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9/11 हमलों के "संदिग्ध" को मुआवज़ा मिलेगा

२४ अप्रैल २०१०

ब्रिटेन अल्जीरिया के उस पायलट को मुआवज़ा देने के लिए तैयार हो गया है जिसे 11 सितंबर 2001 के हमलों में शामिल होने के गलत आरोपों के चलते पांच महीनों के लिए जेल भेज दिया गया था. पूर्व पायलट लुत्फ़ी रैसी ने जताई ख़ुशी.

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तस्वीर: DPA

मुआवज़ा दिए जाने की घोषणा के बाद अल्जीरियाई मूल के पूर्व पायलट लुत्फ़ी रैसी को संतोष हुआ है. उन्होंने कहा, "यह मेरी ज़िंदगी के अच्छे दिनों में है. न्याय मंत्रालय ने मुझे पूरी तरह निर्दोष क़रार दिया है और मैं इससे बेहद ख़ुश हूं. मेरी ज़िंदगी तबाह हो गई थी. मेरा करियर चौपट हो गया. पिछले 9 साल मेरे लिए बेहद बुरे रहे. मेरे साथ भेदभाव हुआ, नस्लभेदी बर्ताव भी हुआ. मेरा जीवन सुरक्षित नहीं था."

पायलट लुत्फ़ी रैसी को न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन में साल 2001 में हुए हमलों के 10 दिन बाद गिरफ़्तार किया गया था. रैसी को अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था वाली जेल में रखे जाने की धमकी दी गई थी क्योंकि अमेरिकी पुलिस को संदेह था कि अल क़ायदा की साज़िश में रैसी भी शामिल है.

लेकिन लुत्फ़ी रैसी के ख़िलाफ़ लगे आरोप बाद में ग़लत साबित हुए और उन्हें रिहा कर दिया गया. तभी से रैसी इस मामले में ख़ुद को निर्दोष साबित करने का प्रयास कर रहे थे. रैसी के मुताबिक़ सभी एयरलाइन कंपनियों ने उन्हें नौकरी देने से इनकार कर दिया और उनका जीवन बर्बादी के कगार पर पहुंच गया.

ब्रिटेन में रहने वाले अल्जीरियाई मूल के लुत्फ़ी रैसी ने अमेरिका में एरिज़ोना में फ़्लाइट स्कूल से विमान चलाने की ट्रेनिंग ली थी. अमेरिकी अधिकारियों का मानना था कि रक्षा मंत्रालय पेंटागन की इमारत से विमान टकराने वाले हमलावर के लुत्फ़ी से संबंध थे.

हालांकि ब्रिटेन की एक कोर्ट ने इन आरोपों को बाद में ख़ारिज कर दिया क्योंकि कोर्ट के मुताबिक़ इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं थी. इसके बाद ही लुत्फ़ी रैसी ने मुआवज़े के लिए अपनी मुहिम की शुरुआत की थी.

साल 2004 में ब्रिटेन की सरकार ने इसे ख़ारिज कर दिया पर चार साल बाद कोर्ट ऑफ़ अपील ने मुआवज़े पर पुनर्विचार का आदेश दिया. अब एक स्वतंत्र जांच अधिकारी इस बात का अनुमान लगाएगा कि रैसी को कितना मुआवज़ा दिया जाना चाहिए. लेकिन रैसी का कहना है कि पैसा अहम नहीं है, वह न्याय के लिए लड़ रहे थे और वह आख़िर में सरकार से माफ़ी चाहते थे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ए कुमार