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बुरकिनी विवाद का राष्ट्रपति चुनावों पर साया

एमजे/वीके (एएफपी)३० अगस्त २०१६

फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव तो अगले साल होंगे, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति निकोला सारकोजी और उनके प्रतिद्वंद्वी अलां जुप्पे के बीच ठन गई है. मुस्लिम महिलाओं का फुल बॉडी स्विमिंग सूट इस समय फ्रांस में विवादों में है.

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Antwerpen Belgien Burkini Party Protest
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F.Sadones

इस बार पहली बार एक प्राइमरी में फ्रांस की दक्षिणपंथी पार्टी अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार का चुनाव करेगी. अभियान के दौरान बुरकिनी पर विवाद शुरू हो गया है. दोनों प्रमुख नेताओं के बीच झगड़ा तब शुरू हुआ जब कई शहरों के मेयरों ने देश की सर्वोच्च प्रशासनिक अदालत के शुक्रवार के उस फैसले को मानने से इनकार कर दिया जिसमें बुरकिनी पर प्रतिबंध को गैरकानूनी करार दिया गया था.

बड़बोले निकोला सारकोजी 2007 से 2012 तक फ्रांस के राष्ट्रपति रहे हैं और पिछले ही हफ्ते उन्होंने अगले साल राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनने की घोषणा की है. वह पिछले हफ्ते ही इस विवाद में शामिल हो गए थे जब उन्होंने कहा कि फ्रांस को अपने धर्मनिरपेक्ष "जीवन के ढर्रे" की रक्षा के लिए संघर्ष करना होगा. उन्होंने कहा, "हम अपने देश में धर्म में हिस्सेदारी का बाहरी दखल नहीं चाहते." 61 वर्षीय सारकोजी ने अपने युवा समर्थकों से कहा कि वे असंगत समझौतों, हकीकत को नकारने और आप्रवासन पर आधे अधूरे समाधान का उम्मीदवार नहीं होना चाहते.

बिकिनी को बिकिनी क्यों कहते हैं? तस्वीरें बताएंगी

सारकोजी के विपरीत देश के प्रधानमंत्री रहे अलां जुप्पे ने कहा कि वे "लोगों को साथ लाना चाहते हैं न कि आग लगाना चाहते हैं." इस समय के जनमत संग्रहों में अलां जुप्पे देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं. हालांकि कुछ पर्यवेक्षकों ने शिकायत की है कि मैदान में युवा नेता नहीं हैं लेकिन 71 वर्षीय जुप्पे अपनी उम्र और अपने नरमपंथी होने का इस्तेमाल अपने फायदे में कर रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसे समय में जब फ्रांस आतंकी हमले के खतरे में जी रहा है और बुरकिनी पर दक्षिण पूर्वी शहरों के मेयरों के फैसलों के कारण देश की छवि दांव पर लगी है, फ्रांस को उनके जैसे अनुभव वाले नेता की जरूरत है. वह कहते हैं, "फ्रांस बहुलता वाला है. हमारा सबका मूल एक नहीं, न हीं एक जैसा चमड़े का रंग या धर्म. इसका आदर होना चाहिए."

सारकोजी के विपरीत जुप्पे ने गर्मियों में दो इस्लामी कट्टरपंथी हमलों के बाद करीब 30 शहरों में बुरकिनी पर लगाए गए प्रतिबंधों के बुखार जैसे माहौल की निंदा की है. वे पूछते हैं, "फ्रांस के समाज को घेरने वाले इस पागलपन का अंत क्या है? क्या हम स्कूलों में लंबी कमीजों पर रोक लगा देंगे?" जुप्पे ने यूनिवर्सिटी में इस्लामी स्कार्फ पर रोक लगाने के विचार का भी विरोध किया है. सारकोजी चाहते हैं कि फ्रांस की धर्मनिरपेक्ष छवि को बढ़ावा देने के लिए स्कार्फ पर रोक होनी चाहिए.

वक्त के साथ कैसे बदली बिकिनी

कट्टरपंथ की राह पर चल निकले संदिग्धों के साथ पेश आने के मुद्दे पर भी दोनों उम्मीदवारों की राय एक दूसरे के एकदम विपरीत है. सारकोजी ने कट्टरपंथ के समर्थक बने संदिग्धों को हमला करने से रोकने के लिए इंटर्नमेंट कैंप बनाने की मांग की है. लेकिन जुप्पे का कहना है कि वे "फ्रेंच स्टाइल का गुआंतानामो नहीं चाहते जहां बिना मुकदमे के हजारों लोगों को कैद रखा जाए." आप्रवासन और इस्लाम को छोड़ दें तो अर्थव्यवस्था पर दोनों उम्मीदवारों में कोई अंतर नहीं है.

मध्यमार्ग दक्षिणपंथी पार्टी की प्राइमरी 20 और 27 नवंबर को दो चरणों में होगी. सोशलिस्ट राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद की घटती लोकप्रियता को देखते हुए यह प्राइमरी अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है. इसमें हर वह इंसान भाग ले सकता है जो 2 यूरो की फीस दे और मध्यमार्ग और दक्षिणपंथ के मूल्यों को स्वीकार करे. खस्ताहाल आर्थिक स्थिति के कारण ओलांद को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे कम लोकप्रियता पॉइंट मिले हैं. उन्होंने कहा है कि वह चुनाव लड़ने के बारे में दिसंबर तक फैसला करेंगे. मध्य दक्षिणपंथी प्राइमरी जो जीतता है उसके लिए मई में होने वाले चुनाव जीतने की संभावना अत्यंत प्रबल होगी. संभव है कि दूसरे चरण में मुकाबल उग्र दक्षिणपंथी नेशनल फ्रंट की मारी ले पेन से मुकाबला हो.

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