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80-85% वाले ही दें आईआईटीः सिब्बल

१९ अक्टूबर २००९

भारत सरकार चाहती है कि आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सिर्फ़ वही छात्र बैठें, जिन्हें 12वीं में 80-85 प्रतिशत नंबर मिले हों. मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के इस प्रस्ताव के बाद बखेड़ा खड़ा हो गया है. कई जगह विरोध.

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मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बलतस्वीर: AP

फ़िलहाल भारत में 12वीं परीक्षा में 60 फ़ीसदी नंबर लाने वाले बच्चे आईआईटी में बैठ सकते हैं. लेकिन सरकार का कहना है कि यह काफ़ी नहीं है. इस पर विचार के लिए आईआईटी निदेशकों की एक समिति बना दी गई है. भारत सरकार का कहना है कि 2011 के आईआईटी प्रवेश परीक्षा तक नए नियम लागू हो जाएं.

मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है कि वह चाहते हैं कि बच्चे 12वीं की परीक्षा को गंभीरता से लें और कुकुरमुत्तों की तरह फैल गए कोचिंग व्यवसाय पर अंकुश लगाया जाए. इसी वजह से यह क़दम उठाया जा रहा है. उनका कहना है कि कोचिंग केंद्रों से बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है.

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कोचिंग ख़त्म करने का दावातस्वीर: AP

उन्होंने आईआईटी काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेने के बाद कहा, "मौजूदा वक्त में आईआईटी जीईई की प्रवेश परीक्षा में वही बच्चे बैठ सकते हैं, जिन्होंने 12वीं में 60 फ़ीसदी अंक लाए हों. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. आईआईटी जेईई के लिए न्यूनतम नंबरों को 80 से 85 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है."

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर आख़िरी फ़ैसला समिति ही करेगी. सिब्बल ने कहा, "कोचिंग सेंटर आईआईटी परीक्षा के लिए ट्रेनिंग दे रहे हैं. इसका नतीजा यह होता है कि छात्र 12वीं कक्षा के इम्तिहान के लिए दिल लगा कर नहीं पढ़ते हैं और कोचिंग पर ज़्यादा ध्यान देते हैं. हम बोर्ड इम्तिहान पर ज़्यादा तवज्जो देकर कोचिंग सेंटरों से निजात पाना चाहते हैं." तीन साल पहले आईआईटी जेईई के नियम बदले थे और तभी इसकी प्रवेश परीक्षा के लिए न्यूनतम अंक 60 फ़ीसदी किया गया था.

सिब्बल ने बताया कि तीन सदस्यों वाली समिति को इस मुद्दे पर विचार विमर्श करने के लिए लगा दिया गया है, जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. तभी पता लग पाएगा कि क्या किसी बदलाव की ज़रूरत है. इस समिति में विज्ञान और तकनीक सचिव टी रामासामी, बायो टेक्निकल सचिव एमके ख़ान और सीएसआईआर के महानिदेशक समीर ब्रह्मचारी शामिल हैं.

समिति इस बात पर भी विचार करेगी कि क्या आईआईटी में नए कोर्स भी शुरू किए जाने चाहिए. सिब्बल हमेशा से कहते आए हैं कि यहां मेडिसीन जैसे दूसरे कोर्सों की भी पढ़ाई होनी चाहिए.

हालांकि सिब्बल के इस प्रस्ताव का अभी से विरोध शुरू हो गया है. आईआईटी की तैयारी कर रहे छात्रों और उन्हें मदद करने वाले प्रोफ़ेसरों का कहना है कि सरकार के इस क़दम से ग़रीब बच्चे मारे जाएंगे. आईआईटी की तैयारी कराने वाली मशहूर संस्था सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने डॉयचे वेले से कहा कि इस तरह कोचिंग का मकड़जाल और फैल जाएगा और बच्चे आईआईटी के साथ साथ 12वीं परीक्षा के लिए भी कोचिंग करने लगेंगे.

भारत में अलग अलग राज्यों की बोर्ड परीक्षा का पैमाना अलग अलग है और आम तौर पर सीबीएसई में छात्रों को अच्छे नंबर मिल जाते हैं, जबकि बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे बोर्डों के बच्चे बहुत ज़्यादा अंक नहीं ला पाते. लेकिन आईआईटी में उनका अच्छा ख़ासा प्रतिशत होता है. जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में भी अमीर घरों के उन बच्चों को फ़ायदा मिलेगा, जो सीबीएसई से परीक्षा देंगे और जो बच्चे प्रतिभाशाली हैं और राज्य सरकार के बोर्डों से परीक्षा दे रहे हैं, उन्हें इसका नुक़सान पहुंचेगा.

मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल हमेशा अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं. कुछ दिनों पहले उन्होंने कहा था कि दसवीं की बोर्ड परीक्षा को ख़त्म कर दिया जाना चाहिए. इस पर भी ख़ासा बवाल उठा था.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह