सिर्फ चार कोयला आवंटन वैध
२४ सितम्बर २०१४इस फैसले से शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई. खनन सेक्टर में तभी से मंदी चल रही है जब से 1993 से 2009 के बीच के सभी कोल ब्लॉक की लाइसेंसिंग प्रक्रिया को अवैध घोषित किया गया था. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोयला उद्योग को भारी नुकसान की आशंका थी.
सुप्रीम कोर्ट ने 218 में सिर्फ चार को बना कर रखा है. 214 में से 168 आवंटनों को तुरंत प्रभाव से रद्द किया गया है और बाकी 46 अगले छह महीने तक कोयला खनन कर सकते हैं.
मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने कहा, "सभी कोयला आवंटनों को रद्द करना जरूरी है. उन्हें बनाए रखने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह सभी गैरकानूनी हैं. 46 को सांस लेने के लिए थोड़ा समय दिया गया है. ये कंपनियां 31 मार्च 2015 तक अपना कामधाम समेट सकती हैं." ये सभी ऐसी खदानें हैं जहां कोयले का खनन किया जा रहा है.
अदालत ने कहा कि चार अन्य कोयला खदानों को पहले अवैध घोषित किया गया था, फैसले में उनका जिक्र नहीं किया गया. इनमें सरकारी अल्ट्रा मेगा पॉवर प्लांट भी हैं जो मध्यप्रदेश में हैं और बाकी नेशनल थर्मल पावर कोऑपरेशन (एनटीसीपी) और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास हैं.
फैसले के मुताबिक जिन 46 कंपनियों को छह महीने का समय दिया गया है उन्हें हर टन कोयले पर 295 रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा.
अदालत के फैसले के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स तुरंत 176 अंकों से नीचे गिर गया हालांकि थोड़ी देर बाद बाजार ने राहत ली.
ताजा नीलामी
बीजेपी की सरकार ने वादा किया है कि वह फिर से पारदर्शी नीलामी करेगी ताकि देश में बिजली की कमी की समस्या खत्म की जा सके. वकील मुकुल रोहतगी ने पत्रकारों को बताया, "केंद सरकार ने फैसले का स्वागत किया है और हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश हैं. कानून और विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने भी इस फैसले का स्वागत किया है."
सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को फैसले में कहा था कि सभी आवंटन मनमर्जी से किए गए हैं.
एएम/ओएसजे (एएफपी)