ऑस्ट्रिया: सख्त कानून, वापस भेजे जाएंगे ठुकराए गए शरणार्थी
१ मार्च २०१७ऑस्ट्रिया के मध्यमार्गी गठबंधन में शरणार्थियों पर एक नये कानून के मसौदे पर सहमति हो गई है. इस कानून के बन जाने से अधिकारी ठुकराये गये ऐसे शरणार्थियों को मकान और खाने की सुविधा न देने का फैसला ले सकेंगे जो ऑस्ट्रिया छोड़ने से मना करते हैं. इस कानून को संसद की अनुमति जरूरी होगी. यह मसौदा ऑस्ट्रिया में विदेशियों से जुड़े कानूनों में किये जा रहे सुधारों का हिस्सा है. इसमें अपनी पहचान के बारे में झूठ बोलने वाले शरणार्थियों पर जुर्माने या कैद का प्रावधान होगा.
ऑस्ट्रिया की सरकार उग्र दक्षिणपंथी फ्रीडम पार्टी के प्रसार को रोकने के लिए नीतियों का एक पैकेज तैयार कर रही है. दिसंबर में हुए राष्ट्रपति चुनावों में फ्रीडम पार्टी के उम्मीदवार को लगभग आधे मतदाताओं ने वोट दिया था.
देश के गृह मंत्री वोल्फगांग सोबोत्का ने कहा है कि ऐसे विदेशी जिनका शरण का आवेदन ठुकरा दिया गया है और जो वापस जाने को तैयार नहीं हैं, उन्हें इसके नतीजे भुगतने होंगे. "पहली बात ये कि यदि उन्हें यहां रहने का अधिकार नहीं होगा तो उन्हें सरकार से कुछ भी नहीं मिलेगा." उन्होंने कहा कि इस कानून का मकसद कानून व्यवस्था को बहाल करना और ठुकराये गये शरणार्थियों को स्वेच्छा से जाने के लिए प्रोत्साहित करना है.
2015 में जब शरणार्थी संकट चरम पर था तो ऑस्ट्रिया ने 90,000 लोगों को शरण दी थी. यह उसकी आबादी के 1 प्रतिशत से ज्यादा था. उस समय 1 लाख से ज्यादा लोग ग्रीस से होकर जर्मनी जाने के लिए यूरोप में घुस गये थे. इस बीच ऑस्ट्रिया ने आप्रवासी कानूनों को सख्ती कर दिया है और युद्ध और गरीबी से भागकर बाल्कान से होकर आने वाले शरणार्थी रास्ते को रोकने में मदद दी है.
ऑस्ट्रिया में शरणार्थियों को तथाकथित बेसिक सुविधा मिलती है जिसमें मुफ्त मकान, खाना, चिकित्सा सुविधा और 40 यूरो का मासिक पॉकेट मनी शामिल है. सोबोत्का का कहना है कि करीब 4000 ऐसे लोगों को बेसिक भत्ता मिलता है जिन्हें देश छोड़ कर चला जाना चाहिए था, उनमें से 2000 लोग नये कानून से प्रभावित होंगे. ये लोग इतने स्वस्थ हैं कि अपने देश वापस लौटने की यात्रा कर सकें.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संस्था यूएनएचसीआर के ऑस्ट्रियाई दफ्तर ने नये कानून के मसौदे की आलोचना की है और सांसदों से उसकी पुष्टि करने से पहले गंभीरता से विचार करने को कहा है. नये कानून के मुताबिक अपनी पहचान के बारे में झूठ बोलने वालों को 5000 यूरो का जुर्माना देना होगा या तीन महीने की सजा होगी. गृह मंत्रालय के डाटा के अनुसार 2016 में ठुकराये गये शरणार्थी मुख्यतः अफगानिस्तान, पाकिस्तान और नाइजीरिया से थे.
एमजे/एके (रॉयटर्स)