1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

फिर अधर में लटका कोलंबिया का शांति समझौता

४ अक्टूबर २०१६

कोलंबिया में वामपंथी विद्रोही लड़ाकों के साथ शांति समझौते को जनमत संग्रह में ठुकरा दिया गया है. युद्ध से बेहाल लोग भविष्य को लेकर चिंतित हैं. आधी सदी लंबे चले सशस्त्र संघर्ष का अंतत: खात्मा होता दिखा था.

https://p.dw.com/p/2QpqI
Kolumbien Referendum Befürworter des Abkommens trauern
तस्वीर: Getty Images/AFP/G. Legaria

कोलंबिया में रविवार को हुए जनमत संग्रह के नतीजों ने सबको हैरान किया है. मतदान पूर्व सर्वेक्षणों में शांति समझौते के आसानी से पास हो जाने की उम्मीदों से काफी अलग नतीजे मिले हैं. रिवॉल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेज ऑफ कोलंबिया फार्क के साथ समझौते का समर्थन करने वाले और इसके विरोधियों में बहुत कम अंतर रहा, लेकिन बाजी विरोधियों ने मारी. विरोधियों को 50.2 फीसदी वोट मिले और इसी के साथ समझौता रद्द हो गया. रेफरेंडम में केवल 37 फीसदी मतदाताओं ने ही वोट डाले.

कोलंबिया के राष्ट्रपति  खुआन मानुएल सांतोस और फार्क नेता करीब चार साल से जारी वार्ताओं के दौर के बाद समझौते तक पहुंचे थे. कोलंबिया का गृह युद्ध दुनिया के सबसे जानलेवा संघर्षों में गिना जाता है. 1964 में शुरू हुई इस लड़ाई के अंत तक करीब दो लाख बीस हजार लोगों की जान जा चुकी है और 80 लाख लोग विस्थापित हुए. शांति समझौते को वोटरों की मंजूरी ना मिलने को राष्ट्रपति संतोस के प्रति समर्थन की कमी के रूप में देखा जा रहा है. 2010 से लेकर अब तक के शासनकाल में राष्ट्रपति सांतोस की अप्रूवल रेटिंग इस समय न्यूनतम स्तर पर है.

जनमत संग्रह के नतीजे के बाद टीवी पर देशवासियों को संदेश देते हुए सांतोस ने कहा, "मैं हार नहीं मानूंगा. जब तक मुझे जनादेश मिला है तब तक मैं शांति कि कोशिश करता रहूंगा." हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि पहले से ही अलोकप्रिय सांतोस आगे इस शांति समझौते की ओर कैसे बढ़ पाएंगे. समझौते को पास करवाने के इस सरकारी प्रयास की असफलता इसलिए भी और झटका देने वाली है क्योंकि इसे विश्व के कई नेताओं का समर्थन मिला हुआ था. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव से लेकर विश्व के कई राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी में एक भावपूर्ण सभा में इस समझौते पर राष्ट्रपति सांतोस और फार्क नेता तिमोशेंकों ने हस्ताक्षर किए थे.

अब सबकी नजरें सांतोस के प्रमुख विरोधी अलवारो उरीबे पर हैं. पूर्व राष्ट्रपति उरीबे ने इस समझौते के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया था. वे खुद भी फार्क की हिंसा का शिकार बन चुके हैं. उन्होंने अभियान चलाया कि तमाम अपराध कर चुके पूर्व फार्क लड़ाकों को कांग्रेस में रिजर्व सीटें देने के बदले कम से कम 10 साल की जेल की सजा मिले. उरीबे का मानना है कि "पूरा समझौता दंडमुक्ति के तरीकों से भरा है."  समझौते के खिलाफ मत देने वालों ने नतीजे पर प्रसन्नता जताते हुए मौजूदा संधि में कई सुधार किए जाने की मांग की.

करीब 7,000 की तादाद वाले फार्क लड़ाकू दस्ते में लगभग एक तिहाई महिलाएं हैं. इनके दुबारा युद्ध में जुट जाने की संभावना कम है क्योंकि फिलहाल युद्धविराम जारी है. जानकार शांति समझौते की आगे की राह को बहुत कठिन मानते हैं. उनका कहना है कि सांतोस और उरीबे को साथ लाना, फार्क के साथ शांति स्तापित करने से ज्यादा मुश्किल होगा. 

आरपी/एमजे(एपी)