्रभाव बताते हैं. नए संवैधानिक सुधारों के बाद राष्ट्रपति यह फैसला करने की स्थिति में भी होंगे कि देश में आपातकाल लगाना है या नहीं.
दूसरी तरफ, विपक्ष ने जनमत संग्रह के नतीजों पर सवाल उठाया है. दो विपक्षी पार्टियों ने कहा है कि वे जनमत संग्रह के नतीजों को चुनौती देंगी. कुर्द समर्थक एचडीपी पार्टी के मुताबिक वह दो तिहाई मतों को चुनौती देगी. पार्टी ने कहा है, "ऐसे संकेत है कि तीन से चार प्रतिशत अंकों की हेराफेरी की गई है." इसी तरह मुख्य विपक्षी पार्टी सीएचपी का कहना है कि वह जनमत संग्रह के लिए "हां" के नतीजे को स्वीकार नहीं कर सकती है.
उधर पश्चिमी देशों ने जनमत संग्रह के नतीजे को लेकर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. यूरोपीय संघ ने कहा है कि बहुत कम अंतर से मिली जीत के बाद तुर्की की सरकार को व्यापक सहमति से चीजें तय करनी चाहिए. वहीं, जर्मन विदेश मंत्री जिगमार गाब्रिएल ने कहा है कि जनमत संग्रह का नतीजा जो भी हो, लेकिन लोगों को शांति बनाए रखनी चाहिए.
एके/एमजे (एएफपी, एपी, डीपीए)