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ऑरलैंडो का हत्यारा अमेरिकी है या मुसलमान?

विवेक कुमार१३ जून २०१६

अमेरिका के ऑरलैंडो में एक बंदूकधारी घुसा और गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. 50 लोग हलाक हो गए और इससे कहीं ज्यादा जख्मी. उस आदमी की दो पहचान हैं. एक पहचान है उसका नाम. दूसरी पहचान है उसका दिमाग.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. Burbank

ऑरलैंडो के हमलावर का नाम उसे मुसलमान बताता है. उसका दिमाग उसे अमेरिकी बताता है. अब तय यह करना है कि उसने जो हमला किया, वह मुसलमान के तौर पर किया या अमेरिकी के तौर पर. दोनों तरफ के तर्क हैं. फैसला हमें करना है, जिनके बदन में उसकी कोई गोली नहीं है.

ऑरलैंडो के बंदूकधारी का नाम उमर मतीन था. 29 साल का उमर मतीन ऐसी कई बातें कर या कह चुका था जिनसे संदेह होता है कि वह एक इस्लामिक आतंकवादी था. मसलन,

1. वह एक मुसलमान था.

2. उसके पिता अफगानिस्तान में तालिबान के समर्थक रह चुके हैं.

3. उसने 911 पर फोन किया और कहा कि वह आईएसएस का समर्थक है.

4. 2013 में एफबीआई को उस पर शक हुआ था. उससे पूछताछ भी की गई थी.

5. उसने अमेरिकी नागरिकों को मारा है.

अब ऐसे भी कुछ तथ्य हैं जो बताते हैं कि उमर मतीन एक अमेरिकी था, एक ऐसा हिंसक अमेरिकी जिसके लिए किसी की जान ले लेना आसान था.

1. उमर मतीन अमेरिका में जन्मा, पला-बढ़ा और पढ़ा.

2. उमर ने समलैंगिकों के एक क्लब पर हमला किया. वह समलैंगिकों से नफरत करता था. उसने कुछ दिन पहले दो समलैंगिकों को किस करते हुए देख लिया था और वह आग-बबूला हो गया था.

3. वह बहुत गुस्सैल था. उसके साथ काम करने वाले लोगों ने बताया है कि उसे बात-बात पर गुस्सा आता था. लोग उससे परेशान रहते थे.

4. उसकी पूर्व पत्नी ने बताया कि उमर एक हिंसक आदमी था और उसे पीटा करता था. इसलिए चार महीने बाद ही शादी टूट गई. उसने बताया कि वह मानसिक रूप से बीमार था.

5. परिवार का कहना है कि वह धार्मिक इन्सान नहीं था.

अमेरिका और बाकी दुनिया में भी लोगों ने, अपने-अपनेहिसाब से एक-एक तथ्य उठाकर तख्ती पर लिख लिया है और साबित करने में जुट गए हैं. जैसे कि रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे डॉनल्ड ट्रंप. अपने मुस्लिम विरोधी रवैये और बयानों के लिए मशहूर ट्रंप की पूरी कोशिश है कि मतीन एक मुसलमान आतंकवादी साबित हो जाए. ऐसा हो जाता है तो वह ठीक साबित हो जाएंगे कि मुसलमान तो बस आतंकी होते हैं और उनका अमेरिका में आना ही बंद कर देना चाहिए. उनके साथ अमेरिका का विशाल हथियार उद्योग जुड़ना चाहेगा ताकि यह मुद्दा गन-बैन पर बहस न बन जाए. दूसरी तरफ वे लोग हैं, जो मानते हैं और समझते हैं कि उमर मतीन मानसिक रूप से बीमार एक अमेरिकी था जिसके लिए बंदूक खरीदना और किसी पर भी गोलियां बरसा देना बेहद आसान है, वहां के हिंसक माहौल की वजह से. वहां हथियार खरीदने के बेहद आसान कानून की वजह से. और वहां के समलैंगिक विरोधी रवैये की वजह से. आप दोनों में से किसी ओर भी हो सकते हैं. बस आप यह देख लीजिएगा कि दोनों में से जिसकी ताकत ज्यादा होगी, उसका असर क्या होगा.

अगर आप उमर मतीन को एक इस्लामिक आतंकवादी मानते हैं तो -

1. आप अमेरिका के इस्लामिक आतंकवाद विरोधी अभियान को जायज ठहराएंगे. जगह-जगह हो रहे आतंकवादी हमलों को सही ठहराएंगे. इस्लामिक आतंकवादी भी यही चाहते हैं ताकि वे और मासूम युवाओं को दुनियाभर में हमला करने के लिए उकसा सकें.

2. आप अमेरिकी नागरिकों के बंदूक खरीदकर अपनी रक्षा करने के अधिकार को सही ठहराएंगे. हथियार व्यापारी यही चाहते हैं ताकि उनकी दुकान बंद न हो जाए.

3. आप इस बात को और फैलाएंगे कि मुसलमान ही हर जगह आतंकवादी हमले करते हैं और सारे/ज्यादातर मुसलमान आतंकवादी होते हैं. इसका फायदा इस्लामविरोधी कट्टरपंथी उठाएंगे.

4. आप इस तरह मुसलमानों को बाकी दुनिया से और काट देंगे. इसका फायदा कट्टरपंथी मुसलमान उठाएंगे.

अगर आप उमर मतीन को एक बीमार अमेरिकी मानते हैं, तो -

1. आप इस हत्याकांड के लिए इस्लाम को नहीं, अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराएंगे, जो हथियारों पर लगाम लगा पाने में विफल रही है.

2. आप अमेरिका में हथियारों पर सख्त पाबंदी की वकालत करेंगे क्योंकि ऐसी हत्याएं अमेरिका में आम हैं.

3. आप यह बताएंगे कि किसी का मजहब इस्लाम हो जाने भर से वह इस्लामिक आतंकवादी नहीं हो जाता. इससे आप उन मुसलमानों को अपने साथ जोड़ेंगे जो इस्लामिक आतंकवाद के विरोधी हैं, आपकी ही तरह.

4. आप इस्लामिक और इस इस्लाम विरोधी कट्टरपंथियों को कमजोर करेंगे.

हम और आप ऑरलैंडो में गोली नहीं खाने के बाद भी घायल हैं. वहां 50 इंसान मारे गए हैं. हमारे जैसे इंसान. मासूमों की मौत हम सबको घायल करती है. उस घायल मन से सोचिए, आप किसके साथ खड़े हैं.

ब्लॉगः विवेक कुमार