बदल रहा है पाकिस्तान
अंतरराष्ट्रीय मीडिया में पाकिस्तान को लेकर जो खबरें आती हैं, वे देश की अच्छी तस्वीर पेश नहीं करतीं. लेकिन हाल के समय में वहां ऐसे कई कदम उठाए गए हैं जिनसे पता चलता है कि पाकिस्तान बदल रहा है.
हिंदू मैरिज एक्ट
पाकिस्तान में कई ऐसे मामले देखे गए जब हिंदू महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन करा कर उनसे शादी की गई जबकि वे पहले से शादी शुदा थी. लेकिन हिंदू शादियों को आधिकारिक मान्यता ना होने के कारण इंसाफ के दरवाजे उनके लिए बंद थे. 2016 में पास हुए 'हिंदू मैरिज एक्ट' के तहत हिंदू शादियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई. इससे जबरन शादी और बाल विवाह के मामले कम होने की उम्मीद है.
ऑनर किलिंग एक्ट
पाकिस्तान में हर साल ऑनर किलिंग के हजारों मामले सामने आते हैं. 2016 में एक मशहूर मॉडल कंदील बलोच को उनके भाई ने इज्जत के नाम पर कत्ल कर दिया. पूरी दुनिया में इस मामले ने सुर्खियां बटोरी. इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने एक कानून बनाकर उन कमियों को दूर करने की कोशिश की, जिनके चलते ऑनर किलिंग जैसे अपराधों में लिप्त लोग बिना सजा के छूट जाते थे.
होली और दीवाली
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अल्पसंख्यकों के हक की बात उठाते रहे हैं और सबको बराबर अधिकार देने की बात करते हैं. वह होली और दीवाली जैसे हिंदू त्योहारों के उत्सवों में निजी रूप से शामिल होते रहे हैं. कराची में दीवाली के मौके पर ही उन्होंने हिंदू समुदाय से कह दिया था कि होली पर भी बुलाना. उधर जमात उद दावा जैसे गुट कहते हैं कि शरीफ भारत सरकार को खुश करने के लिए यह सब कर रहे हैं.
सबका साथ सबका विकास
कराची में दीवाली के मौके पर नवाज शरीफ ने कहा, "अगर किसी हिंदू को परेशान किया जाता है और परेशान करने वाला मुसलमान है तो मैं उस मुसलमान के खिलाफ कदम उठाऊंगा. मेरा मजहब मुझे यही सिखाता है और मेरे माता पिता ने भी मुझे यही सिखाया है." उन्होंने कहा कि हमें एक दूसरे की खुशियां और गम बांटने चाहिए, सबको साथ लेकर चलना चाहिए और एक दूसरे की मदद करनी चाहिए.
क्रिसमस ट्रेन
पाकिस्तान सरकार ईसाइयों के सबसे बड़े त्यौहार क्रिसमस के जश्न में शामिल हुई, खास अंदाज में. 22 दिसंबर 2016 को इस्लामाबाद से 'क्रिसमस अमन ट्रेन' रवाना की गई. इसका मकसद देश भर में रह रहे ईसाइयों के प्रति धार्मिक सौहार्द्र, सहिष्णुता और प्रेम का संदेश देना था. पाकिस्तान में ईसाई हिंदुओं के बाद से सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है. हाल के सालों में कई चर्चों को आतकंवादी हमलों में निशाना बनाया गया है.
बरसों बाद सम्मान
1979 में जिस वैज्ञानिक ने पाकिस्तान को पहला नोबेल दिलाया था, उसे ही वह दुत्कारता रहा. बस इसलिए कि वह अहमदी समुदाय से थे जिसे पाकिस्तान में मुसलमान नहीं माना जाता है. 2016 में पहली बार इस्लामाबाद की एक यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट का नाम भौतिकविज्ञानी प्रोफेसर अब्दुस्सलाम के नाम पर रखा गया. अहमदी समुदाय का कहना है, "उन्हें जीते जी तो पाकिस्तान में इज्जत नहीं मिली. लेकिन देर आयद दुरुस्त आयद."
पाकिस्तान में सिख
पाकिस्तान में रहने वाले सिखों की तादाद मुश्किल से छह हजार के आसपास है. लेकिन इस्लामी देश में यह छोटा सा समुदाय अपनी पहचान बना रहा है. कोई सिख युवा टीवी एंकर बन कर सुर्खियां बटोरता है तो कोई पाकिस्तानी सेना में शामिल होकर. वहीं मोहिंदर पाल पाकिस्तान के पहले उभरते हुए सिख क्रिकेटर हैं और लाहौर की नेशनल क्रिकेट एकेडमी में क्रिकेट के गुर सीख रहे हैं.