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धरती पर धड़ाम से गिरेगा स्पेस स्टेशन

ओएसजे/आरपी२३ सितम्बर २०१६

चीन का अंतरिक्ष स्टेशन नियंत्रण से बाहर हुआ. 8.5 टन भारी स्पेस स्टेशन अगले साल धरती पर क्रैश करेगा. ये टक्कर कहां होगी, फिलहाल यह पता नहीं है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

सितंबर 2011 में लॉन्च किया गया तियांगॉन्ग-1 स्पेस स्टेशन 370 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी का चक्कर काट रहा था. लेकिन जुलाई 2016 में खबर आई कि स्पेस स्टेशन चीन के नियंत्रण से बाहर हो गया है. चीनी मीडिया के मुताबिक अंतरिक्ष एजेंसी ने स्पेस स्टेशन से संपर्क करने की काफी कोशिशें कीं, लेकिन सब नाकाम रहीं. अब आधिकारिक तौर पर स्पेस स्टेशन के क्रैश का एलान कर दिया गया है. तियांगॉन्ग-1 अगले साल के अंत में धरती से टकरायेगा.

तियांगॉन्ग-2 के लॉन्च के दौरान चीनी स्पेस एजेंसी के उप निदेशक वु पिंग ने कहा, "हमारी गणना और समीक्षा के आधार पर कहा जा सकता है कि अंतरिक्ष प्रयोगशाला के ज्यादातर हिस्से क्रैश के दौरान जल जाएंगे." चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ से बात करते हुए वु पिंग ने कहा, "इस बात की कम संभावना है कि यह उड़ान गतिविधियों को प्रभावित करेगा या फिर सतह पर तबाही मचायेगा."

(अंतरिक्ष में उत्पत्ति, अंतरिक्ष में ही अंत)

Space.com के मुताबिक अगर ऑपरेटर स्पेस स्टेशन से अगर जरा भी संपर्क हुआ तो उसे निर्धारित जगह पर गिराया जा सकेगा. आम तौर पर कंट्रोल से बाहर हो चुकी सैटेलाइटों को समंदर में गिराया जाता है. क्रैश होने वाली ज्यादातर सैटेलाइट्स की तरह तियांगॉन्ग-1 का ज्यादातर हिस्सा पृथ्वी की ओर गिरते समय आकाश में ही जल जाएगा.

लेकिन चिंता इंजन को लेकर हो रही है. आशंका है कि इंजन पूरी तरह खाक नहीं होगा और वह जिस इलाके में भी गिरेगा, वहां व्यापक नुकसान पहुंचाएगा. हावर्ड यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट जोनाथन मैकडॉवेल के मुताबिक, मुसीबत बन चुका यह यान आने वाले समय में धरती के वातावरण में फिर प्रवेश करेगा, "आप इन चीजों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं. पुन:प्रवेश करने के कुछ दिन पहले तक भी आपको इसका पता नहीं चलेगा, हमें शायद करीब छह या सात घंटे पहले पता चलेगा कि ये नीचे आ रहा है. यह कब नीचे आएगा इसका पता न होने का मतलब है कि हमें नहीं पता है कि यह कहां गिरेगा."

टक्कर से होने वाले नुकसान की आशंका के बारे में मैकडॉवेल कहते हैं, "करीब 100 किलो या उसके आस पास का भार होगा, ये जबरदस्त झटका देने के लिए काफी है."

(क्या कहता है विज्ञान पृथ्वी के भविष्य के बारे में)