75 फीसदी बच्चे हैं हिंसा का शिकार
भारत के एडवोकेसी ग्रुप "नो वॉयलेंस इन चाइल्डहुड" की एक स्टडी मुताबिक दुनिया के चार में तीन बच्चे किसी न किसी रूप में हिंसा का शिकार हैं. स्टडी अनुसार दुनिया के तकरीबन 1.7 अरब बच्चे मानसिक या शारीरिक हिंसा का शिकार हैं.
घरों में होती पिटाई
घरों में दिया जाने वाला शारीरिक दंड, हिंसा का सबसे आम रूप है, इस घरेलू हिंसा से दुनिया में 14 साल तक की उम्र वाले करीब 1.3 अरब बच्चे प्रभावित हैं.
दादागिरी और गुंडागर्दी
13-15 साल की आयु वर्ग के तकरीबन 13.8 करोड़ बच्चे दादागिरी, गुंडागर्दी के शिकार बनते हैं तो वहीं 12.3 करोड़ बच्चे स्कूलों में होनेवाली लड़ाइयों में हिंसा का शिकार होते हैं.
यौन प्रताड़ना के मामले
तीन साल के अध्ययन के बाद तैयार की गयी इस रिपोर्ट मुताबिक 15 से 19 साल के आयु वर्ग में आने वाली दुनिया की 1.8 करोड़ लड़कियां यौन शोषण का शिकार होती हैं.
हिंसा का शिकार
रिपोर्ट के मुताबिक यौन हिंसा की दर सबसे अधिक अफ्रीका में नजर आती है. यहां 15-19 साल की उम्र वाली तकरीबन 10 फीसदी लड़कियां अपने जीवन में कभी न कभी यौन हिंसा का शिकार होती हैं.
परंपराओं में हिंसा
इस अध्ययन में हिंसा को समाज की परंपराओं से जुड़ा कहा गया है. रिपोर्ट मुताबिक कई समाजों में पत्नियों और बच्चों की पिटाई को अनुशासन बनाये रखने के लिए जरूरी समझा जाता है.
वैश्विक प्रतिबद्धता
साल 2015 में दुनिया के कई देशों ने वैश्विक लक्ष्यों को तय करते हुए साल 2030 तक दुनिया भर में बच्चों के खिलाफ हो रही हिंसा को खत्म करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जतायी थी.
खरबों का नुकसान
साल 2014 की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि बचपन की हिंसा भविष्य में उत्पादकता को तकरीबन 70 खरब डॉलर का नुकसान पहुंचाती है. गरीब परिवारों के बच्चे तनाव में जीते हैं और उनके साथ हिंसा सबसे अधिक होती है.
हिंसा यहां है कम
स्टडी मुताबिक बच्चों में होने वाली हिंसा उन देशों में कम है जहां बाल जीवन दर अपने उच्च स्तर पर है और अधिक लड़कियां स्कूल जाती हैं. रिपोर्ट में बलात्कार, मानव तस्करी में हिंसा का शिकार बनते बच्चों को शामिल नहीं किया गया है.