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जिंदा रहने के लिए तरकीबें आजमातीं औरतें

२३ नवम्बर २०१६

जलवायु परिवर्तन की सबसे बड़ी कीमत औरतें चुका रही हैं. कहीं अकाल तो कहीं बाढ़ की मारीं इन औरतों को जिंदा रहने के लिए ऐसी ऐसी तरकीबें आजमानी पड़ रही हैं की रूह कांप जाए.

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Mosambik Afrika Wassermangel
तस्वीर: DW/B.Jequete

अफ्रीकी देश मोजाम्बिक के दक्षिणी हिस्से में दो साल से अकाल है. 35 साल में दूसरा भयानक अकाल. और इसकी सबसे भारी कीमत महिलाएं और युवतियां चुका रही हैं. अंतरराष्ट्रीय संस्था केयर इंटरनेशनल का कहना है कि इन महिलाओं के लिए अब जिंदा रहना भी चुनौती हो गया है. इसके लिए वे ऐसी ऐसी तरकीबें आजमा रही हैं कि मन विचलित हो सकता है. इन तरकीबों में खाना हासिल करने के लिए सेक्स से लेकर रोजाना कम खाना तक शामिल है.

इसी हफ्ते जारी हुई केयर की रिपोर्ट बताती है कि इनहम्बाने प्रांत में महिलाएं पानी की खोज में रोजना छह घंटे तक चलती हैं. और हाल के अल नीनो इफेक्ट ने हालात को बदतर कर दिया है. ऐसे परिवारों की बहुत बड़ी संख्या है जिन्हें अपने रोजाना के खाने में कटौती करनी पड़ रही है. दसियों हजार बच्चे कुपोषण का ग्रास बन जाने के मुहाने पर खड़े हैं. किशोरियां खासतौर पर खतरे में हैं क्योंकि उन्हें पता ही नहीं है कि वे खुद और अपने बच्चों को भूख से कैसे बचा सकती हैं. मोजाम्बिक में केयर के निदेशक मार्क नोसबाख बताते हैं, "11-12 साल की बच्चियां हमें मिली हैं जिन्हें लोग खाना देने के बहाने फुसलाकर ले गए. बाद में पता चला कि ये बच्चियां प्रेग्नेंट हो गई थीं. उसके बाद से वे समाज और परिवार की प्रताड़ना झेल रही हैं."

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सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस हिस्से में महिलाओं की मदद के लिए धन की जरूरत है, वरना हजारों जिंदगियां बर्बाद हो जाएंगे. मोरक्को में बीते हफ्ते यूएन का एक सम्मेलन था जिसमें यह बात उठाई गई कि जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे इलाकों को बड़ी मात्रा में धन की जरूरत है लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. ऐसे इलाकों में रह रहे लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर साल अमीर देशों की ओर से सिर्फ 10 अरब डॉलर की सहायता मिलती है जबकि जरूरत इससे कई गुना ज्यादा है. मोरक्को के सम्मेलन में भी इस बारे में कोई नतीजा नहीं निकल सका.

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ऑक्सफैम इंटरनेशनल में क्लाइमेट चेंज पॉलिसी की विशेषज्ञ इसाबेल क्राइसलर बताती हैं कि विकसित देशों ने तो इस वित्तीय अंतर को पाटने के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है. वह कहती हैं, "यह सिर्फ आंकड़े बढ़ाने या घटाने का मामला नहीं है. यह अफ्रीका में महिला किसानों को ऐसी फसलों के बीज उपलब्ध कराने की बात है जो अकालग्रस्त इलाकों में उगाई जा सकें और परिवारों को आजीविका उपलब्ध कराई जा सके."

वीके/एके (रॉयटर्स)