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यहां सोशल मीडिया में 'लाइक' करने पर मिलती है कैद

ईशा भाटिया१ जून २०१६

रूस सरकार देशभक्ति की एक अलग ही परिभाषा पेश कर रही है. सरकार के खिलाफ कुछ कहना या लिखना तो दूर, सोशल मीडिया पर सरकार का मजाक उड़ाने वाली पोस्ट को लाइक या शेयर करना भी अपराध है.

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Symbolbild Wikileaks Deutsche Firmen Überwachungssoftware in Diktaturen Bahrain
तस्वीर: Mohammed Al-Shaikh/AFP/Getty Images

आनास्तासिया बुबेयेवा अपने कंप्यूटर पर एक स्क्रीनशॉट दिखाती हैं. टूथपेस्ट की ट्यूब की तस्वीर है, जिस पर लिखा है, "स्क्वीज रशिया आउट ऑफ यॉरसेल्फ" यानी रूस को खुद से निकाल बाहर करें. इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर डालने के लिए उनके पति को दो साल कैद की सजा सुनाई गयी है. कमाल की बात यह है कि उन्होंने यह तस्वीर अपने कुल 12 दोस्तों के ही साथ शेयर की थी.

रूस के लिए यह अकेला मामला नहीं है. पिछले साल "आपत्तिजनक टिपण्णी" करने के आरोप में 54 लोगों को सजा हुई. इन सबने इंटरनेट के जरिये सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की कोशिश की थी. मॉस्को स्थित मानवाधिकार संगठन सोवा के अनुसार जहां 2010 में "हेट स्पीच" के लिए 92 लोगों को दोषी करार दिया गया था, वहीं 2015 में यह संख्या बढ़ कर 233 हो चुकी है.

कानून की दुहाई

दरअसल साल 2002 में रूस में चरमपंथ से निपटने के लिए एक नया कानून बनाया गया. कानून का मकसद तो देश और संविधान की रक्षा है लेकिन जिस तरह से इसे लिखा गया है, सरकार इसकी अपने मन मुताबिक व्याख्या करने लगी है. ऐसे में नाजी विचारधारा दिखाने वालों से लेकर सोशल मीडिया पर अपने विचार अभिव्यक्त करने वालों तक, सभी को देश की सुरक्षा में सेंध लगाने वाला माना जा सकता है. इसके बाद फरवरी 2014 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक और विधेयक पर हस्ताक्षर किए, जिसने देश के खिलाफ कुछ भी कहने को गुनाह बना दिया है. सोशल मीडिया में अपने पर्सनल अकाउंट पर लिखी हुई बात को भी अपराध माना जा सकता है. हालांकि अंतिम फैसला अदालत का ही होता है लेकिन रूस में अदालत और सरकार के फैसलों में खास फर्क देखने को नहीं मिलता.

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खुफिया एजेंसी करती है रेड

इंटरनेट में चल रही अधिकतर बहस रूस और यूक्रेन के मुद्दे पर होती है. आनास्तासिया बुबेयेवा के पति आंद्रेय भी उन्हीं लोगों में से हैं जो यूक्रेन को ले कर सरकार के रवैये पर सवाल उठा रहे थे. अधिकारियों ने फोन के जरिये उनसे संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन वह काम के सिलसिले में शहर से बाहर थे और अधिकारी उन तक पहुंच नहीं पाए, इसलिए उन्हें चरमपंथियों की वॉन्टेड लिस्ट में डाल दिया गया. जब वह अपने परिवार से मिलने के लिए लौटे, तो खुफिया एजेंसी ने घर पर छापा मार कर उन्हें गिरफ्तार किया.

रेड के दौरान उनके चार साल के बेटे को आंख पर चोट भी आई. इसके कुछ महीनों बाद 40 वर्षीय आंद्रेय को एक साल की सजा सुनाई गयी. लेकिन फैसले के दो ही हफ्तों बाद उन पर एक और धारा लगा कर एक और साल की सजा दी गयी. अदालत के अनुसार उनका अपराध था कि उन्होंने यूक्रेन समर्थकों के आर्टिकल, फोटो और वीडियो "शेयर" किए. टूथपेस्ट वाली तस्वीर शेयर कर उन्होंने "रूस की सत्यनिष्ठा को आहत किया".

वीकॉन्टॅक्ट पर लाइक और शेयर

आंद्रेय की पत्नी आनास्तासिया का कहना है कि यह वैसा ही है जैसे लोग अखबारों के लेख जमा करते हैं और अपने पास रखते हैं. उनका सवाल है कि जिस व्यक्ति के पास सोशल मीडिया में महज 12 दोस्त हों, वह राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा कैसे हो सकता है, खास कर जब वह खुद कुछ नहीं लिख रहा है.

आंद्रेय ने यह पोस्ट रूस की लोकप्रिय सोशल मीडिया वेबसाइट वीकॉन्टॅक्ट पर शेयर की थी. यह वेबसाइट फेसबुक की ही तरह काम करती है. आंद्रेय के वकील का कहना है कि उनके अकाउंट की सेटिंग भी कुछ इस प्रकार थी कि शेयर या लाइक की हुई पोस्ट केवल उन्हें और उनके 12 दोस्तों को ही दिख सकती थी। ऐसे में खुफिया एजेंसियों तक बात कैसे पहुंची?

पिछले महीनों में जिन लोगों को "हेट स्पीच" के मामलों में सजा सुनाई गयी है, उनमें से लगभग आधे वीकॉन्टैक्ट के ही कारण मुसीबत में फंसे हैं.

आईबी/वीके (आईपी)

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