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बाढ़ में बही हथिनी 1,000 किलोमीटर दूर मिली

ओएसजे/एमजे (एएफपी)१२ अगस्त २०१६

असम में आई भयंकर बाढ़ के दौरान एक हथिनी झुंड से अलग हो गई. बहाव में बहती हुई वो बांग्लादेश पहुंच गई. उसका जिंदा बचना चमत्कार से कम नहीं.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/STR

भारत से बांग्लादेश के तालाब तक पहुंची यह हथिनी छह हफ्ते से फंसी हुई थी. जुलाई में भारतीय अधिकारियों की एक टीम भी वहां पहुंची. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद वो हथिनी को तालाब से नहीं निकाल सके. इसके बाद सबको लगा कि देर सबेर यह हथिनी वहीं दम तोड़ देगी.

हथिनी इतनी कमजोर हो चुकी थी कि उसकी पसलियां तक दिखाई पड़ने लगी. छह हफ्ते की जद्दोजेहद के बाद गुरुवार को वह निढाल हो गई और डूबने लगी. इसके बाद गांव वालों ने काबिले तारीफ काम किया. चश्मदीद सईद होसैन के मुताबिक, "चेतना खो चुकी हथिनी को बचाने के लिए सैकड़ों ग्रामीण आगे आए. दर्जनों ने तालाब में कूद लगा दी. उन्होंने हथिनी को रस्सी और जंजीरों से बांध दिया."

Bangladesh Rettungsaktion für indischen Elefanten
ऐसे फंसी रही हथिनीतस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Alam

इसी दौरान पशु संरक्षकों की टीम भी वहां पहुंची. हथिनी को बेहोशी का इंजेक्शन ठोंककर तालाब से बाहर निकाला गया. 40 क्विंटल वजनी यह हथिनी असम से बहकर बांग्लादेश पहुंची थी. अब वह बांग्लादेश के वन अधिकारियों की देखरेख में हैं. संरक्षकों की टीम के सदस्य तपन कुमार डे कहते हैं, "हम इसे खाना और दवाएं देते रहेंगे."

मानसून की बारिश ने इस बार भारत के काजीरंगा नेशनल पार्क में तबाही मचाई है. अधिकारियों के मुताबिक यह पहला मौका है जब बारिश ने पार्क को इतना नुकसान पहुंचाया है. गैंडे, हिरण और हाथियों पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी. नुकसान का पूरा अंदाजा अभी भी नहीं लगाया जा सका है.

(देखिये: इंसानों की मदद से नया जीवन पाने वाले जानवर)