लोगों के लिए मिसाल कायम कर रहा है कॉप23
८ नवम्बर २०१७बॉन में चल रहे विश्व जलवायु सम्मेलन में चर्चा इस बात पर हो रही है कि धरती को कैसे बचाया जाए. चर्चा करने दुनिया भर से करीब 25,000 लोग यहां जमा हुए हैं. लेकिन जब भी कभी कोई बड़ा आयोजन होता है, तो उसमें संसाधनों का भी खूब इस्तेमाल और उससे भी बढ़कर या बर्बादी होती है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब हजारों लोगों पर इतनी बड़ी संख्या में संसाधन खर्च हो रहे हैं, तो क्या पर्यावरण पर बोझ और नहीं बढ़ेगा. संयुक्त राष्ट्र ने इस बात का ख्याल रखा है और सम्मेलन को इसमें हिस्सा लेने वालों के लिए एक उदाहरण के तौर पर पेश किया है.
सम्मेलन पेपरलेस है यानि यहां कागज की खपत नहीं हो रही है. कांफ्रेस में आने वालों को कोई भी जानकारी चाहिए हो, तो वे ऐप या फिर संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर मौजूद है. अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों की तरह, यहां कोई ब्रोशर नहीं छपवाये गये हैं, मीडिया के लिए कोई प्रेस किट नहीं है, सम्मेलन में एक हॉल से दूसरे तक जाने के लिए अक्सर मिलने वाले नक्शे भी यहां मुहैया नहीं कराये जा रहे हैं. हालांकि अगर किसी को प्रिंट आउट की सख्त जरूरत हो, तो मांगा जा सकता है लेकिन इसके लिए भी रिसाइकल पेपर का ही इस्तेमाल किया जाएगा.
खाने पीने में भी बचत
कागज के अलावा खाने पर भी ध्यान दिया गया है. पश्चिमी देशों में होने वाले अधिकतर सम्मेलनों में खाना मांसाहारी होता है. इसके विपरीत यहां 60 फीसदी खाना शाकाहारी है. केटरिंग के जरिये भी इस बात की ओर ध्यान दिलाया जा रहा है कि पशु पालन के कारण पर्यावरण में मीथेन की मात्रा बढ़ रही है. साथ ही खाने की चीजों में मीट का कार्बन फुटप्रिंट सबसे अधिक होता है और कॉप23 का लक्ष्य कार्बन फुटप्रिंट को कम करना है. इससे पहले पेरिस सम्मेलन में 30 प्रतिशत खाना शाकाहारी था. केटरिंग के दौरान बच जाने वाले फल और सलाद को फेंका नहीं जाएगा, बल्कि इससे स्मूदी या अन्य किसी रूप में खाना बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा.
इसी तरह यहां पानी की प्लास्टिक की डिस्पोजेबल बोतलें भी देखने को नहीं मिलेंगी. कांफ्रेंस की शुरुआत में सभी को एक नीले रंग की बोतल दी जाती है, जगह जगह प्याऊ लगे हैं, जहां से इसे भरा जा सकता है. चाय कॉफी के लिए भी कुल्ल्हड़नुमा कप का इस्तेमाल किया जा रहा है जो मिट्टी से बने हैं. हालांकि कागज के कप पूरी तरह से गायब नहीं हुए हैं लेकिन उन्हें बार बार इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है.
सम्मेलन का आयोजन किसी एक इमारत में नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण एजेंसी यूएनएफसीसीसी की इमारत के इर्दगिर्द कई हाईटेक तंबुओं में हो रहा है. इन्हें बनाने में तीन महीने का समय लगा है और सम्मेलन होने के बाद इसे हटाने में भी इतना ही समय लग सकता है है क्योंकि इसमें से किसी भी सामान को फेंका नहीं जाएगा, बल्कि दोबारा कहीं और किसी और सम्मेलन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
इसके अलावा एक पंडाल से दूसरे तक जाने के लिए ई-बसों का इंतजाम किया गया है, साथ ही साइकिल भी हैं, यानि पेट्रोल और डीजल की खपत नहीं है. इस सब के लिए 600 वॉलंटियर यहां काम कर रहे हैं, जो लोगों को जागरूक करने में भी लगे हैं.