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उम्मीद की डोर पकड़े हुए कतर में भारतीय

मुरली कृष्णन
९ जून २०१७

कई अरब देशों ने आतंकवाद का समर्थन करने के आरोप में कतर से संबंध तोड़ लिए हैं. कतर में रह रहे लाखों भारतीय कामगारों के भविष्य को लेकर भारत में चिंता है.

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Symbolbild - Katar - Flagge
तस्वीर: picture alliance/robertharding/F. Fell

केरल की 65 साल की मरियामा सेबेस्टियन पिछले तीन दिनों से लगातार फोन पर लगी हैं और कतर में काम करने वाले अपने दो बेटों थॉमस और आइजैक से उनका हालचाल लेती रहती हैं. दो साल से दोहा में कंसट्रक्शन क्षेत्र में काम करने वाले दोनों भारतीय श्रमिक 2022 में कतर में होने वाले फीफा विश्व कप के लिए बनने वाली इमारतों के निर्माण प्रोजेक्ट में लगे हैं. सेबेस्टियन ने डॉयचे वेले को बताया कि "फिलहाल तो वे सुरक्षित हैं. लेकिन मुझे चिंता हो रही है और उम्मीद कर रही हूं कि स्थिति जल्दी ही सामान्य हो जाएगी. वे लगातार पैसे भेजते हैं और मैं आशा कर रही हूं कि उन्हें कुछ हो ना."

केरल की औद्योगिक राजधानी कोच्चि के एक खुदरा व्यापारी पी मैथ्यू अपने भांजे सैमुअल के लिए चिंतित हैं. वह कतर में टेक्नीशियन का काम करता है. मैथ्यू ने कहा, "ऐसी कोई समस्या आएगी, हमने कभी सोचा भी नहीं था. उम्मीद करता हूं कि सब ठीक हो जाएगा." मरियामा और मैथ्यू की ही तरह केरल और अन्य राज्यों के हजारों भारतीय परिवार मध्यपूर्व में तेजी से बदले हालात को लेकर बेचैन हैं. 

स्थिति पर है करीबी नजर

सऊदी अरब, मिस्र, यूएई और कुछ अन्य अरब देशों ने साथ आकर सोमवार को कतर से राजनयिक संबंध तोड़ने की घोषणा की. दोहा पर उन्होंने आतंकी गुटों और ईरान का समर्थन करने का आरोप लगाया है. कतर ने ऐसे सभी आरोपों से इनकार किया है. छोटे, गैस-समृद्ध देश कतर के साथ इन देशों ने हवाई, समुद्री और जमीनी संबंध भी तोड़ लिए. कोई भी चीज कतर से बाहर और भीतर नहीं आ जा पा रही है.

अमेरिका और कुवैत जैसे देश इन सभी पक्षों से एकजुट रहने और तनाव को दूर करने की अपील कर चुके हैं. हालांकि इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है और सऊदी अरब के नेतृत्व में यह अरब गुट कतर पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने पर भी विचार कर रहा है. कतर अपनी जरूरत की ज्यादातर चीजों के आयात पर निर्भर है. कतर के लोग घबराहट में बाजारों से खूब सारा सामान खरीद रहे हैं, जिससे जमाखोरी का खतरा बन गया है.

प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से कतर दुनिया के सबसे अमीर देशों में आता है. करीब 27 लाख की आबादी वाले कतर में भारतीय प्रवासी सबसे बड़ा विदेशी समुदाय है. कुल आबादी के एक चौथाई यानि लगभग 650,000 लोग भारतीय हैं. ज्यादातर भारतीय कतर में टेक्नीशियन, इलेक्ट्रिशियन, कंसट्रक्शन वर्कर, ड्राइवर और घरेलू नौकर के रूप में काम करते हैं. वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा वापस भारत में अपने परिवारों को भेजते हैं - जो कि सालाना अरबों डॉलर में हैं.

भारत सरकार पर कतर में रह रहे भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दबाव है. केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिख कर इस बारे में कदम उठाने की अपील की है.

कैसे मिले कतर में भारतीय को सुरक्षा

अब तक तो मोदी सरकार कतर के हालात को चिंताजनक नहीं मान रही है. इसे "खाड़ी सहयोग परिषद का आंतरिक मामला" बताते हुए स्वराज ने कहा है कि "हमारी चिंता केवल वहां रह रहे भारतीयों के बारे में है. हम पता लगा रहे हैं कि वहां कोई भारतीय फंसा हुआ तो नहीं है."

कतर और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ सकता है. द्विपक्षीय व्यापार 8 अरब डॉलर से अधिक का है और कई भारतीय कंपनियां और बैंक कतर में कार्यरत हैं. कतर में 14 भारतीय स्कूल भी चलते हैं, जहां 30,000 से अधिक भारतीय छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. भारतीय एयरलाइंस अभी से कतर विवाद का बुरा असर देख रही हैं क्योंकि उन्हें कतर जाने वाली अपनी उड़ानें पाकिस्तान और ईरान के ऊपर से घुमा कर ले जानी पड़ी रही हैं, जिससे खर्च बढ़ा है.