1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

एंबुलेंस ना मिलने के कारण एएमयू प्रोफेसर की मौत

विवेक कुमार
२६ अक्टूबर २०१६

भारत में अस्पतालों की लापरवाही ने एक और जान ले ली. इस बार लापरवाह स्वास्थ्यकर्मियों का शिकार अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर बने हैं.

https://p.dw.com/p/2Rhpm
Aligarh Muslim University in Aligarh, Indien
तस्वीर: imago/Indiapicture

प्रोफेसर डी मूर्ति को कैंसर था. वह अलीगढ़ के जवाहर लाल मेडिकल कॉलेज में भर्ती थे और वेंटिलेटर पर थे. डॉ. मोहम्मद असलम ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि उनका एक ऑपरेशन किया गया था जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ गई तो उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया गया. लेकिन अस्पताल प्रशासन छह घंटे तक एंबुलेंस का इंतजाम नहीं कर पाया और प्रोफेसर मूर्ति की मौत हो गई. मूर्ति एएमयू में डिपार्टमेंट ऑफ मॉडर्न इंडियन लैंग्वेजेस में पढ़ाते थे.

मूर्ति के एक मित्र शेख मस्तान ने आरोप लगाया कि चीफ मेडिकल ऑफिसर और डॉक्टर के बीच तालमेल नहीं होने के कारण समय पर एंबुलेंस का इंतजाम नहीं हो पाया. इस घटना की जांच के लिए एक पैनल बनाया गया है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने कहा कि मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम बना दी गई है और जो भी इस घटना के लिए जिम्मेदार होगा उसे खोजने और सजा देने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जाएगी.

तस्वीरों में: कैंसर के 10 लक्षण

स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही के रोजाना सैकड़ों मामले होते हैं क्योंकि यह व्यवस्था लगभग चरमरा चुकी है. कुछ ही हफ्ते पहले ओडिशा में अपनी बीवी की लाश को कंधे पर ले जाने की एक आदिवासी की खबर ने सबको हिला दिया था. इस व्यक्ति की पत्नी की मौत अस्पताल में हो गई थी लेकिन उसे शव ले जाने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं कराया गया था. गरीब व्यक्ति निजी वाहन का खर्च नहीं उठा सकता था लिहाजा वह कंधे पर ही लाश को रखकर 50 किलोमीटर दूर अपने गांव के लिए चल दिया. लगभग 12 किलोमीटर बाद उसे एक पत्रकार ने देखा और फिर एंबुलेंस उपलब्ध करवाई.

सावधान, डॉक्टर को दिखाएं अगर...

यह सिर्फ एक तस्वीर है जो दिखाती है कि भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था किस बदहाली का शिकार है. मरे हुए लोगों की तो छोड़िए, जिंदा लोगों का भी कोई ख्याल नहीं रखा जा रहा है. कुछ समय पहले सरकार ने लोकसभा में माना था कि हर 893 मरीजों पर एक डॉक्टर है. इनमें एलोपैथी ही नहीं, होम्योपैथी, आयु्र्वेद और यूनानी पद्धति के डॉक्टर भी हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में सिर्फ 9.59 लाख रजिस्टर्ड एलोपैथिक डॉक्टर हैं. एक अनुमान के मुताबिक देश में सालभर में सिर्फ 5500 डॉक्टर तैयार हो पाते हैं और आज भी 14 लाख डॉक्टरों की कमी है.

यह भी देखें: ये हैं गरीबों के मसीहा