एक रहस्यमयी चिपकू लड़की
बर्लिन में लोगों को अक्सर दीवारों पर, पार्कों में या बस-ट्रेनों में ऐसी चीजें लिखी दिख जाती हैं कि वे मुस्कुरा देते हैं. खुश हो जाते हैं. ये चीजें कोई बार्बरा नाम की लड़की लिखती है. लेकिन बार्बरा कौन है, कोई नहीं जानता.
कट्टरपंथ विरोधी बिल्ली
अपनी कला के जरिए बार्बरा शांति और भाईचारे का संदेश देती हैं. लेकिन वह न कुछ तीखा लिखती हैं न ही बोरिंग. बहुत ही छोटा सा सटीक सा कुछ होता है जैसे यह बिल्ली कह रही है, जब भी दक्षिणपंथी लोग चिल्लाते हैं, तो यह बिल्ली उदास हो जाती है.
दिलचस्प प्रदर्शनी
बर्लिन शहर बार्बरा की कला के लिए प्रदर्शनी की जगह ही बन गया है. जैसे यहां लिखा है, चिपकना मजेदार है. ऐसा नहीं है कि उनके पोस्टर अद्भुत हैं. लेकिन उनका संदेश ऐसा है कि छूटता नहीं है.
नफरतों के खिलाफ
बार्बरा की आर्ट का मुख्य विषय नस्लीय भेदभाव और असहिष्णुता होता है. मूलतः वह नफरतों के खिलाफ हैं. उन्होंने 100 से भी ज्यादा पोस्टर शहरभर में चिपका रखे हैं. जैसे यहां लिखा है, "मेरी दुआ है कि समलैंगिकों से नफरत करने वालों के बच्चे समलैंगिक निकलें."
प्यार का प्रसार
इन अनजान संदेशों को देखकर समझ आ जाता है कि कौन सा बार्बरा का बनाया हुआ है. उनके संदेशों में प्यार छिपा होता है. और प्यार फैलाने की गुजारिश भी.
पार्क में स्टिकर
बार्बरा जानवरों के अधिकारों की भी बात करती हैं. यहां लिखा है कि हर जानवर कमाल होता है.
मैं चिपकाती हूं
ऐसा लगता है कि बार्बरा को चिपकाना बहुत पसंद है. यहां लिखा है, हुर्रे मैं अब भी चिपका हूं. एक पोस्टर पर लिखा था, मैं चिपकाने के सपने नहीं लेती, मैं सपने चिपकाती हूं.
बहुसंस्कृतिवाद की पैरोकार
बार्बरा का संदेश है कि सब मिलजुलकर रहें. अलग-अलग धर्म, जाति, संस्कृतियों और देशों के लोगों से वह सहिष्णु बनने का आग्रह करती हैं. एक जगह लिखा है, जर्मनी खूबसूरत है लेकिन पिज्जा, डोएनर और सुशी के साथ ज्यादा खूबसूरत है.
रहस्यमयी बार्बरा
वह अब तक अनजान ही बनी हुई हैं. बस उनका एक फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज (@ich_bin_barbara) है. फेसबुक पर उनके साढ़े चार लाख फॉलोअर्स हैं और इंस्टाग्राम पर डेढ़ लाख.